रतन गुप्ता उप संपादक
गोरखपुर
छह मार्च को वेस्ट बंगाल में सीमा के पास एक तालाब से बीएसएफ जवानों ने 2.68 करोड़ मूल्य के 40 सोने के बिस्कुट जब्त किए थे। इसी तरह नौ मार्च को इसी जिले से 1.43 करोड़ के 23 सोने के बिस्कुटों की जब्ती के अलावा तीन मार्च को 1.44 करोड़ के 22 बिस्कुटों के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया था।
गोरखपुर शहर में हवाला का अवैध धंधा परवान पर है। मछली मंडी और सराफा के धंधेबाज हवाला में करोड़ों रुपये खपा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, कुछ धंधेबाज मछली के व्यापार की आड़ में सोने की तस्करी कर रहे हैं तो सराफा के धंधेबाज हवाला के जरिए काली कमाई को खपाने में जुटे हैं। बीते दिनों हिंदी बाजार के एक व्यापारी की 12 लाख की कमाई को खपाने की तैयारी थी, लेकिन उसे लेकर जा रहे युवक से रकम लूट ली गई थी। इस मामले में हवाला कनेक्शन सामने आया था।
राजघाट पुलिस ने करीब तीन साल पहले हवाला के जरिए नेपाल से भारत में रुपये पहुंचाने का कारोबार करने वाले युवक को गिरफ्तार किया था। कुछ दिन पहले बैंकॉक से आए 12 लाख रुपये की लूट का मामला सामने आया था। पुलिस ने लूट का मामला तो खोल दिया, लेकिन ये रुपये कहां से आए, किसके लिए आए और किसने भेजा था, यह साफ नहीं हो सका। ये मामले काफी हैं बताने के लिए कि शहर में हवाला का कारोबार अपनी जड़ें जमा चुका है। इसमें मछली और सराफा के धंधेबाज हवाला में मोटी रकम का हेर-फेर कर रहे हैं।
जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मछली मंडी से हवाला कारोबार इन दिनों खूब चल रहा है। जबकि, बड़हलगंज के बाबा का नेटवर्क बैंकॉक से हवाला कारोबार को संचालित कर रहा। दरअसल, मछली कारोबारियों के लिए ये धंधा मुफीद इसलिए है, क्योंकि ट्रैवलर का काम आसानी से हो जाता है। सूत्र बताते हैं कि शहर में अधिकतर मछली आंध्र प्रदेश से आती है। वहां से कोलकाता और फिर ट्रक से उसकी आपूर्ति गोरखपुर मछली मंडी में की जाती है। यहीं से हवाला और अवैध सोने की खपत का काम होता है।
बाजार में अवैध सोने का काम करने वाले और मछली के धंधेबाजों की जुगल जोड़ी अब शहर के कई धंधेबाजों के कालेधन को खपा रही है। सूत्रों ने बताया कि इन धंधेबाजों का नेटवर्क आस-पास के प्रदेश में काफी फैला हुआ है। बिहार के एक व्यापारी का हवाला के रुपये अभी कुछ दिनों पहले पकड़े गए थे। इसे पैरवी कर शहर के धंधेबाज ने समझौता करवाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। सूत्रों ने बताया कि हिंदी बाजार में अवैध सोने की खरीद बिक्री होने के बाद ही एजेंसी और एलआईयू जागती है, इसी वजह से यह धंधा खूब फल फूल रहा है।
जांच एजेंसी से बच जाती है अवैध खेप
सूत्रों ने बताया कि बैंकॉक से अवैध सोने की खेप कोलकाता तक आती है। इसी खेप को मछली के कंटेनरों के नीचे छिपा दिया जाता। इसका फायदा होता है कि मछली के कंटेनर में आने वाली आपूर्ति फर्म अपने नाम पर करती है। इसमें सभी नियमों और शुल्क का भुगतान करने के बाद सेंटर से छोड़ा जाता। ऐसे में अगर कभी एजेंसियां संदिग्ध ट्रक को रोक कर उसके कंटेनर की जांच की और उसमें अवैध कुछ नहीं मिला तो विभागीय जिम्मेदारी और नुकसान एजेंसियों के मत्थे पड़ जाता है। धंधेबाज इसी का फायदा उठाकर अब आराम से हवाला और अवैध सोने का काम कर रहे।
पिछले साल बीएसएफ ने की कार्रवाई
छह मार्च को वेस्ट बंगाल में सीमा के पास एक तालाब से बीएसएफ जवानों ने 2.68 करोड़ मूल्य के 40 सोने के बिस्कुट जब्त किए थे। इसी तरह नौ मार्च को इसी जिले से 1.43 करोड़ के 23 सोने के बिस्कुटों की जब्ती के अलावा तीन मार्च को 1.44 करोड़ के 22 बिस्कुटों के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया था। सूत्रों ने बताया कि बैंकॉक से आए इस सोने को दिल्ली, लखनऊ और गोरखपुर समेत अन्य दूसरी बड़ी मंडी में खपाने की तैयारी थी।
सराफा में है हवाला और सोना तस्करी का नेटवर्क
सराफा बाजार में भी हवाला और सोना तस्करी का सटीक नेटवर्क है। यह नेटवर्क हवाला के अवैध धन को बड़े लाभ से छोटे व्यापारियों में सूद पर चलाता है। इसके अलावा सोने की तस्करी से अर्जित धन भी सूद में लगाया जाता है