नई दिल्ली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश की इकॉनमी का रोडमैप पेश करते हुए जब बुधवार को जीएसटी को लेकर अपनी बात रखी तब यह भी साफ कर दिया कि केंद्र सरकार हमेशा से ही पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के अंतर्गत लाने के लिए तैयार रही है लेकिन इस पर आखिरी निर्णय तभी लिया जा सकता है जब राज्य इसके लिए तैयार हों.
सरकार को पेट्रोल डीजल की कीमतों में तेजी के लिए हालिया हफ्तों में काफी आलोचना का सामना करना पड़ा है. इसके बाद केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यटी में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती कर दी. इसके बाद गुजरात, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश ने वैट घटा दिया. हालांकि कहा जा रहा है कि जीएसटी के दायरे में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को क्यों नहीं लाया गया है. बता दें कि पेट्रोल और डीजल पर राज्य सरकारें 25 से 49 फीसदी तक वैट वसूलती हैं.
वित्त मंत्रालय के अनुसार सरकार के एक्साइज ड्यूटी घटाए जाने के फैसले से सरकारी खजाने को करीब 26,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. गौरतलब है कि सरकार ने बहुत दिनों के बाद एक्साइज ड्यूटी कम की थी. जेटली ने जीएसटी के बारे में कहा कि इसके तहत मिलने वाला राजस्व बेहतर बना हुआ है और उद्योगों की तरफ से जीएसटी पर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया मिल रही है. जीएसटी लागू हुए तीन माह हो चले हैं और उद्योगों तथा कारोबारियों से इस पर बेहतर प्रतिक्रिया मिल रही है. इन तीन महीनों के दौरान हर महीने 93,000 से लेकर 94,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है.