रिपोर्टर रतन गुप्ता
नौतनवा ,सोनौली सहित सीमावर्ती क्षेत्रो मे काभी भीड रही माता बनौलिय देवी ,झारखनडी मन्दिर एस एस बी कैम्प सोनौली का शिव मन्दिर ,सोनौली के रामजानकी मंदिरो मे सावन के सोमवार पर भारी संख्या मे शिव भक्तो ने जल ,बेलपत्र ,आम ,भाग घतूर ,चन्द , जनेव चढा कर भगवान भोले नाथ ,शिवलिग पर जल चढाया , जयजय कारो से पूरा माहोल शिव भक्त मय हो गया ।
वहीगोरखपुर मन्डलो मे बाबा मुक्तेश्वर नाथ, महादेव झारखंडी मंदिर और मानसरोवर शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी हुई है। यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने पहुंच रहे हैं। मंदिरों के आसपास बेलपत्र, धतूरा, भांग, फूल-माला और गंगाजल की भी दुकानें सजी हुई हैं।
सावन के पहले सोमवार को शिव मंदिर में श्रद्धालुओं ने भगवान भोले शंकर को जल चढ़ाया। इस दौरान हर-हर महादेव से शिवालय गूंज उठा। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रविवार देर रात तक मंदिरों में तैयारियां चलती रहीं। दिन में मंदिर व परिसर की साफ-सफाई और सजावट का काम हुआ। मंदिरों के आसपास माला-फूल और प्रसाद की दुकानें लगी हैं। श्रद्धालु सुगमता से बाबा के दर्शन और जलाभिषेक कर सकें, इसके लिए बैरिकेडिंग भी की गई है।
बाबा मुक्तेश्वर नाथ, महादेव झारखंडी मंदिर और मानसरोवर शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी हुई है। यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने पहुंच रहे हैं। मंदिरों के आसपास बेलपत्र, धतूरा, भांग, फूल-माला और गंगाजल की भी दुकानें सज गई हैं। खासकर महादेव झारखंडी के आसपास रविवार को ही मेले जैसा माहौल दिखने लगा।
चार सौ साल पुराना है महादेव झारखंडी मंदिर
महादेव झारखंडी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह 400 साल पुराना है। शिव सेवा समिति महादेव झारखंडी के कोषाध्यक्ष शिवपूजन तिवारी ने बताया कि ऐसा कहा जाता है कि झारखंडी में एक सूखा वृक्ष था। यहां एक लकड़हारा रहता था। वह वृक्ष काट रहा था। तभी उसकी कुल्हाड़ी वृक्ष से सटे से शिवलिंग पर जा लगी और वहां से रक्त बहने लगा। इसकी चर्चा क्षेत्र में फैली तो लोग देखने के लिए इकट्ठा हुए। लोगों ने महसूस किया कि यह प्राकृतिक शिवलिंग है। इसके बाद यहां पूजा-अर्चना शुरू हो गई।
लगातार जल और दूध से अभिषेक करने पर रक्त बहना बंद हुआ। उस दिन से झारखंडी को महादेव झारखंडी मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। उन्होंने बताया कि झारखंडी शिव मंदिर में 40 से 50 हजार श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रबंधन की ओर से तैयारी पूरी कर ली गई हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्वयंसेवक भी लगाए गए हैं।
महाराष्ट्र के संत ने की मुक्तेश्वर नाथ मंदिर की स्थापना–
मुक्तेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी रमानाथ ने बताया कि वर्षों पहले महाराष्ट्र के एक संत ने ट्रांसपोर्टनगर में बाबा मुक्तेश्वर नाथ की मूर्ति और शिवलिंग की स्थापना की थी। तब से लेकर अब तक पुजारी की पांचवीं पीढ़ी मंदिर में सेवा करती आ रही है। मंदिर के स्थापना काल से लोग यहां भगवान शिव को जलाभिषेक करने आ रहे हैं। अब तो दूर-दराज से भी भक्त यहां पहुंचने लगे हैं।
तीन सौ साल पुराना है मानसरोवर मंदिर
गुरु गोरक्षनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ ने बताया कि मानसरोवर शिव मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। मंदिर का निर्माण तीन सौ साल पूर्व तत्कालीन उनवल नरेश राजा मान सिंह ने कराया था। शहर के अंधियारी बाग क्षेत्र में स्थित मानसरोवर शिव मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है। शिवरात्रि और सावन के सोमवार के दिन यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।
मंदिर की देखरेख गोरक्षपीठ की ओर से की जाती है। उन्होंने बताया कि सावन के हर सोमवार को भक्तों की भारी भीड़ जुटती है। इसके लिए पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं