डॉ. वेदप्रताप वैदिक
क्या सारी दुनिया में उत्तर कोरिया-जैसा भी कोई देश है ? ढाई करोड़ लोगों के इस छोटे-से देश ने सारी दुनिया की नाक में दम कर रखा है। संयुक्तराष्ट्र संघ ने उसके खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं लेकिन वह अपनी टेक से टस से मस नहीं हो रहा है। उसके नेता कह रहे हैं कि ये प्रतिबंध अमेरिका की साजिश से लगवाए गए हैं। वह अमेरिका को हजार-गुना सख्त सबक सिखाएगा। उत्तर कोरिया का दोष यह है कि वह अब तक पांच परमाणु परीक्षण कर चुका है और पिछले माह उसने दो अंतर्महाद्वीपीय प्रक्षेपास्त्र छोड़े हैं अर्थात यह देश चाहे तो अमेरिका पर सीधा परमाणु हमला कर सकता है। वह सुदूर-पूर्व के देशों में तैनात 40 हजार अमेरिकी सैनिकों को तत्काल खत्म कर सकता है। उसकी विनाशकारी क्षमता भारत और पाकिस्तान से भी ज्यादा है और उसके दुस्साहस के क्या कहने ? वह तो हिटलर और मुसोलिनी को भी मात कर रहा है। उत्तर कोरिया ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए थे लेकिन बाद में उसने उसका बहिष्कार कर दिया था। उसके ढाई करोड़ लोगों में से लगभग दो करोड़ लोग या तो फौज में हैं या सैन्य-प्रशिक्षण पाये हुए हैं। यह देश 1950 से 1953 तक युद्ध लड़ चुका है। आधा उत्तरी कोरिया रुस और आधा दक्षिण कोरिया अमेरिका के कब्जे में चला गया। भारत और पाकिस्तान की तरह एक ही देश के दो टुकड़े हो गए और ये दोनों टुकड़े पिछले 60-70 साल में एक-दूसरे से इतने अलग हो गए कि उनमें सदा तलवारें खिंची रहती हैं। आजकल उत्तर कोरिया का वली-वारिस चीन ही है लेकिन अब चीन और रुस ने भी अमेरिका का साथ देते हुए ऐसे प्रतिबंध उ. कोरिया पर लगा दिए हैं कि यदि वह अपने प्रक्षेपास्त्र परीक्षण नहीं रोकेगा तो दुनिया के राष्ट्र उससे कोयला, लोहा, शीशा और समुद्री खुराक नहीं खरीदेंगे। उसे लगभग 1.3 बिलियन डाॅलर का घाटा होगा। उसकी अर्थ-व्यवस्था बैठ जाएगी। इन कड़े प्रतिबंधों और उ. कोरिया की हठधर्मी के बावजूद अमेरिका और चीन की कोशिश है कि बातचीत से कोई हल निकल आए। जब दोनों कोरियाओं के बीच युद्ध चल रहा था तो जवाहरलाल नेहरु ने शांति की पहल की थी। अब भारत सरकार क्या कर रही है ?