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महराजगंज गोरखपुर सोशल मीडिया पर अवैध प्लॉट की सेल… रहें होशियार वरना हो जाएगा खेल; मीठी बातों में ऐसे उलझा रहे ठग


रिपोर्टर रतन गुप्ता
महराजगंज ,गोरखपुर
सोशल मीडिया पर अवैध तरीके से भूखंडों का सौदा हो रहा है। विभिन्न फर्मों की ओर से पीपीगंज रोड, जगदीशपुर, बाघागाड़ा सहित अन्य जगहों पर प्लॉटों की बिक्री की जा रही है। सोशल मीडिया पर तस्वीरें जारी करके लोगों को प्लाट दिखाई जा रही है।

अवैध तरीके से जमीनों की प्लॉटिंग पर जीडीए ने भले ही बुलडोजर चलवा दिया है, लेकिन धंधेबाज लोगों को झांसे में फंसाकर जालसाजी से बाज नहीं आ रहे हैं। भूखंडों पर गेट बनाने और झंडी लगाने वालों पर कार्रवाई हुई तो अब इन धंधेबाजों ने जमीनों को बेचने को लिए सोशल मीडिया को खरीद-फरोख्त का प्लेटफॉर्म बना लिया है। जमकर धोखाधड़ी का खेल चल रहा है। फेसबुक पर प्लॉट की डिजाइन साझा कर नंबर उपलब्ध कराते हैं और लोग भी बिना जांच-पड़ताल के इनके चक्कर में फंस जाते हैं। मामला खुलता है तो पछतावा ही हाथ लगता है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में इन धंधेबाजों से सतर्क रहने की जरूरत है वरना जीवन भर की गाढ़ी कमाई डूब जाएगी।

खोराबार, कोनी और कैंट क्षेत्र में फर्जी तरीके से जमीनों को बेचने का मामला पहले भी सामने आ चुका है। इसका खामियाजा लोग आज तक भुगत रहे हैं। शारदा सिटी के नाम पर जालसाजों ने लोगों को करोड़ों रुपये की चपत लगाई हैं तो सीलिंग की जमीन बेचकर भूमाफिया ने करोड़ों कमा लिए हैं। लोग केस दर्ज कराकर थाना कचहरी का चक्कर काट रहे हैं।

अब इधर, सोशल मीडिया पर अवैध तरीके से भूखंडों का सौदा हो रहा है। विभिन्न फर्मों की ओर से पीपीगंज रोड, जगदीशपुर, बाघागाड़ा सहित अन्य जगहों पर प्लॉटों की बिक्री की जा रही है। सोशल मीडिया पर तस्वीरें जारी करके लोगों को प्लाट दिखाई जा रही है। सुविधाजनक स्थान पर सपनों का घर बसाने का आश्वासन दिया जा रहा है। जीडीए अधिकारियों का कहना है कि शिकायत के आधार पर कार्रवाई की जाती है। लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि सोशल मीडिया पर ऐसे इश्तिहार की भरमार है, पर जीडीए के अधिकारियों की नजर नहीं जा रही है। उन्हें शिकायत का इंतजार है।
जीडीए की ओर से नहीं है प्लॉटिंग की कोई अनुमति
जीडीए अधिकारियों का कहना है कि अवैध ढंग से भूखंडों को बेचने के मामलों में कार्रवाई की जा रही है। शहर के बाहर किसी भी फर्म को प्लाटिंग करने की अनुमति जीडीए की ओर से नहीं दी गई है। ऐसे में बिना छानबीन के लिए जमीन खरीदने पर नुकसान हो सकता है। इसलिए जहां पर जमीन खरीदने जाएं, उसके संबंध में पूरी जानकारी जुटाकर जीडीए से जांच कराएं। इसके बाद ही कोई खरीद जमीन खरीदें।

