केरल में एसएल राजेश की हत्या एवं उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए बुधवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक विरोध प्रदर्शन काआयोजन किया गया। स्वतंत्र बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों, कलाकारों और विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले लोगों ने इस विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। राष्ट्रीय स्वयंसेव संघके बस्ती कार्यवाह एस. एल. राजेश की बर्बरतापूर्ण हत्या की गई जो केरल सरकार द्वारा प्रतिरोधी और दमनकारी नीतियों का एक उदाहरण है। सीपीआई (एम)सरकार एक तानाशाही तरीके से व्यवहार कर रही है जिससे अन्य विचारधाराओं के राजनीतिक कार्यकर्ताओं की जिंदगी और सम्पत्ति खतरे में है।
दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय आदि के शैक्षणिक समूह सेबड़ी संख्या में शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया और यह नागरिक समाज के क्रोध और पीड़ा को दर्शाता है। राज्य सरकार केरल में अपने स्वयं के लोगों कीसुरक्षा के अपने संवैधानिक और नैतिक दायित्वों को निभाने में में विफल रही है।
विभिन्न राजनैतिक विचारधाराओं को पनपने के लिए पर्याप्त जगह दी जानी चाहिए। यह देखा गया है कि केरल में एलडीएफ शासन के पिछले 13 महीनों में 14राजनीतिक हत्याएं हुई हैं। चार मारे गए व्यक्ति दलित समुदाय के थे। उन सभी लोगों को बर्बरतापूर्वक मार दिया गया जो एक विशेष विचारधारा के समर्थक थे,अर्थात् राष्ट्रवाद की विचारधारा से संबंध रखते थे।
ऐसी हत्याओं से किसी भी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी बल्कि प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और भारत के सामाजिक ताने-बाने में अस्थिरता पैदाहोगी। सेव सोसायटी, सेव इंडिया के नारे के साथ सबने एकजुटता का भाव प्रकट किया।