नई दिल्ली
आजादी के 70 साल पर मैं पूरे देश में रोमांच, गर्व और उत्सव का अहसास कर रहा हूं। आज हम जहां खड़े हैं उसके लिए हमारे पूर्वजों ने कड़ी मेहनत की है और यही कारण है कि जो देश कभी हमें अशिक्षित और असभ्य कहकर मजाक उड़ाते थे, वे आज हमारी प्रतिभा के बूते पल रहे हैं। अब हमारे डॉक्टरों और इंजीनियरों की फौज उनके देश की कमजोर नसों को दुरुस्त कर रहे हैं। आर्थिक मोर्चे के साथ-साथ हम खेल, सैन्य और बौद्धिक संपदा के मामले में भी आगे बढ़ रहे हैं। आज अमेरिका और रूस सहित दुनिया के तमाम देशों के बीच हमसे दोस्ती गांठने की होड़ लगी है। हम चीन के सामने सीना तानकर खड़े हुए हैं। चीन को भी पता है कि भारत से लड़कर उसका नुकसान होगा। हम इस पड़ोसी देश को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। कुल मिलाकर कहें तो आजादी के 70 साल में हमने काफी कुछ पाया है लेकिन अभी उससे ज्यादा पाना है।
हमें हर क्षेत्र में ऐसा मुकाम हासिल कर लेना है जिससे कोई दूसरा हमारे खिलाफ खड़ा भी न हो सके। निश्चित तौर पर भारतीय नेतृत्व ऐसा सोच भी रहा होगा और ऐसा करेगा भी। जब मैंने होश संभाला तब और अब में देश की राजधानी में काफी अंतर है। मैं यही पला-बढ़ा और इसलिए दिल्ली को बेहद करीब से देखा है। देश के विकास की रूपरेखा भी यहीं से तय होती है और बहुत हद तक यह देश की प्रगति को भी प्रतिबिंबित करती है। कभी निश्चित साइकिलों वाली दिल्ली में आज कारों की बाढ़ आ गई है। हमारे हुक्मरानों ने सड़कों और ओवरब्रिज से राजधानी के रेंगते वाहनों को फर्राटा भरने लायक बना दिया। अभी मैं जॉर्जिया के कोच के साथ ट्रेनिंग कर रहा हूं और वह भारत की प्रगति से बहुत ज्यादा प्रभावित हैं। मैं अब खिलाड़ी के साथ एक प्रशासक की भी भूमिका में हूं और यही कारण है कि मैं भी देश की तरक्की में योगदान देने के लिए पूरी तरह मेहनत कर रहा हूं क्योंकि यह हमारा कर्तव्य है कि हम जिस भी भूमिका में रहें वह चाहें खिलाड़ी की हो, प्रशासक की हो या एक आम नागरिक की, उसके साथ न्याय करें और हमेशा देश की प्रगति में योगदान दें।
एक खिलाड़ी के तौर पर मैंने लगभग पूरी दुनिया घूमी है और बहुत सारे देशों को करीब से देखा और समझा है लेकिन सच कहूं कि वहां एक सप्ताह से ज्यादा नहीं रह पाता हूं। यही अंतर है भारत और बाकी देशों में। खास तौर पर हम जैसे जमीन से जुड़े लोगों के लिए। हमें यहां की मिट्टी, खुशबू और लोगों से प्यार है। हमारी सदियों पुरानी संस्कृति है जिसे सहेजते हुए हम यहां तक पहुंचे हैं। हमारे देश के वैज्ञानिकों ने सिर्फ 450 करोड़ रुपये में मंगल मिशन पूरा कर दिया। इसरो की इस उपलब्धि पर रूस और अमेरिका सहित पूरी दुनिया नतमस्तक है।
संबोधन के दौरान एक कटी पतंग मंच के नीचे आ गिरी
स्वतंत्रता दिवस के दिन मंगलवार को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित कर रहे थे तभी एक दिलचस्प घटना घटी। उनके संबोधन के दौरान एक कटी पतंग मंच के नीचे आ गिरी। काले रंग की यह पतंग उस समय मंच के पास आकर गिरी जब प्रधानमंत्री मोदी अपना संबोधन समाप्त करने वाले थे।
सुरक्षा इंतजाम के लिहाज से अतिसंवेदनशील घोषित किये गये कार्यक्रम स्थल पर प्रधानमंत्री के संबोधन के लिये बनाये गये मंच के नीचे आकर गिरी। इस पतंग से हालांकि कार्यक्रम में कोई रुकावट नहीं आई और पीएम मोदी ने भी लगभग 56 मिनट का अपना संबोधन बिना किसी बाधा के पूरा किया।
स्वतंत्रता दिवस समारोह के आयोजन स्थल लाल किले के आसपास जमीन से लेकर आसमान तक सुरक्षा के ऐसे पुख्ता इंतजाम किये गये थे कि परिंदा भी पर न मार सके। स्वतंत्रता दिवस समारोह और जन्माष्टमी के पर्व को देखते हुये मुख्य आयोजन स्थल सहित समूची दिल्ली में अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था के तहत दिल्ली पुलिस के लगभग 70 हजार जवान चप्पे चप्पे पर तैनात थे। इनमें से 9100 पुलिसकर्मी और प्रशिक्षित कमांडो लाल किला और आसपास के इलाके में तैनात थे।