वाराणसी। श्रीराम की आरती करने वाली मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ दारुल उलूम देवबंद द्वारा फतवा जारी करने और उन्हें इस्लाम से खारिज करने की बात से खफा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने दारुल उलूम के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की बात कही है।
नाजनीन ने बताया कि दारुल उलूम का कहना है कि जो महिलाएं श्रीराम की आरती करती हैं उन्हें इस्लाम स्वीकार नहीं करता। दारुल उलूम कोई ठेकेदार नहीं और न ही उनके पास कोई अधिकार है इस तरह का आदेश देने का। श्रीराम हमारे पूर्वज हैं और उनकी आराधना करना कहीं से भी गलत नहीं है।
नाजनीन ने बताया कि वर्ष 2006 में जब संकटमोचन मंदिर में बम ब्लास्ट हुआ था तब से मैं श्रीराम की आरती करती आ रही हूं और यह आगे भी जारी रहेगा। यह पहला मौका नहीं है जो मेरे खिलाफ फतवा जारी हुआ लेकिन इस बार हर उस मुस्लिम महिला पर फतवा और उन्हें खारिज करना गलत है जिन्होंने श्रीराम की आरती की है। ऐसे में दारूल के खिलाफ मुकदमा दायर करुंगी।
नाजनीन ने कहा कि पिछले 20-25 दिनों से लगातार दारुल कुछ न कुछ फतवा जारी कर रहा है। मेरी मांग है सरकार से कि दारुल उलूम की फंडिग आदि की जांच की जाए और इस संगठन पर ताला लगाया जाए। इसके साथ ही दारुल पर सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना का भी मामला बनता है क्योंकि वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने फतवे पर रोक लगा दी थी ऐसे में दारुल कैसे किसी के खिलाफ फतवा जारी कर सकता है। हम भारत में रहते हैं और सभी को स्वतंत्रता से रहने का यहां अधिकार है।
उन्होंने बताया, ‘इसके पहले भी जब मैंने पातालपुरी मठ में 100 मुस्लिम महिलाओं के साथ हनुमान चालीसा का पाठ किया था तब भी कई मौलानाओं ने फतवा जारी किया था। मगर इस बार पानी सिर से ऊपर हो चुका है। सवाल यह उठता है कि जब कोई हिंदू मजार पर जाकर चादर चढ़ा सकता है तो मुस्लिम श्रीराम की आराधना क्यों नहीं कर सकते।’