नई दिल्ली
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) के बीच भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने छह-सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन-दिवसीय बैठक के बाद गुरुवार को मुख्य दर, यानी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किए जाने की घोषणा की। रेपो रेट को चार फीसदी पर बरकरार रखा गया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। रेपो रेट उस दर को कहते हैं, जिसपर आरबीआई कॉमर्शियल बैंकों को कम अवधि के फंड मुहैया कराती है। नई मौद्रिक नीति में इसमें कोई बदलाव न कर इसे 4.0 फीसदी पर रखा गया है, वहीं, रिवर्स रेपो रेट- वो दर जिसपर बैंक आरबीआई के पास फंड जमा कराते हैं- को पहले की तरह 3.35 फीसदी पर रखा गया है। आरबीआई पहले ही फरवरी महीने से रेपो रेट में कुल 115 बेसिस पॉइंट यानी कि 1.15 फीसदी की कटौती कर चुका है। जबकि सेंट्रल बैंक ने पिछले साल 6.50 फीसदी चल रहे रेपो रेट में कुल 1.35 फीसदी की कटौती थी। रिज़र्व बैंक के मुताबिक, जीडीपी (सकल घरेलू वृद्धि) को लेकर भी तस्वीर बहुत सकारात्मक नहीं है। गवर्नर ने बताया कि पहली तिमाही में असली जीडीपी फिलहाल कॉन्ट्रैक्शन ज़ोन में बनी रहेगी। उन्होंने जुलाई-सितंबर तिमाही में भी इंफ्लेशन रेट में बढ़ोतरी होने का अनुमान जताया है, हालांकि उन्होंने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में इंफ्लेशन में गिरावट आ सकती है। जीडीपी ग्रोथ को लेकर उन्होंने कहा कि 2022-21 में जीडीपी ग्रोथ निगेटिव ज़ोन में ही रहेगी। गवर्नर ने कहा कि कोविड के मामलों के चलते ग्लोबल इकॉनमिक ग्रोथ को लेकर परिदृश्य कमजोर दिख रहा है। वहीं, भारत में कोविड-19 के बढ़ते मामलों और लॉकडाउन के बीच ग्रोथ की संभावना थोड़ी मद्धम हुई है। आरबीआई नाबार्ड और नेशनल हाउसिंग बैंक अतिरिक्त लिक्विडिटी सपोर्ट देने की घोषणा की है। गवर्नर ने कहा कि नाबार्ड और नेशनल हाउसिंग बैंक को 10,000 करोड़ का अतिरिक्त स्पेशल लिक्विडिटी सपोर्ट दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 संकट के बीच दबाव में चल रही MSMEs (सूक्ष्म, लघु और मध्यम वर्ग के उद्योगों) को मार्च, 2021 तक अपने कर्ज का पुनर्गठन करने की छूट दी जाएगी।