रिपोर्टर रतन गुप्ता
कोचिंग नगरी कोटा में लगातार छात्रों की आत्महत्या का मामला सरकार और प्रशासन सभी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। बीते सप्ताह 27 जून को दो विद्यार्थियों ने खुदकुशी कर ली, जिसमें पहली घटना में वैष्णव समाज के छात्रावास में रहकर एक कोचिंग संस्थान से नीट की तैयारी कर रहे 17 साल के छात्र मेहुल वैष्णव ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। वह 2 माह पहले कोटा में नीट की तैयारी करने आया था। वहीं दूसरी घटना में जौनपुर उत्तर प्रदेश के रहने वाले 17 साल के छात्र आदित्य ने फंदा लगाकर सुसाइड कर ली। आदित्य करीब डेढ़ महीने पहले ही कोटा आया था। राजस्थान के इस कोचिंग हब कोटा में लगातार हो रही मौतों (आत्महत्या) का आखिर राज क्या है? क्यों सरकार इस पर नियंत्रण नहीं लगा पा रही है? आइये जानते हैं क्या कहते हैं आंकड़े और क्या है सरकार की तरफ से रोकथाम की पहल? राजस्थान सरकार ने बताये आत्महत्या के आंकड़ें जनवरी 2023 में विधायक पानाचंद मेघवाल के एक सवाल के जवाब में राजस्थान सरकार ने सदन में बताया कि बीते 4 सालों (2019-22) में कोटा में 52 स्टूडेंट्स ने आत्महत्या की थी। जिसमें से साल 2022 में सर्वाधिक 25 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की। इनमें 15 कोचिंग छात्र, 2 स्कूल व 8 कॉलेज छात्र शामिल थे। इन 15 कोचिंग छात्रों में 4 बिहार और 3 छत्तीसगढ़ के थे। बीते एक साल का यह आंकड़ा चिंताजनक था। कोटा में साल 2023 के मई और जून महीने में 9 युवाओं ने आत्महत्या कर ली है। जबकि जनवरी से लेकर जून महीने तक में आत्महत्याओं की संख्या 16 पहुंच गयी है। हर साल 5 लाख तक खर्च करते हैं छात्र इंडिया टुडे के अनुसार कोटा में इंजीनियरिंग और मेडिकल उम्मीदवारों के लिए शिक्षक-छात्र अनुपात औसतन 125 छात्रों पर सिर्फ एक शिक्षक है। जबकि कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की लागत ₹1.5 लाख से ₹5 लाख प्रति वर्ष आती है। मुताबिक हर साल इंजीनियरिंग के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सालाना 2 लाख से भी ज्यादा छात्र कोटा जाते हैं। जबकि इन छात्रों के कारण यहां के कोचिंग संस्थाओं का कारोबार ₹6,000 करोड़ का हो गया है। आत्महत्या के कारण? जनवरी 2023 में विधायक पानाचंद मेघवाल ने कोटा आत्महत्या के कारणों पर सवाल किया था, तब राजस्थान सरकार ने इन आत्महत्याओं के पीछे अलग-अलग कारण बताये थे। सरकार ने स्वीकार किया था कि आत्महत्या का कारण इंटरनल एसेसमेंट, लव अफेयर, ब्लैकमेलिंग और माता-पिता की अधिक महत्वाकांक्षा थी। 15 जनवरी 2023 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के रहने वाले 22 वर्षीय रंजीत ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। छात्र के पास सुसाइड नोट मिला। जिसमें लिखा था कि मैं विष्णु का अंश हूं, मैं भगवान से मिलने जा रहा हूं। 26 अप्रैल 2023 को जवाहर नगर थाना क्षेत्र में नीट की तैयारी कर रही 19 वर्षीय एक छात्रा राशि जैन ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। कोटा डीएसपी अमर सिंह ने इस घटना पर मीडिया को बताया कि मृतका के आत्महत्या के कारण फिलहाल सामने नहीं आये हैं। लेकिन, वह होस्टल में ही रहकर नीट की तैयारी कर रही थी। अक्सर बीमार रहने के कारण वह पढ़ाई नहीं कर पा रही थी। परीक्षाएं नजदीक थी और कोर्स पूरा नहीं हो हुआ, इसलिए वह तनाव में थी। जानकारी के मुताबिक, राशि अपने परिवार की सबसे छोटी बेटी थी। उसके पिता किसान है। 