चंडीगढ़
कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार के साथ लगातार वार्ता विफल होने और सुप्रीम फैसले से आहत किसानों ने अब आंदोलन को चरणबद्ध तरीके से बांट दिया है। 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च से पहले किसान यूनियनों ने 18 जनवरी को महिलाओं को एकजुट करने के लिए महिला किसान दिवस और 23 जनवरी को देशभर में राजभवनों के बाहर डेरा डालने का निर्णय किया है। साथ ही ट्रैक्टर मार्च को सफल बनाने के लिए पंजाब सहित अन्य राज्यों में जनसंपर्क अभियान जारी कर दिया है।
किसान यूनियनों का मानना है कि उन्हें अंदेशा था कि केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए अड़ियल रवैया अपनाएगी। इसी कारण वह पहले से ही आंदोलन को विस्तारित करने में लगे हुए हैं। पंजाब सहित देश के अन्य राज्य हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल के किसानों को अब तक आंदोलन से जोड़ चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निराश किसान यूनियनों ने आंदोलन से महिलाओं को जोड़ने के लिए 18 जनवरी को किसान महिला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया है। इसके पांच दिन बाद 23 जनवरी को आंदोलन के तहत राज्यों के राजभवनों के बाहर किसान डेरा डालेंगे। फिर 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालने की घोषणा की है। इस ट्रैक्टर मार्च को सफल बनाने के लिए किसान यूनियनें स्थानीय स्तर पर बैठक कर लोगों का समर्थन जुटा रही हैं।