मुगलसराय केंद्र सरकार ने एशिया के सबसे बड़े रेलवे यार्ड मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखने को मंजूरी दे दी है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब मुगलसराय का नाम बदला गया है। पुराने दस्तावेजों में इसके कई नाम मुगलचाक, मंगलपुर और ओवन नगर दर्ज मिलते हैं। जब रेलवे ने यहां 1883 में जंक्शन बनवाया तो इसे मुगलसराय नाम दिया गया।
ग्रैंड ट्रंक रोड में स्थित होने की वजह से इसे शेरशाह सूरी ने सड़क-ए-आजम का नाम दिया था। मुगलसराय मुगल काल के दौरान उत्तर भारत और पूर्वी भारत के बीच के मुख्य कॉरिडोरों में से एक था। रेलवे के रेकॉर्ड के मुताबिक, जब ब्रिटिश भारत में रेलवे लाइनें बिछा रहे थे तो 1862 में पटना-मुगलसराय डिविजन अस्तित्व में आया और उसके बाद 1864 में मुगलसराय-इलाहाबाद डिविजन बना। 1898 में मुगलसराय-वाराणसी-रायबरेली और 1900 में मुगलसराय-गया डिवीजन्स बने।
संघ के दस्तावेजों में 1970 में ही इसका नाम बदलकर जनसंघ नेता दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर रखे जाने का विवरण मिलता है। जनसंघ नेता दीन दयाल उपाध्याय और मुगलसराय के गहरे रिश्ते को याद करते हुए आरएसएस डिस्ट्रिक्ट चीफ शंभु नाथ गुप्ता ने बताया, उनकी रहस्यमय मौत के बाद 11 फरवरी 1968 को रेलवे स्टेशन के प्लैटफॉर्म के एक पोल नंबर 36 के पास उनका शव बरामद हुआ था। जीआरपी ने लावारिस शव को अपने कब्जे में ले लिया, बाद में आरएसएस नगर संघ चालक गुरुबख्श कपाही ने शव की शिनाख्त की।