आईएचआरसी’ अभिलेखों के रचनाकारों, संरक्षकों और उपयोगकर्ताओं का एक अखिल भारतीय मंच है, जिसकी स्थापना 1919 में अभिलेखों के प्रबंधन और ऐतिहासिक अनुसंधान के लिए उनके उपयोग से जुड़े सभी मुद्दों पर सरकार को सलाह देने के लिए की गई थी।
नयी दिल्ली। भारतीय ऐतिहासिक अभिलेख समिति (आईएचआरसी) का 63वां सत्र 18-19 दिसंबर को लखनऊ में आयोजित किया जाएगा। इस दौरान विभिन्न विद्वान 24 अकादमिक शोध दस्तावेज पेश करेंगे। ‘आईएचआरसी’ अभिलेखों के रचनाकारों, संरक्षकों और उपयोगकर्ताओं का एक अखिल भारतीय मंच है, जिसकी स्थापना 1919 में अभिलेखों के प्रबंधन और ऐतिहासिक अनुसंधान के लिए उनके उपयोग से जुड़े सभी मुद्दों पर सरकार को सलाह देने के लिए की गई थी।
नयी दिल्ली में भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (एनएआई) भारतीय ऐतिहासिक अभिलेख आयोग (पूर्व में भारतीय ऐतिहासिक अभिलेख समिति) का सचिवालय है। आईएचआरसी का 63वां सत्र 18-19 दिसंबर को उत्तर प्रदेश राज्य अभिलेखागार, लखनऊ में आयोजित किया जाएगा। इस दो दिवसीय सत्र में पहले दिन उद्घाटन और व्यावसायिक सत्र होंगे, जबकि अगले दिन एक शैक्षणिक सत्र का आयोजन किया जाएगा। एनएआई ने एक बयान में कहा कि विद्वानों द्वारा इतिहास के विभिन्न पहलुओं पर आधारित कुल 24 शोध दस्तावेज प्रस्तुत किए जाएंगे।
आईएचआरसी की अध्यक्षता केंद्रीय संस्कृति मंत्री करते हैं और इसमें भारत सरकार की एजेंसियों, केंद्र सरकार के नामित व्यक्तियों, विभिन्न राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों, विश्वविद्यालयों और संस्थानों के अभिलेखागार के प्रतिनिधियों सहित 134 सदस्य शामिल हैं। आईएचआरसी ने अब तक 62 सत्र आयोजित किए हैं। अधिकारियों ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान एनएआई के संग्रह से मूल अभिलेखीय स्रोतों पर आधारित ‘‘स्वतंत्रता की गाथा : ज्ञात और कम ज्ञात संघर्ष’’ नामक एक प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया जाएगा।