रतन गुप्ता उप संपादक
महराजगंज। भारत-नेपाल बॉर्डर से हेरोइन की तस्करी का खेल बदस्तूर जारी है। तस्करों ने सीमा के दोनों ओर अपना नेटवर्क फैला रखा है। हेरोइन सीमा पार कराने के लिए वे कैरियर का सहारा लेते हैं। ऐसे में पकड़े जाने पर भी सुरक्षा एजेंसियां गैंग के सरगना तक नहीं पहुंच पाती और सारी कार्रवाई हेरोइन की जब्ती तक सिमट कर रह जाती है। इस जब्ती का तस्करों पर कोई असर नहीं होता, क्योंकि जितनी हेरोइन जब्त होती है वह सीमा पार पहुंच चुके माल का सिर्फ 10 फीसदी होती है। वैसे उसकी कीमत करोड़ों में होती है।
सरहद से सटे चकरार मार्ग से सोमवार को ही पुलिस ने दो लोगों को 130 ग्राम हेरोइन के साथ पकड़ा था। जब्त हेरोइन की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत डेढ़ करोड़ रुपये आंकी गई है। वर्ष 2023 की बात करें तो विभिन्न मौकों पर एसएसबी और पुलिस ने कुल 10 किलो हेरोइन जब्त की थी, जिसकी कीमत 110 करोड़ रुपये से अधिक होती है। सूत्रों की मानें तो यह आंकड़ा सीमा पार पहुंच चुकी हेरोइन की मात्र 10 फीसदी है। ऐसे में सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि हेरोइन तस्करी का खेल लाखों और करोड़ों का नहीं, बल्कि अरबों का है।
सूत्रों के मुताबिक, मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए सुरक्षा एजेंसियां लगातार निगरानी करती हैं, लेकिन तस्कर इनकी चौकसी को आसानी से मात दे देते हैं। मुख्य मार्गों पर चौकसी बढ़ती है तो तस्कर पगडंडियों की राह पकड़ लेते हैं। जब पुलिस और एसएसबी के जवान पगडंडियों पर गश्त लगाते हैं तो तस्कर नदी के रास्ते माल सीमा पार पहुंचा देते हैं। दरअसल, सीमा के दोनों ओर तस्करों ने अपना नेटवर्क फैला रखा है, जिसके जरिए वे सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं और मौका देखकर तस्करी के खेल को अंजाम दे देते हैं।
भारत-नेपाल सीमा से वैसे तो विभिन्न तरह के मादक पदार्थों की तस्करी होती है, लेकिन तस्करों की पहली पसंद हेरोइन है। ऐसा इसलिए है कि हेरोइन की नेपाल में मांग अधिक है और कीमत अधिक होने की वजह से इसमें तस्करों को तगड़ा मुनाफा होता है। तस्करी का यह खेल कैरियर के जरिए खेला जाता है। कैरियर को एक खेल सीमा पार पहुंचाने पर सात से आठ हजार रुपये मिलते हैं। एक कैरियर पर लंबे समय तक दांव नहीं लगाया जाता। कुछ दिनों ने नए कैरियर मैदान में उतार दिए जाते हैं। इनका काम मादक पदार्थ को सीमा पार तक पहुंचाना होता है। इसके बाद वे तय व्यक्ति को माल सौंप देते हैं। इससे आगे की जानकारी उनके पास नहीं होती। ऐसे में कैरियर पकड़ा जाता है तो भी वह नेटवर्क के बारे में सुरक्षा एजेंसियों को कोई खास जानकारी नहीं दे पाता और तस्करी का खेल चलता रहता है।
हेरोइन के साथ पकड़े गए दोनों तस्कर भेजे गए जेल
- अपर पुलिस अधीक्षक आतिश कुमार सिंह ने बताया कि सोमवार को सरहद से सटे चकरार मार्ग पर तलाशी के दौरान पुलिस ने दो लोगों को 130 ग्राम हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया था। उनकी पहचान श्रवण कुमार निवासी सेवतरी बाजार थाना परसामलिक और गणेश कुमार निवासी बनजरिया टोला थाना परासी जनपद-नवलपरासी राष्ट्र नेपाल के रूप में हुई है। दोनों को जेल भेजवा दिया गया है। उन्होंने बताया कि वे गोरखपुर से हेरोइन लेकर नेपाल के पोखरा शहर में पहुंचाने जा रहे थे। उनके कब्जे से जब्त हेरोइन की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक है।
मोबाइल से तय होता है समय और जगह
मोबाइल फोन से बातचीत कर तस्कर हेरोइन की डिलीवरी की जगह और समय तय करते हैं। इसके बाद कैरियर तय समय पर माल पहुंचा देते हैं। कई बार सरहद पार राशन सामग्री में छुपाकर मादक पदार्थ की सप्लाई की जाती है। सौदा सीमा के दोनों ओर बैठे सरगना पहले ही तय कर लेते हैं। इसका भुगतान भी हवाला के जरिए पहले ही कर दिया जाता है। फिर डिलीवरी लेने के लिए किसी अन्य व्यक्ति को भेजा जाता है, जो कैरियर से खेप ले लेता है और फिर आगे पहुंचा देता है।
दर्जनभर तस्कर पहुंचे सलाखों के पीछे
पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां समय-समय पर तस्करों को दबोचती हैं। उनसे पूछताछ की जाती है, लेकिन सरगना के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती। पुलिस उन्हें कोर्ट में पेश करती है और वहां से उन्हें जेल भेज दिया जाता है। पुलिस ने पिछले साल दर्जनभर तस्करों को जेल भेजवाया था, लेकिन तस्करी का खेल बदस्तूर जारी है। सरगना वहीं हैं, बस मोहरे बदल गए हैं।
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