ताइपे
ताइवान ने एक नया पासपोर्ट जारी किया और इसमें से ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ शब्दों को हटा दिया। इसके अलावा पासपोर्ट पर लिखे ‘ताइवान’ शब्द के फॉन्ट साइज को बढ़ा दिया है। ताइवान के इस कदम से चीन के साथ उसके रिश्ते बिगड़ सकते हैं। सरकार ने कहा कि पुराने पासपोर्ट के चलते ताइवान के यात्रियों को चीन का नागरिक समझकर महामारी से संबंधित यात्रा प्रतिबंध लगाए जा रहे थे। कई देशों में पुराने पासपोर्ट को लेकर भ्रम था, क्योंकि उस पर चीन लिखा हुआ था। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। दरअसल, माओत्से तुंग की कम्युनिस्ट ताकतों से युद्ध हारने के बाद 1949 में ताइवान की स्थापना चीनी गणराज्य के रूप में की गई थी। इसके बाद कम्युनिस्ट चीन को ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ नाम दिया गया था। डेंग शियाओपिंग द्वारा 70 के दशक में देश के शासन की बागडोर संभालने के बाद एक देश दो प्रणाली नीति को प्रस्तावित किया गया। दरअसल, डेंग की योजना थी कि इस माध्यम से चीन और ताइवान को एकजुट किया जाए। इस नीति के माध्यम से ताइवान को उच्च स्वायत्तता देने का वादा किया गया। इस नीति के तहत ताइवान को छूट मिली की वह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के व्यापार करने के तरीकों से इतर अपनी पूंजीवादी आर्थिक प्रणाली का पालन कर सकता है। साथ ही अलग प्रशासन और अपनी सेना रख सकता है। लेकिन ताइवान ने कम्युनिस्ट पार्टी के इस प्रस्ताव को अस्वीकर कर दिया। वहीं, दूसरी ओर एक चीन नीति भी दोनों देशों के बीच विवाद का कारण है। इस नीति के तहत चीन का मानना है कि ताइवान उसका एक अभिन्न अंग है। एक नीति के तौर पर इसका अर्थ है कि जो देश ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ (चीनी गणराज्य) से संबंध रखना चाहते हैं, उन्हें ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ यानी ताइवान से संबंध तोड़ने होंगे। ताइपान पूर्वी एशिया में स्थित एक द्वीप है। यह द्वीप अपने आस-पास के द्वीपों को मिलाकर चीनी गणराज्य का अंग है और इसका मुख्यालय ताइवान द्वीप है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से इसे मुख्य भूमि (चीनी गणराज्य) का अंग माना जाता है, लेकिन इसकी स्वायत्तता को लेकर विवाद है। ताइवान की राजधानी ताइपे है, जो एक वित्तीय केंद्र है। इस द्वीप पर रहने वाले लोग अमाय, स्वातोव और हक्का भाषाएं बोलते हैं। वहीं, मंदारिन राजकार्यों की भाषा है।