मस्कट
दशकों से चली आ रही दुश्मनी को भुलाकर मिडिल ईस्ट के देश मिस्र, जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और बहरीन ने इजराइल के साथ राजनायिक संबंध स्थापित कर लिए हैं। बहरीन के इजराइल के साथ शांति स्थापित करने के फैसले की ओमान ने तारीफ की है जिसके बाद माना जा रहा है कि इस कड़ी में अब अगला नंबर ओमान का ही है। उधर ईरान ने बहरीन के इस कदम को धोखा बताया है और इसके दुष्परिणामों की चेतावनी दी है। अरब न्यूज़ के मुताबिक हाल ही में इजराइल और बहरीन अपने संबंधों को पूरी तरह से सामान्य बनाने को लेकर एक ऐतिहासिक समझौते पर सहमत हुए हैं। इससे पहले UAE और इजराइल के बीच शांति समझौते की औपचारिक शुरुआत पहली आधिकारिक उड़ान के साथ हुई थी। बता दें कि मिडिल ईस्ट के देशों और इजराइल के बीच फिलीस्तीन के मुद्दे पर मतभेद रहे हैं और इनके बीच तीन जंग भी हो चुकी हैं। अरब देशों की मांग रही है कि इजराइल को फिलीस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा देना चाहिए। ईरान इसलिए ही इस बातचीत को धोखा बता रहा है क्योंकि ये ज्यादातर देश अब फिलीस्तीन की मांग से जुड़े अपने मुद्दों को पीछे छोड़ चुके हैं। बता दें कि अरब देशों और इजराइल के संबंध इतने खराब थे कि 1979 में मिस्र के इजराइल समझौते पर साइन करने के बाद उसे अरब लीग ने निकाल दिया गया था। मिस्र के बाद जॉर्डन 1994 में इजराइल के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला दूसरा देश बना था। अब संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने भी इजराइल को मान्यता दे दी है। उधर ईरान और तुर्की जैसे देशों ने मध्य-पूर्व के देशों की ओर से इसराइल को मान्यता देने की इस नई शुरुआत पर अपना कड़ा ऐतराज़ जताया है और इसकी निंदा की है। संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के बाद अब इस बात की संभावना प्रबल होती दिख रही है कि जल्द ही ओमान के साथ भी इजराइल का शांति समझौता हो सकता है और इसके साथ ही इन दोनों देशों के बीच औपचारिक राजनयिक संबंधों की शुरुआत हो सकती है। साल 2018 में इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ओमान के दौरे पर भी जा चुके हैं। तब उन्होंने ओमान के तत्कालीन नेता सुल्तान क़ाबूस के साथ मध्य-पूर्व में शांति क़ायम करने को लेकर चर्चा की थी।
हालांकि, ओमान ने अभी इसराइल को मान्यता देने और उसके साथ किसी भी तरह के समझौते की संभावनाओं के बारे में कुछ आधिकारिक तौर पर नहीं कहा है। लेकिन, ओमान ने बहरीन और इसराइल के शांति समझौते का स्वागत किया है और इसे इजराइल और फिलीस्तीन के बीच शांति स्थापित करने में अहम भूमिका निभाने वाला क़दम बताया है। इसके बाद से इजराइल के साथ ओमान के शांति समझौते की अटकलें तेज़ हो गई हैं।