नई दिल्ली बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा है कि भारत और चीन के सामने बस ‘हिंदी चीनी-भाई भाई’ ही इकलौता रास्ता है। डोकलाम को गंभीर मसला न मानते हुए उन्होंने कहा कि भारत और चीन, दोनों को सहयोग करते हुए साथ-साथ ही रहना होगा। 16 जून से शुरू हुए डोकलाम गतिरोध पर अब तक दलाई लामा का कोई बयान नहीं आया था, लेकिन बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरू ने कहा कि वह इसे बहुत बड़ा मसला नहीं मानते हैं। तिब्बत पर चीन के नियंत्रण के बाद से ही दलाई लामा भारत में रह रहे हैं। डोकलाम गतिरोध के अलावा दलाई लामा ने लोकतंत्र की बात करते हुए भारत की काफी तारीफ भी की। उन्होंने भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की प्रशंसा करते हुए उम्मीद जताई कि शायद एक दिन चीन भी लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपना लेगा।
हिमाचल प्रदेश स्थित धर्मशाला में मीडिया से बात करते हुए दलाई लामा ने कहा, ‘डोकलाम में जारी गतिरोध बहुत गंभीर मुद्दा नहीं है। भारत और चीन को साथ मिलकर रहना होगा।’ दलाई लामा ने कहा कि चूंकि दोनों को एक-दूसरे के साथ ही रहना है, इसीलिए उन्हें आपस में अच्छे संबंध बनाने चाहिए। दलाई लामा ने यह भी कहा कि जहां आजादी नहीं है, उस जगह को वह पसंद नहीं करते। हालांकि उन्होंने चीन का नाम नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि उनका यह बयान पेइचिंग के लिए ही है। उन्होंने आजादी की अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि भारत ने उन्हें अपना यहां शरण दी और यहां असल मायने में आजादी है।
दलाई लामा ने कहा, ‘भारत में स्वतंत्रता है, आजादी है। यहां मैं ज्यादा चीजें कर सकता हूं। यहां अपने विचार साझा करने के ज्यादा मौके मिलते हैं। जहां आजादी नहीं होती, वह जगह मुझे रास नहीं आती।’ दलाई लामा ने कहा कि भारत में रह रहा तिब्बती समुदाय खुद भी लोकतांत्रिक तरीकों का पालन करता है। उन्होंने कहा, ‘हमारा छोटा सा तिब्बती समाज पूरी तरह से लोकतांत्रिक तरीकों का पालन करता है। मैं लोकतंत्र का प्रशंसक हूं।’ दलाई लामा ने उम्मीद जताई कि शायद एक दिन चीन में भी लोकतंत्र कायम हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘एक दिन आखिरकार चीन के लोगों की इच्छा का सम्मान करते हुए कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना भी लोकतांत्रिक प्रणाली का पालन करने लगेगी।’