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अमरमणि की खामोशी की वजह सेहत ही नहीं सियासी भी…समर्थक दबी जुबान कह रहे ऐसी बात


रिपोर्टर रतन गुप्ता महराजगंज
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय से सजा काटने के चलते अमरमणि त्रिपाठी हर कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहते हैं। चाहे वह सामाजिक हो या फिर सियासी। तभी तो मीडिया से मोबाइल फोन पर बातचीत में पूर्व मंत्री ने राजनीतिक मुद्दों पर बोलने से मना कर दिया।

मेडिकल कॉलेज परिसर में शुक्रवार को उठा शोर शनिवार को सन्नाटे की आगोश में रहा। रिहाई के बाद भी सेहत की खातिर यहां भर्ती पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी दूसरे दिन किसी से मिले न कुछ बोले। पूर्वांचल के कद्दावर नेता की इस चुप्पी पर लेकर सियासी गलियारों में खूब चर्चा हो रही है। जानकारों की मानें तो अमरमणि की इस खामोशी की वजह सिर्फ सेहत ही नहीं है बल्कि सियासी भी है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय से सजा काटने के चलते अमरमणि त्रिपाठी हर कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहते हैं। चाहे वह सामाजिक हो या फिर सियासी। तभी तो मीडिया से मोबाइल फोन पर बातचीत में पूर्व मंत्री ने राजनीतिक मुद्दों पर बोलने से मना कर दिया। साफ तौर पर कह दिया कि अभी कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूं।
हालांकि, उनके समर्थकों में चर्चा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पूर्व मंत्री की सक्रियता जरूर होगी। क्षेत्र में उनसे जुड़े लोग भी चाहते हैं कि वे एक बार सियासी पारी शुरू करें। लेकिन, दबी जुबान यह भी कहते हैं कि अभी मामला ताजा है तो बहुत सियासी हवा देना भी ठीक नहीं। नेताजी ने पहले से ही कुछ सोच रखा होगा।
समर्थकों का दावा यह भी है कि बदले परिदृश्य में महराजगंज और सिद्धार्थनगर में उनकी भूमिका अहम हो सकती है। लेकिन, अभी तक पूर्व मंत्री की तरफ से पत्ते नहीं खोले गए हैं। इतना तो सभी राजनीतिक दलों के क्षत्रप जानते हैं कि अमरमणि चुनावी बिसात पर अपने मोहरे बहुत ही सटीक बैठाते हैं। सियासत में उनकी पहली पारी को देखकर भी इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
चुनाव मैदान में उतरने के लिए करना होगा छह साल इंतजार
पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के रिहा होने के बाद अब उनके सियासी पारी को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। लेकिन, वे पर्दे के पीछे के रणनीतिकार तो अभी हो सकते हैं, चुनावी पारी शुरू करने के लिए उन्हें छह साल का इंतजार करना होगा।
अधिवक्ता राहुल तिवारी बताते हैं कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (3) के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है और 2 साल या उससे अधिक के कारावास की सजा सुनाई जाती है, तो वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य होगा। सजा पूरी करने के बाद भी छह वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ सकता है।

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