रिपोर्टर रतन गुप्ता सोनौली /नेपाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 जुलाई 2023 को मन की बात का 103वां एपिसोड किया। इस दौरान पीएम ने देशवासियों से कई मुद्दों पर बात की, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा भारत में ड्रग्स कारोबार को लेकर की। पीएम ने कहा कि हमें देश की भावी पीढ़ियों को नशे से बचाना है। उन्हें ड्रग्स से दूर रखना ही होगा। इसी सोच के साथ 15 अगस्त 2020 को ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ की शुरुआत की गयी थी। इस अभियान से 11 करोड़ से ज्यादा लोगों को जोड़ा गया है। साथ ही बीते साल 10 लाख किलो ड्रग्स नष्ट करने का भारत ने अनोखा रिकॉर्ड भी बनाया है। इनकी कीमत 12,000 करोड़ रुपये थी। भारत और दुनिया में नशीली दवाओं का कारोबार मार्च 2017 में ग्लोबल फाइनेंसियल इंटीग्रेटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में मादक पदार्थों की तस्करी का बाजार $426 बिलियन से बढ़कर $652 बिलियन तक पहुंच गया था। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के पास भी कोई सटीक आंकड़ा नहीं है कि फिलहाल दुनिया में कितना बड़ा है अवैध नशीली दवाओं का कारोबार। इसी तरह भारत में अवैध नशीली दवाओं का कारोबार कितने का है, इसका कोई भी स्पष्ट आंकड़ा नहीं बताया गया है। जबकि जर्मन वेबसाइट के मुताबिक भारत में हर साल मादक पदार्थों पर कार्रवाई करने वाली एजेंसियां करीब 10 लाख किलोग्राम ड्रग्स नष्ट करती है। इन ड्रग्स की कीमत खुले बाजार में करीब 12,000 करोड़ है। 17 जुलाई 2023 को भारत के अलग-अलग हिस्सों में 1.40 लाख किलोग्राम ड्रग्स को नष्ट किया गया था। इन नशीले पदार्थों की कीमत 2,381 करोड़ रुपये थी। बीते पांच सालों में बरामद नशीले पदार्थ संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूएनओडीसी ऑफिस ऑन ड्रग्स और क्राइम द्वारा जारी रिपोर्ट की मानें तो बीते पांच सालों में भारत में नशीली दवाओं की बरामदगी में लगभग 15 गुना का इजाफा हुआ है। साल 2017 में 367,555 किलोग्राम ड्रग्स बरामद किये गये थे। जबकि 2018 में 1,803,137 किलोग्राम, 2019 में 1,866,450 किलोग्राम, साल 2020 में 2,165,150.41 किलोग्राम। साल 2021 में 4,717,331.34 किलोग्राम के करीब ड्रग्स की बरामदगी की गयी थी। यहां पर हर तरह की नशीली दवाओं का जिक्र किया गया है। जिसमें अल्कोहल, कैनाबिस (भांग और गांजा/चरस), ओपिओइड (अफीम, हेरोइन और फार्मास्युटिकल ओपिओइड), कोकीन, एम्फ़ैटेमिन प्रकार के उत्तेजक (एटीएस), सेडेटिव, इन्हेलेंट्स और हेलुसीनोजेन शामिल हैं। वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत में वर्ष 2020 में 5.2 टन अफीम की चौथी सबसे बड़ी मात्रा जब्त की गयी थी। साथ ही तीसरी सबसे बड़ी मात्रा में मॉर्फिन (0.7 टन) भी 2020 में ही जब्त की गयी थी। मैच का परिणाम भारत में अवैध ड्रग्स तस्करी के रास्ते कौन से हैं? लीगल सर्विस इंडिया (ई-जरनल) के मुताबिक अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्री मार्गों के माध्यम से मादक पदार्थों की तस्करी की जाती रही है। जबकि भारत में तस्करी की जाने वाली कुल अवैध नशीली दवाओं का लगभग 70% हिस्सा देश के चार सीमाई क्षेत्रों के माध्यम से होता है। भारत-पाकिस्तान सीमा: दुनिया में अफीम और भांग के सबसे बड़े उत्पादक गोल्डन क्रीसेंट (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान) से भारत-पाकिस्तान सीमा की निकटता ने इसे हेरोइन और हशीश की तस्करी के प्रति संवेदनशील बना दिया है।—————————– भारत-नेपाल सीमा नेपाल हशीश और चरस, मारिजुआना/गांजा का उत्पादन करता है। जिसकी पारंपरिक रूप से नेपाल से भारत में तस्करी की जाती रही है। वहीं भारत में नेपाली और भूटानी भांग की भी मांग काफी बढ़ी है। —————————– भारत म्यांमार सीमा भारत-म्यांमार सीमा की गोल्डन ट्राइएंगल (थाईलैंड, म्यांमार, वियतनाम और लाओस) से निकटता के कारण नॉर्थ-ईस्ट राज्यों के माध्यम से भारत में नशीली दवाओं का कारोबार आसानी से किया जाता है। क्योंकि इन क्षेत्र में कई विद्रोह संगठन के साथ-साथ राजनीतिक अस्थिरता के कारण सीमा पर तस्करी करना आसान हो जाता है। इन रास्तों से देश में हेरोइन की सबसे ज्यादा तस्करी होती है।——————————————— *भारत-बांग्लादेश सीमा: भारत-बांग्लादेश सीमा हेरोइन, मारिजुआना/गांजा, हशीश, ब्राउन शुगर, कफ सिरप आदि से लेकर विभिन्न प्रकार की नशीली दवाओं की तस्करी के लिए अतिसंवेदनशील रहा है। उसका कारण यह है कि दोनों देशों की सीमा का बहुत बड़ा इलाका एक तरह से खुला हुआ है। वहीं जहां बस्ती है वो बहुत ज्यादा घनी है। साथ ही सीमा पर रहने वाले लोगों की बोली, वेशभूषा सब समान है इसलिए उनके बीच आदान-प्रदान और तस्करी करना आसान हो जाता है। भारत में नशीली दवाओं का उपयोग पीआईबी ने 2019 में एम्स के नेशनल ड्रग डिपेंडेंट ट्रीटमेंट (एनडीडीटी) के हवाले से रिपोर्ट जारी कर बताया कि अकेले भारत में ही लगभग 16 करोड़ लोग शराब का नशा करते हैं। इसमें बड़ी संख्या महिलाओं की भी है। रिपोर्ट के अनुसार लगभग 1.5 करोड़ महिलाएं देश में शराब, अफीम और कैनाबिस का सेवन करती हैं। जबकि देश की लगभग 20 प्रतिशत आबादी (10-75 वर्ष के बीच की) विभिन्न प्रकार के नशे की चपेट में है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 3.1 करोड़ व्यक्तियों ने बीते 12 महीनों के भीतर भांग का सेवन किया था। जबकि पूरे देश में तकरीबन 8.5 लाख लोग नशीली दवाओं का सेवन इंजेक्जन के द्वारा लेते हैं। साथ ही कोकीन (0.10%) एम्फ़ैटेमिन प्रकार के उत्तेजक (0.18%) और हेलुसीनोजेन (0.12%) भारत में फिलहाल उपयोग के सबसे कम प्रसार वाली ड्रग्स हैं।