नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के चार मार्च के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को फिर से ई-कॉमर्स प्रमुख फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच करने का आदेश दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे व जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने ट्रिब्यूनल के फैसले पर रोक का आदेश दिया। जबकि पहले पीठ का मानना था कि यह मामला वापस एनसीएलएटी को भेजा जाए। इस संदर्भ में शीर्ष अदालत ने ऑल इंडिया ऑनलाइन वेंडर्स एसोसिएशन (विक्रेता संघ) और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को नोटिस जारी किया। फ्लिपकार्ट के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सीसीआई सरकार के निष्कर्षों को नहीं देखता है और कर विभाग के निष्कर्षों पर भरोसा करता है। उन्होंने कहा कि अन्य ई-कॉमर्स प्रमुख अमेजन उनकी ग्राहक कंपनी के खिलाफ है और अगर वह एक प्रमुख खिलाड़ी नहीं है, तो फ्लिपकार्ट पर प्रीडेटरी मूल्य निर्धारण के आरोप लागू नहीं होते हैं।
पीठ ने नोटिस जारी किया और एनसीएलएटी के चार मार्च के आदेश पर रोक लगा दी। आगे मामले की सुनवाई होगी। मालम हो कि चार मार्च को एनसीएलएटी ने निष्पक्ष व्यापार नियामक सीसीआई को कहा था कि वह फ्लिपकार्ट के खिलाफ कथित रूप से प्रभावशाली स्थिति का उपयोग करने को लेकर जांच शुरू करे। एनसीएलएटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस संबंध में सीसीआई के पिछले आदेश पर रोक लगा दी थी।
इससे पहले सीसीआई ने अपने पिछले आदेश में ई-कॉर्मस क्षेत्र की बड़ी कंपनी फ्लिपकार्ट को प्रभावशाली स्थिति का उपयोग कर अनुचित व्यवहार के आरोप से दोषमुक्त कर दिया था। अपीलीय न्यायाधिकरण ने सीसीआई को निर्देश दिया कि वह अपने महानिदेशक से आरोपों की जांच करने के लिए कहे। इसके साथ ही पीठ ने कहा था कि निष्पक्ष व्यापार नियामक को फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच शुरू करने का निर्देश दिया जाता है। एनसीएलएटी ने कहा कि अखिल भारतीय विक्रेता संघ (एआईओवीए) ने अपना पक्ष अच्छी तरह रखा है। सीसीआई ने छह नवंबर 2018 को आदेश जारी करते हुए कहा था कि फ्लिपकार्ट और अमेजन ने प्रतिस्पर्धा नियमों का उल्लंघन नहीं किया है और प्रभावशाली स्थिति के दुरुपयोग के एआईओवीए के आरोपों को खारिज कर दिया था।