नई दिल्ली
देश की आधी आबादी बाढ़ की चपेट में है। बिहार, यूपी, असम और गुजरात में लाखों लोग बाढ़ के प्रकोप में है। बिहार में अब तक 56 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है वहीं, गुजरात में 200 से ज्यादा लोग और असम में 100 से ज्यादा लोगों की जान गई है। अगस्त के महीने में बाढ़ ने तबाही मचाई है। मरने वालों की आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, लेकिन अब भी राहत कार्य जारी है। यूपी के गोंडा, बाराबंकी, गोरखपुर में कई नदियों का जलस्तर बढ़ने की वजह से ये हालात पैदा हुए हैं।
बिहार में बाढ़ के चलते अब तक 56 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 69.41 लाख प्रभावित है। बिहार में 13 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। अब तक 248140 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। बाढ़ से प्रभावित लोगों को आश्रय देने के लिए 343 शिविर स्थापित किए गए हैं, इन शिविरों में 93149 लोग रह रहे हैं। बाढ़ के चलते अररिया में 20, पश्चिम चंपारण में 9, किसनगंज में 8, सीतामढ़ी में 5, मधेपुरा में 4, मधुबनी, दरभंगा और पुर्वी चंपारण में में 3-3, शिवहर में 1 मौत हो चुकी है। आपदा प्रबंधन विभाग ने अगले 24 घंटो तक बिहार के सभी जिलों में भारी बारिश एवं बज्रपात होने की संभावना के मद्देनजर लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है।
एक तरफ बैराजों से छोड़ा जा पानी दूसरी तरफ बाराबंकी में मंगलवार को कटे बंधे ने गोंडा में बाढ़ की त्रासदी की मंजर रच दिया है। घरौदें छोड़कर जिन्दगी बचाने की जद्दोजहद में जुटे बाढ़ विस्थापितों को देखकर कलेजा मुंह को आता है। न खाने को रोटी है न दो घूंट पानी, बस है तो सिर्फ सांसे जो सरकार से मदद की आस में चल रही है। 24 घंटों के दौरान जिले की दो तहसीलों समेत चार सौ से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। मंगलवार को बाराबंकी में एल्गिन चरसड़ी बांध कटने के बाद सारा पानी गोंडा के गांवों में पहुंच गया है।प्रभावित इलाकों के लोग भाग भाग कर उंचे स्थानों पर पहुंच जान बचा रहे हैं। भूख से बिलबिलाते बच्चें और तड़पती माओं के आंसू सैलाब के सितम की गवाही देते हैं। हिन्दुस्तान ने नये प्रभावित इलाकों का दौरा किया तो सरकार और प्रशासन के मदद और राहत के सारे दावें भी बाढ़ में बहते दिखाई दिए।
गोंडा के बहुवनमदार मांझा के दक्षिण तीन किलोमीटर की दूरी पर अचानक एल्गिन चरसड़ी बांध कट गया। यह बंधा जिला बाराबंकी, तहसील रामस्नेहीघाट का बासगांव दयारामपुरवा के मुहाने पर कटा। बांसगांव पूरी तरह बाढ़ के जद बांसगांव दयारामपुरवा के सैकड़ो ग्रामीणों ने जस तस अपने परिवारीजनों को लेकर किसी तरह बंधे की तरफ भागकर जान बचाई।कुशमा पत्नी नारायण ने बताया कि बंधा कटते ही वह अपने दो माह की पुत्री को लेकर भागकर किसी तरह जान बचाई। बाढ़ के पानी से घिरे गांवों में मल्लाहनपुरवा, दयारामपुरवा, महन्तनपुरवा, ग्वालनपुरवा, पासिनपुरवा, कोटेदारनपुवा, नई बस्ती रोशन चौराहा, सूर्य बंशन पुरवा, व गढ़ी शामिल है। प्रशासन की तरफ यहां के ग्रामीणों को अभी तक ईधन, राशन, पानी की कोई व्यवस्था नही हो पाई हैं। बंधे पर हजारों ग्रामीण किसी तरह छाता व धोती के सहारे छांव बनाकर किसी तरह गुजर बसर करने को विवश है। बांसगांव के राम अवतार, नारायण, हौसिला, मुखिया, बसंतलाल ने बताया कि बंधा कटने के बाद भाग कर किसी तरह जान बचाई। डीएम जेबी सिंह ने बताया कि तरबगंज और करनैलगंज के चार सौ गांव अब तक प्रभावित हुये हैं। बाढ़ पीड़ितों को हर तरह से मदद और राहत पहुंचाई जा रही है। एनडीआरएफ को लगाया गया है। सभी अफसरों की छुट्टियों पर रोक लगा दी गई है। जिले को आपदा ग्रस्त घोषित किया गया है। शासन से मदद मांगी जा रही है।
