Probe Illegal Madrasa: नेपाल सीमा पर अवैध मदरसों को कौन कर रहा है फंडिंग? योगी सरकार ने जिलाधिकारियों को दिए जांच के आदेश

उत्तर प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा है कि नेपाल की सीमा पर ऐसे मदरसे हैं, जो अपने डोनेशन ग्रुप का नाम नहीं बता रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे मदरसों की पहचान कर ली गई है।

पिछले तीन वर्षों में उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से सटे भारत-नेपाल सीमा पर मस्जिदों और मदरसों की बढ़ती संख्या गंभीर सुरक्षा चिंताओं का विषय है, खुफिया एजेंसियों ने भी हाल ही में अपनी रिपोर्ट में इसको लेकर चिंता जाहिर की थी। रिपोर्ट में कहा गया है था कि धार्मिक सेटअप नेपाल की सीमा से 10 किमी के भीतर और नेपाल की सीमा के पार भी हैं, जिससे बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सीमावर्ती क्षेत्रों के कुछ हिस्सों में जनसांख्यिकीय परिवर्तन हुआ है। अब नेपास की सीमा से सटे अवैध मदरसों पर उत्तर प्रदेश सरकार सख्त नजर आ रही है। यूपी सरकार ने जिले के जिलाधिकारियों को नेपाल सीमा से सटे अवैध मदरसों के फंडिंग स्रोतों की जांच के आदेश दिए हैं। बताया जाता है कि इन मदरसों ने खुद को चलाने के लिए मिलने वाले जकात यानी दान के पैसे को अपने इनकम का जरिया घोषित किया हुआ है। 

उत्तर प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा है कि नेपाल की सीमा पर ऐसे मदरसे हैं, जो अपने डोनेशन ग्रुप का नाम नहीं बता रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे मदरसों की पहचान कर ली गई है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि ऐसा लगता है कि इन मदरसों को बाहर से पैसा मिल रहा है। कोई बाहर से उन्हें फंड क्यों देगा? योगी सरकार के मंत्री ने साफ कहा कि हम नहीं चाहते कि हमारे बच्चों का गलत इस्तेमाल हो, इसकी संभावनाएं हैं। 

मदरसों की अवैध फंडिंग का क्या है मामला? 

अधिकारियों ने खुफिया जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि पिछले तीन वर्षों में, नेपाली क्षेत्रों में मस्जिदों की संख्या 2018 में 760 से बढ़कर 2021 में 1,000 हो गई है, जबकि मदरसों की संख्या 2018 में 508 से बढ़कर 2021 में 645 हो गई है। सुरक्षा ग्रिड के सूत्रों ने कहा कि इन धार्मिक प्रतिष्ठानों को पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) और विदेशों में काम कर रहे अन्य भारत विरोधी संगठनों द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है। सुरक्षा बलों के अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि इन मस्जिदों और मदरसों के आकार और भव्यता से ही विदेशी फंडिंग का संकेत मिलता है और इन धार्मिक घरानों को आईएसआई के अलावा अरब देशों से भी फंडिंग मिलती है। 

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