24 मई 2023 को नांलदा के रहने वाले 16 वर्षीय आर्यन ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह 12वीं का छात्र था और नीट की तैयारी कर रहा था। पुलिस को उसके रूम से कुछ नोट्स मिले थे, जिनमें कुछ जगहों पर किसी लड़की का जिक्र किया गया था। 12 मई 2023 को पटना के रहने वाले 17 वर्षीय नवलेश ने हॉस्टल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस को उसके पास से एक सुसाइड नोट भी मिला था जिसमें लिखा था कि सॉरी पापा, मेरी पढ़ाई के लिए आपने बहुत कोशिश की, लेकिन मेरे से नहीं हो पाया। रोकथाम के लिए राज्य सरकार के प्रयास राजस्थान सरकार ने कहा कि इन सभी मुद्दों पर गौर करते हुए अब कोचिंग संस्थाओं में आत्महत्या को नियंत्रित करने और रोकने के लिए ‘राजस्थान कोचिंग संस्थान (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक 2023’ पेश किया जायेगा। इस विधेयक से पहले 2018 में राजस्थान सरकार ने कोटा में कोचिंग संस्थानों को विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये थे, लेकिन उनका छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और घटनायें बढ़ती रही थी। इसलिए अब विधेयक लाने का प्रयास किया जा रहा है। अगर राजस्थान कोचिंग संस्थान (नियंत्रण और विनियमन) 2023 विधेयक विधानसभा से पास होकर कानून बन गया तो इसके तहत कोचिंग संस्थानों को कई अनिवार्य दिशानिर्देश दिये जा सकते हैं। विधेयक के कानून बनने पर सुनिश्चित किया जायेगा कि कोचिंग सेंटरों में दाखिला लेने वाले छात्रों को योग्यता परीक्षा देनी होगी। यदि कोई उस परीक्षा को पास नहीं करता, तो वह स्नातक इंजीनियरिंग या मेडिकल पाठ्यक्रमों की कोचिंग के लिए पात्र नहीं होंगे। यह कानून कोचिंग संस्थानों से टॉपर्स का महिमामंडन बंद करने का आग्रह करेगा। क्योंकि यह औसत और औसत से नीचे के छात्रों को मानसिक रूप से प्रभावित करता है। चूंकि संस्थान साप्ताहिक रूप से नियमित परीक्षण लेते हैं, इसलिए प्रत्येक परीक्षण के बाद छात्रों के लिए एक परामर्श सत्र देना होगा। साथ ही यदि यह कानून राजस्थान सरकार द्वारा पारित हो जाता है, तो सरकार एक ई-शिकायत पोर्टल बनाएगी, जो कोचिंग सेंटरों और छात्रावासों के बारे में छात्रों और उनके अभिभावकों की शिकायतों को तुरंत सुनने और उसका निदान करने के लिए एक मीडिएटर की तरह काम करेगा। भारत में इतने छात्रों ने की खुदकुशी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी रिपोर्ट 2021) के आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में भारत में 13,000 से अधिक छात्रों ने अपनी जान ले ली। दरअसल, 2016 से 2021 तक के बीच भारत में छात्रों के आत्महत्या करने की संख्या में 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। आंकड़ों के मुताबिक 2016 में 9,478 छात्रों ने आत्महत्या की थी। जबकि 2017 में 9,905, 2018 में 10,159, 2019 में 10,335, 2020 में 12,526 और 2021 में 13,089 छात्रों ने आत्महत्या की। इस हिसाब से देखें तो छह सालों में 65,492 छात्रों ने आत्महत्या की थी। एनसीआरबी की इस रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक छात्रों के आत्महत्या के मामले महाराष्ट्र में दर्ज किये गये थे। जहां 30 साल से कम उम्र के युवाओं में 1,500 से अधिक आत्महत्याओं का कारण ‘परीक्षा में विफलता’ था। अगर इस रिपोर्ट को देखें तो हर साल छात्रों द्वारा आत्महत्या करने का मामला बढ़ता ही जा रहा है।