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चीन से आयात घटाने को कई क्षेत्रों में विनिर्माण बढ़ाने की तैयारी: गडकरी

नई दिल्ली
सरकार महामारी से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए आयात घटाने पर जोर दे रही है। केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को कहा कि चीन से आयात घटाने के लिए कई क्षेत्रों में विनिर्माण बढ़ाने की तैयारी है। वैश्विक स्तर पर भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने में एमएसएमई की बड़ी भूमिका होगी। फिक्की के कार्यक्रम में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यह समय आयात पर निर्भरता घटाकर निर्यात बढ़ाने का है। वैश्विक विनिर्माण में अभी चीन की हिस्सेदारी 30 फीसदी और इलेक्ट्रिक मशीनरी व औजार सहित 10 ऐसे निर्यात क्षेत्र हैं जहां चीन की भागीदारी 70 फीसदी तक है।
हम इस बात पर जोर दे रहे हैं कि एमएसएमई को किस तरह विकसित करें जिससे विनिर्माण को बढ़ाकर मौजूदा हालात में वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी बेहतर कर सकें। भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए कृषि, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट, खादी और ग्रामोद्योग जैसे क्षेत्रों में निर्यात बेहतर करने की जरूरत है। गडकरी ने कहा, सरकार लैंडबैंक और सामाजिक सूक्ष्म वित्तीय संस्थान बनाने की दिशा में गंभीरता से काम कर रही है। इससे छोटे दुकानदारों और कारोबारियों को काफी मदद मिलेगी। देश के 115 आकांक्षी जिलों में कृषि और जनजातीय उत्पादों को बढ़ावा देने पर काम किया जा रहा है। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत एमएसएमई के लिए जारी 3 लाख करोड़ के गारंटीयुक्त कर्ज योजना में से अभी तक 1.20 लाख करोड़ के कर्ज मंजूर किए जा चुके हैं।
एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा है कि संकट में फंसी एमएसएमई को 50 हजार करोड़ की पूंजी सहायता देने के लिए बनाए गए फंड ऑफ फंड्स के तहत 10 हजार करोड़ की राशि जल्द जारी हो जाएगी। इस फंड में से ऐसी एमएसएमई को वित्तीय मदद दी जाएगी जिनमें वृद्धि की क्षमता है लेकिन पूंजी की कमी से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। फिक्की के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वित्तीय लिहाज से यह कदम काफी महत्वपूर्ण है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि निर्यात में इजाफे और आयात में कमी की वजह से भारत का भुगतान संतुलन बेहद मजबूत है। जुलाई में निर्यात आंकड़ा पिछले साल का 91 फीसदी पहुंच गया है। आयात में बड़ी गिरावट से 18 साल में पहली बार चालू खाते में सरप्लस राशि आई है। फिक्की के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हमें भरोसा है कि मौजूदा माहौल में भारतीय उद्योग अपनी वृद्धि के अवसर तलाश लेंगे। विदेशी कंपनियां अगर हमारे 1.30 अरब की जनसंख्या वाले बाजार का फायदा उठाना चाहती हैं, तो उन्हें हमें भी बराबर अवसर देना होगा।

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