कानपुर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेवी वैशम्पायन व लखनऊ विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसरों के खिलाफ लगे आरोपों के मामले में दो माह में निर्णय लेने को कहा है। मामला राज्यपाल के यहां विचाराधीन है। तीनों पर नम्बर की कटिंग कर नम्बर बढ़ाने व अवार्ड लिस्ट में डिकोडिंग करने के आरोप हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला व न्यायमूर्ति वीरेंद्र कुमार (द्वितीय) की खंडपीठ ने प्रोफेसर नरसिंह की एक याचिका पर दिए। याची व उनके अधिवक्ता डॉ. वीके सिंह के मुताबिक वर्ष 2010 में तत्कालीन एक्जामिनेशन सुपरिटेंडेंट प्रो. जेवी वैशम्पायन व सहायक एक्जामिनेशन सुपरिटेंडेंट आरके माहेश्वरी और रचना मुज्जु ने याची द्वारा ही जांची गई कॉपी में कटिंग कर नम्बर बढ़ाए व अवार्ड लिस्ट में डिकोडिंग की थी।
इस मामले में विवाद उठने पर विजिलेंस की जांच भी कराई गई। विजिलेंस की टीम ने जांच के दौरान लगाए गए सभी आरोपों को सही पाया। इसके बाद फिर रिटायर्ड जस्टिस आलोक कुमार सिंह व पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता की कमेटी ने भी इस मामले की जांच की। अधिवक्ता के अनुसार उक्त कमेटी ने भी तीनों के खिलाफ कार्यवाही चलाने का अनुमोदन किया। इसके पश्चात तीनों के खिलाफ चार्जशीट भी फाइल कर दी गई।
लखनऊ विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक में भी जांच रिपोर्ट को एप्रूव करते हुए कार्रवाई करने से पहले कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेवी वैशम्पायन से अपना पक्ष रखने को कहा। अभी प्रक्रिया आगे ही बढ़ती कि इसी बीच राज्यपाल ने प्रो. वैशम्पायन को स्टे दे दिया। स्टे मिलने से पूरी प्रक्रिया ठप हो गई। जिसके खिलाफ याची ने उक्त याचिका दाखिल की। न्यायालय ने सुनवाई करने के उपरांत दो माह में मामले पर निर्णय लेकर कोर्ट को सूचित करने को कहा है। मामले की अग्रिम सुनवाई पांच अक्तूबर को होगी।