नई दिल्ली
कैबिनेट फेरदबल के बाद प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने गवर्नेंस और डिलिवरी यानी शासन और आमलोगों को इससे होने वाले लाभ के स्तर पर सख्त रवैया अपनाने का फैसला किया है। 2019 के आम चुनाव से लगभग डेढ़ साल पहले तीसरे फेरदबल के बाद पीएम मोदी ने 100 दिनों बाद सभी मंत्रियों को रिजल्ट देने का सख्त निर्देश दिया है। अगर इस दौरान इनके प्रदर्शन में सुधार नहीं हुआ तो तीन महीने बाद एक और बदलाव किया जा सकता है। रविवार को हुए फेरबदल के बाद सरकार में 75 मंत्री बने हैं और नियम के अनुसार सरकार में अधिकतम 81 मंत्री हो सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, पीएमओ सीधे इन मंत्रियों के प्रदर्शन को आंकेगा। दरअसल, इन सभी मंत्रियों के लिए मानक तय किया गया है। हालिया फेरबदल में भी पीएमओ ने ही सभी मंत्रियों को काम के आधार पर नंबर दिए थे। सूत्रों का कहना है कि कम से कम आधा दर्जन मंत्रियों पर पीएमओ की खास नजर है और उन्हें हर हाल में 100 दिनों के अंदर अपने कामकाज में सुधार लाने की अंतिम चेतावनी दी गई है। इसके लिए मंत्रियों को होमवर्क भी दिया गया है और कहा गया है कि निश्चित समय में वे टास्क पूरा कर अपनी कुर्सी बचा लें। पीएमओ ने मंत्रियों के कामकाज को आंकने के लिए योजना बनाई है और साथ ही उनका कामकाज जमीन पर कितना पहुंच रहा है, उसे तय करने का भी पैमाना तय किया है। मंत्रियों की तरह सेक्रेटरी के लिए भी मानक तय किए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, अगर पीएम मोदी द्वारा तय मानकों पर काम नहीं हुआ तो 100 दिनों के बाद मंत्रियों को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। सरकार से जुड़े एक सीनियर अधिकारी के अनुसार, अब अगला एक साल अहम होगा और इसमें सबसे जरूरी है योजनाओं का असर जमीन तक पहुंचे। पीएमओ के फीडबैक के अनुसार, ऊपर से सुस्ती के कारण कुछ बड़ी महत्वाकांक्षी योजनाओं को उतनी अपेक्षित सफलता नहीं मिली, जितनी मिल सकती थी। इसके अलावा सभी मंत्रियों को एक बार फिर सोशल मीडिया का आक्रामक रूप से इस्तेमाल कर सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाना है। सूत्रों के के मुताबिक, 2019 के आम चुनाव से पहले पीएम अपने रिपोर्ट कार्ड को अंतिम रूप देने का काम शुरू करने वाले हैं और उसी के अनुरूप मंत्रियों को साफ तौर पर टारगेट दिए गए हैं।
पीएम मोदी तीन महीने बाद एक और कैबिनेट फेरदबल कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, अगले फेरबदल में ही अब जेडीयू और एआईएडीएमके के मंत्रियों को जगह मिलने की संभावना है। बीते रविवार को हुए फेरदबल में किसी भी सहयोगी को जगह नहीं दी गई थी। सूत्रों के अनुसार, कुछ मंत्रियों को 3 महीने में अपना कामकाज सुधारने और इसका असर दिखाने की डेडलाइन दी गई है। अगर सुधार नहीं हुआ तो इन्हें ड्रॉप किया जा सकता है। अब तक पीएम मोदी खराब प्रदर्शन के आधार पर 6 मंत्रियों को सरकार से बाहर कर चुके हैं।