मीठी बातों में उलझे लोग गंवा बैठते हैं अपनी पूंजी
हाईवे के किनारे या नई विकसित जगहों पर प्रापर्टी डीलर धंधा शुरू करते हैं। किसानों से एग्रीमेंट के जरिए जमीन लेकर उस पर अपना तामझाम फैला देते हैं। इसके बाद प्लॉट काटकर उसकी सौदेबाजी में जुट जाते हैं। इनके पास न तो जीडीए से कोई अनुमति होती है, न ही कारोबार का कोई रजिस्ट्रेशन। लेकिन इनकी मीठी बातों में आकर लोग जमीन ले लेते हैं। नया गोरखपुर, जंगल कौड़िया-जगदीशपुर रिंग रोड समेत आधा दर्जन जगहों पर भूखंडों को बेचा जा रहा है।
केस एक: जमीन का पता नहीं, कमा लिए करोड़ों रुपये
कैंट थाना में शारदा सिटी रियल इस्टेट फर्म के नाम से केस दर्ज कराया गया है। नौसड़ के पास जमीन का विज्ञापन दिखाकर फर्म से जुड़े लोगों ने लाखों रुपये कमा लिए। पीड़ितों की शिकायत पर केस दर्ज करके पुलिस जांच में जुटी है। इस प्रकरण की जांच में जीडीए अधिकारियों ने पाया कि मौके पर कोई जमीन नहीं थी। लेकिन, उसका ब्रोशर छपवाकर और कार्यालय खोलकर शातिरों ने ठगी कर ली।

केस दो: भूमाफिया ने बेच दी सीलिंग की जमीन, भेजा गया जेल
कुसम्ही जगदीशपुर में सीलिंग की जमीनों को बेचकर भूमाफिया कमलेश ने करोड़ों रुपये की कमाई कर ली। उसके खिलाफ शिकायत आने पर पुलिस ने गिरफ्तार किया। उसके साथी भी पकड़े गए हैं। कमलेश के खिलाफ 10 से अधिक लोगों ने केस दर्ज कराए हैं। बिहार, देवरिया, कुशीनगर समेत अन्य जगहों के पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है।
जीडीए कर रहा कार्रवाई, फिर भी जारी है धंधा
अवैध ढंग से प्लॉटिंग करने के मामलों में जीडीए टीम कार्रवाई कर रही है। सोमवार को जीडीए के बुलडोजर ने रामगढ़ताल किनारे नवलपुरवा में छोटू चौधरी के पांच एकड़ क्षेत्रफल में हुए भूखंडीय विकास को ढहा दिया था। इसके अलावा चिऊटहां में अगस्त माह में कार्रवाई हुई थी। जीडीए की ओर से 30 से अधिक अवैध प्लॉटिंग को ढहाया जा चुका है। प्लॉट बेचने वाले मेन रोड से नजदीक, लिंक रोड की सुविधा, स्कूल, अस्पताल, बिजली, पानी सहित अन्य सुविधाएं देने का दावा करके लोगों के अपने झांसे में फंसाते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान
जिस योजना में जमीन ले रहे हैं। उसे जीडीए से अनुमति मिली या है नहीं, इसकी जांच करें।
रियल इस्टेट का काम करने वाली फर्म के नाम पर बैनामा और खारिज दाखिल में कितनी जमीनों को दर्ज किया गया है।
संबंधित जमीन का लैंडयूज (भूमि प्रयोग ) किस प्रकार है। इस पर एनजीटी की ओर से कोई रोक तो नहीं है।
जमीन बेचने वाले कारोबारियों के बारे में भी ठीक से पड़ताल करें।

ऐसे कार्रवाई करता है जीडीए
किसी शिकायत के सामने आने पर जीडीए की टीम जांच करती है।
जीडीए के अवर अभियंता भी अपने अपने क्षेत्र में निगरानी करते हैं।
जांच के दौरान संबंधित फर्म को अपना पक्ष रखने के लिए 15 दिन का समय दिया जाता है।
उनके खिलाफ नोटिस जारी होता है। मानचित्र सहित अन्य दस्तावेज दिखाने के लिए तीन से चार तारीखों में जीडीए कार्यालय बुलाया जाता है।
संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर खुद निर्माण ढहाने को कहा जाता है। यदि फर्म कार्रवाई नहीं करती है तो जीडीए की टीम पुलिस बल के साथ बुलडोजर चलाती है।

अवैध तरीके से प्लॉटिंग की शिकायत पर कार्यवाही की जा रही है। अभियंताओं की टीम मौके पर जाकर जांच करती है। इसके बाद कार्यवाही होती है। नागरिकों से अपील है कि अगर कहीं भी जानकारी मिले तो विभाग को अवगत कराएं। कार्रवाई की जाएगी। -किशन सिंह, प्रभारी मुख्य अभियंता, जीडीए

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