लखनऊ समाजवादी पार्टी को मिल रहे एक के बाद एक झटके लगातार जारी है। अभी-अभी एक और दिग्गज नेता ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है। ये दिग्गज नेता और कोई नहीं बल्कि मुलायम सिंह के बेहद करीबी डॉ अशोक बाजपेई है, जिन्होंने आज विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। वहीं सूत्रों के मुताबिक सपा के एमएलसी रामसकल गुर्जर के बारे में भी खबरें आ रही हैं कि वह भी विधानपरिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे सकते हैं। हालांकि इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हो सकी है।
इस्तीफा देने के बाद डॉ.अशोक बाजपेई ने कहा कि वह मुलायम सिंह यादव नेताजी की उपेक्षा से बहुत आहात थे। उनकी उपेक्षा की वजह से उन्होंने एमएलसी पद से इस्तीफा दिया है। सूत्रों के अनुसार डॉ अशोक बाजपेई जल्द ही बीजेपी ज्वाइन कर सकते हैं। गौरतलब है कि डॉ अशोक से पहले भी समाजवादी पार्टी के तीन एमएलसी सपा का दामन छोड़ चुके हैं। इनमें बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह और डॉ. सरोजनी अग्रवाल के नाम प्रमुख हैं। वहीं बसपा भी पार्टी में टूट से जूझ रही है। पार्टी के ठाकुर जयवीर सिंह भी विधानपरिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं। ये सब बीजेपी में शामिल भी हो चुके है।
डा.सरोजनी अग्रवाल के इस्तीफे से मेरठ सहित वेस्ट यूपी की राजनीति में सपा को करारा झटका लगा है। इस्तीफा देने के बाद उन्होंने भाजपा में शामिल होने की भी घोषणा कर दी है। समाजवादी पार्टी (सपा) के गठन के बाद से डा.सरोजनी अग्रवाल पार्टी की कार्यकर्ता बनी। अशोक वाजपेयी की भाजपा में जाने की तैयारी है। हाल ही में सपा के नेता बुक्कल नबाव, यशवंत सिंह व सरोजनी अग्रवाल विधान परिषद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके अलावा बसपा के जयवीर सिंह ने भी एमएलसी सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था।
अशोक वाजपेयी का विधान परिषद में कार्यकाल 30 जनवरी 2021 तक था। अशोक वाजपेयी ने इस्तीफे के बाद पत्रकारों से कहा कि सपा में नेता जी (पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव) की उपेक्षा हो रही थी। जिसने पार्टी को खड़ा किया, उसी की उपेक्षा हो रही है। इस कारण वह खासे आहत थे। हाल ही में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने नेताओं के भाजपा में जाने के सवाल पर कहा था कि जिनको जाना है तो जाएं लेकिन बहाना न बनाएं। अगली बार उनकी सरकार बनेगी। सूत्र बताते हैं कि सपा के एमएलसी मधुकर जेतली व राम सकल गूर्जर भी इस्तीफा दे कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
वैसे डॉ अशोक बाजपेई के इस्तीफे को समाजवादी कुनबे में छिड़ी लड़ाई से जोड़कर देखा जा रहा है। मंगलवार को ही लोहिया ट्रस्ट की बैठक हुई। इस ट्रस्ट के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव हैं। बैठक में न तो अखिलेश यादव उपस्थित हुए न ही रामगोपाल यादव। इसके बाद बैठक में टीम अखिलेश के 4 अहम सदस्यों को ट्रस्ट से बेदखल कर दिया गया। इनमें ऊषा वर्मा, रामगोविंद चौधरी, अहमद हसन और आलोक शाक्य की सदस्यता रद्द कर दी गई। वहीं 4 नए सदस्यों की लोहिया ट्रस्ट में इंट्री हुई, जिनमें समाजवादी बैद्धिक सभा के दीपक मिश्रा, इटावा के रामसेवक, रामनरेश और हरदोई के राजेश यादव ट्रस्ट के सदस्य बनाए गए।