हालांकि आपदा प्रबंदक विभाग ने 41 लोगों की पुष्टि कर रहा है। इस बाढ़ से 70 लाख से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हुए है। मंगलवार को दरभंगा-सीतामढ़ी रेलखंड पर बाढ़ का पानी चढ़ गया जिसके कारण ट्रेन परिचालन बंद कर दिया गया। ट्रेन सेवा दरभंगा की ओर से भी बंद हो जाने के कारण अब सीतामढ़ी जिला का संपर्क ही रेल के माध्यम कट गया है। इसकी वजह से तामढ़ी-मुज्जफरपुर के बीच भी ट्रेन परिचालन भी रुक गया है। वहीं, सीतामढ़ी शहर के भी कई वार्डों में लखनदेई नदी का पानी पसर गया है। इससे कई घरों में पानी घुस गया है। लोग रेलवे ट्रैक पर शरण लिए हुए है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। इस दौरे के बाद पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि राहत और बचाव का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। उन्होंने कहा कि बाढ़ से सबसे ज्यादा अररिया, किशनगंज का बड़ा हिस्सा, पूर्णिया के तीन ब्लॉक और कटिहार का एक ब्लॉक प्रभावित हुआ है।
नीतीश ने बताया कि वह केन्द्र सरकार से भी आग्रह किया है कि वह बिहार के लिए जरूरी मदद करें। उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में उन्होंने पीएम मोदी, रक्षा मंत्री और गृहमंत्री से बात की है। उन्होंने कहा कि मैं पीएम मोदी को धन्यवाद देता हूं कि रविवार को एनडीआरएफ की चार टीमें बिहार पहुंच गई थी। वहीं एनडीआरएफ की छह टीमें आज बिहार पहुंची है जो अलग-अलग बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत बचाव का काम देख रही हैं। उन्होंने कहा कि सेना की भी मदद उन्हें मिल रही है।
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलाधिकारी बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे और पूरी स्थिति का जायजा लेंगे। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को ही काम करना है इसलिए उन्हें देखना चाहिए कि ग्राउंड स्तर पर क्या हालात हैं और इससे उन्हें सभी चीजों का अहसास होगा। नीतीश ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की हर संभव मदद की जाएगी और रिलीफ कैंप भी चलाए जाएंगे। जो लोग रिलीफ कैंप पर रहना पसंद नहीं करते उनके लिए भोजन का इंतजाम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब गंगा नदी का जलस्तर ऊपर हुआ तो हमने फूड कैंप (लंगर) चलाए थे और ऐसे हालात में वो भी चलना होगा। सीएम ने कहा कि पानी जो गांव में घुसा है उसे निकलने में समय लगेगा। हालांकि पानी कम हो रहा है लेकिन जिस तरह से चारों तरफ पानी फैला है उसे निकलने में अभी समय लगेगा। बाढ़ में फंसे लोगों की मदद की पूरी कोशिश की जा रही है। इतना ही नहीं इन इलाकों में नुकसान की भरपाई की पूरी कोशिश करेंगे। सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई करेंगे।
बिहार में अररिया, मोतिहारी, किसनगंज, कटिहार और भागलुपर में बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित है। बिहार के 13 जिले 70 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं। यूपी के 75 जिलों में से 15 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। लाखों लोग घरों से निकलने पर मजबूर हैं। एनडीआरएफ की कई टीमें राहत कार्य में जुटी है। बिहार की ओर से जाने और आने वाली कई ट्रेनें रद्द कर दी गई है। रेल परिचालन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। मोबाइल सेवा पूरी तरह से ठप है। नेपाल में हो रही तेज बारिश से वहां भी बाढ़ आ गई है। हजारों पर्यटक फंसे हुए हैं। लोगों के घरों में पानी घुस गया है। जुलाई और अगस्त में हुई तेज बारिश ने कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। चारों ओर बाढ़ से हाहाकार मची हुई है। प्रशासन ने कई इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। बिहार में लोग घरों से निकलकर सामूहिक कैंटीन चला रहे हैं। हम आपको देश के हालातों से रू-ब-रू कराते हैं।