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लखनऊ:कोरोना महामारी की त्रासदी झेल रही देश की जनता की जेब पर डाका क्यों डाला जा रहा- प्रमोद तिवारी

लखनऊ। कांगे्रस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा है कि आज दुनिया की बाजार में कच्चे तेल की कीमत में रिकाॅर्ड गिरावट आयी है। सरकार की नीति थी कि दुनिया की बाजार में कच्चे तेल की कीमत के हिसाब से पेट्रोल एवं डीजल की कीमत तय की जायेगी। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस समय काफी दिनों से लगभग 42-43 डाॅलर प्रति बैरल पर कच्चे तेल की कीमत स्थिर है, एक बैरल में 159 लीटर होता है, इस हिसाब से लगभग 21 रुपये प्रतिलीटर कच्चे तेल की कीमत पड़ती है। टैक्स सहित बाजार मे 30- 35 रुपये प्रतिलीटर पेट्रोल बेंचा जाना चाहिए किन्तु आज बाजार में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 82 रुपये है, तथा डीजल लगभग 74 रुपये प्रतिलीटर की दर से बेंचा जा रहा है। कोरोना महामारी की त्रासदी झेल रही देश की जनता की जेब पर डाका क्यों डाला जा रहा है? क्या इसलिये कि बड़े पंूूॅजीपतियों अंबानी के रिलायंस और अडानी के पेट्रोल पम्प को ज्यादा से ज्यादा मुनाफाध् फायदा हो सके ?श्री तिवारी ने कहा है कि कांगे्रस सरकार के कार्यकाल में दुनिया की बाजार में कच्चे तेल की कीमत 110- 120 तथा 149 डाॅलर प्रति बैरल थी तब पेट्रोल लगभग 60 रुपये प्रतिलीटर से भी कम कीमत मेें बेंचा जा रहा था, और आज दुनिया के बाजार में कच्चे तेल की कीमत एक तिहाई से भी अधिक कम हो गयी है तो पेट्रोल 82 रुपये और डीजल 74 रुपये प्रति लीटर बेंचा जा रहा है, जबकि कच्चे तेल की कीमत में रिकाॅर्ड गिरावट होने के कारण इसे 30- 35 रुपये प्रतिलीटर की दर से बेंचा जाना चाहिए- दोगुने से भी अधिक कीमत पर इसे बेंचा जा रहा है । क्या इसलिये कि एक लीटर पर लगभग 52- 55 रुपये का मुनाफा पंूूॅजीपतियों अंबानी एवं अडानी के पेट्रोल कमा सकें ?केन्द्र सरकार का यह रवैया नाकाबिले बर्दाश्त है। एक तरफ जनता कोरोना काल के लाॅकडाउन से पीड़ित है, उसकी जेब में पैसे नहीं है, और दूसरी तरफ कच्चे तेल की कीमत में भारी कमी होने के बावजूद भी बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमत आसमान छू रही है। आदरणीय प्रधानमंत्री देश की जनता पर ‘‘रहम’’ कीजिये ।श्री तिवारी ने कहा है कि प्रदेश की कानून व्यवस्था दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है, चारों तरफ ‘‘जंगलराज’’ स्थापित हो गया है, दिन दहाड़े जघन्य से जघन्य अपराध हो रहे हैं, लोकतंत्र के चैथे स्तम्भ पत्रकारिता पर हमले हो रहे हैं, पत्रकारों की हत्यायें हो रही है, अभी दो दिन पूर्व बलिया में राष्ट्रीय सहारा के पत्रकार रतन सिंह की हत्या थाना फेफना से चन्द कदम की दूरी पर निर्ममता पूर्वक कर दी गयी। अधिवक्ताओं पर हमले हो रहे हैं, उनकी हत्यायें हो रही हैं। अपराधियों में शासन- प्रशासन का तनिक भी भय नहीं रहा और वे जघन्य वारदातों को अंजाम दे रहे हैं, बुद्धिजीवी वर्ग से लेकर आम जनता तक अपने को असुरक्षित महसूस कर रही है, और शसन- प्रशासन मूकदर्शक बन गया है ।प्रदेश की कानून व्यवस्था इस तरह ध्वस्त हो चुकी है कि आये दिन मासूम बच्चियों के साथ हो रही दरिंदगी से दिल दहल गया है। जनपद लखीमपुर खीरी के ग्राम धवरपुर की रहने वाली एक छात्रा इण्टरमीडिएट में एडमीशन हेतु आॅनलाइन फार्म भरने गयी थी जिसकी हत्या कर दी गयी, इसी तरह थाना ईशानगर क्षेत्र में दिनांक- 16 अगस्त, 2020 को एक 13 साल की मासूम बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गयी। इसी प्रकार प्रदेश के विभिन्न अंचलों में प्रायः मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार या सामूहिक बलात्कार करके उनकी निर्मम हत्या किये जाने की घटनायें होती रहती है, सरकार द्वारा कोई ठोस कदम न उठाने के कारण दिन प्रतिदिन इस तरह की अमानवीय घटनाओं में वृृद्धि हो रही है।श्री तिवारी ने कहा है कि सरकार और प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद भी अभी तक सहकारी समितियों और सरकारी बिक्री केन्द्रों पर यूरिया खाद किसानों के लिये उपलब्ध नहीं है, किसान खरीफ की फसल के लिये यूरिया के लिये दर- दर भटक रहा है- समितियों में लम्बी-लम्बी लाइने हैं किन्तु यूरिया का स्टाॅक नदारत है। वहीं बाजार में यूरिया की कालाबाजारी व्यापक पैमाने पर हो रही है, बढी कीमत पर ट्रकों यूरिया बाजार में उपलब्ध है। यूरिया की कालाबाजारी बढ़ने से किसान परेशान है। श्री तिवारी ने कहा है कि सरकार की घोषणओं के बावजूद भी ग्रामीण क्षेत्र मंे एवं शहरी अंचल मंे बिजली की आपूर्ति मानक के अनुसार नहीं हो रही है, कोरोना महामारी के कारण छात्र- छात्राओं की अॅनलाइन कक्षायें चल रही है, बिजली की आपूर्ति न होने से उनका पठन- पाठन प्रभावित हो रहा है। श्री तिवारी ने कहा है कि भारत में आज एक दिन में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक कोरोना संक्रमितों के मरीज आ रहे हैं, पिछले लगभग दो सप्ताह से एक दिन में देश में 65- 70 हजार कोरोना मरीज प्रतिदिन बढ़ रहे हैं जबकि कोरोना के टेस्ट, जांॅच 1ः से भी कम हो रहे है यदि टेस्ट बढ़ा दिया जाय तो यह संख्या लाखों में पहंुॅच जायेगी, किन्तु ऐसे संकट के समय में भी सरकार श्रम्म् और छम्म्ज् परीक्षायें कराकर सरकार छात्रों के जीवन को कोरोना की धधकती आग में क्यों झोंकना चाहती है ? छम्म्ज् परीक्षा में लगभग 55ः छात्रायें होती है, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि उन छात्राओं के साथ उनके अभिभावक (माता- पिता) भी जाते है, कोरोना काल में जब होटल बन्द हैं, और लगभग 40ः यात्रा के साधन ही उपलब्ध है, हर व्यक्ति तो अमीर नहीं है जो निजी कार से जा सकेगा तो क्या ऐसे में छात्राओं के अभिभावकों को भी कोरोना की आग में झोंकने का खतरा नहीे है, ‘‘जिद््दी सरकार’’ जिद छोंड़े और 2-3 माह के लिये इन परीक्षाओं को स्थगित करे। सवाल परीक्षा केन्द्रों पर छात्रों के बैठने को लेकर ही नहीं है बल्कि जब छात्र दूरस्थ अंचलों से परीक्षा केन्द्र तक आयेंगे तो बड़े शहरों में बने परीक्षा केन्द्रों तक की यात्रा और वहांॅ रुकने पर छात्रों के लिये जोखिम भरा कदम है, ऐसे में सरकार इन परीक्षाओं को कराने की जिद पर क्यों अड़ी हुई है ? ॅण्भ्ण्व् (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार जब दो माह बाद नवम्बर, दिसम्बर तक कोरोना का ‘‘पीक’’ ढलने लगेगा तो दो माह तक के लिये सरकार इन परीक्षाओं को स्थगित न करने की जिद पर क्यों अड़ी हुई है ? केन्द्र सरकार नौजवानों के भविष्य एवं उनके जीवन के साथ खिलवाड़ न करें, और परीक्षा को 2- 3 माह के लिये टाल दे। कहावत है कि ‘‘जब रोम जल रहा था तो नीरो बांसुरी बजा रहा था’’, उसी तरह देश याद रखेगा कि जब कोरोना महामारी में भारत देश जल रहा था तो हमारे प्रधानमंत्री कपड़े बदल- बदलकर ‘‘मोर पक्षी’’ को दाना खिलाकर ‘‘फोटो सेशन’’ में व्यस्त थे, यह जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है ।कोरोना महामारी की रोकथाम के लिये सरकार ने कोई ‘‘रोडमैप’’ नहीं जारी किया है, कोरण्टाइन सेण्टरों में व्याप्त अव्यवस्थाओं के लिये माननीय उच्च न्यायालय ने भी टिप्पणी की है- किन्तु सरकार के उदासीन रवैया के कारण अस्पतालों से लेकर कोरण्टाइन सेण्टर तक में आवश्यकतानुसार दवायें एवं सुविधाओं का अभाव है।

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