रतन गुप्ता उप संपादक
महिलाएं अब अबला नहीं रहीं। वह सबला बनकर बेरोजगारी का खात्मा कर रही हैं। परतावल ब्लॉक की सैकड़ों स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं महिलाएं अगरबत्ती, पापड़ बनाकर खुद तो आत्मनिर्भर बन रही हैं साथ ही परिवार को भी आर्थिक रूप से मजबूत कर रही हैं।
परतावल ब्लाॅक के 77 ग्राम सभा में करीब 1025 स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया है। मिशन के तहत दर्जनों स्वयं सहायता समूहों को बैंक क्रेडिट लिंकेज से जोड़ा जा चुका है। करीब पांच समूहों को कोटा आवंटित किया गया है। इसके अलावा वर्मी कंपोस्ट, सिलाई-कढ़ाई, टीएचआर प्लांट, अगरबत्ती बनाना, बकरी पालन, पापड़ व चिप्स बनाकर समूह की महिलाएं अच्छा खासा आमदनी कर रही हैं।
ब्लाॅक मिशन प्रबंधक गायत्री राय ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार समूह की महिलाओं को स्वरोजगार का अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है। ग्राम सभा अहिरौली में संचालित हनुमान स्वयं सहायता समूह, बलुआ में नेहा स्वयं सहायता समूह, सिरसिया मलमलिया में नगमा स्वयं सहायता समूह, पिपरा लाला में लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह तथा बैजौली में समूह की महिलाओं को सरकारी राशन की दुकान आवंटित किया गया है। इससे जुड़ी संयोगिता, अर्शफी, उर्मिला, संगिता, किरन, नंदिनी आदि ने बताया कि समूह से जुड़ने के बाद उनके जीवन में काफी बदलाव आया है और समाज में उनकी प्रतिष्ठा बढ़ी है।
इसके अलावा रूद्रापुर गांव में मां वैष्णो स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाई जा रही अगरबत्ती की खुशबू से महिलाओं का जीवन भी महक रहा है। इस कारोबार में महिलाओं को होने वाली आमदनी से उनकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है। मां वैष्णो स्वयं सहायता समूह से पांच तथा मां काली स्वयं सहायता समूह से पांच महिलाओं ने मिलकर अगरबत्ती बनाने का काम शुरू किया। अगरबत्ती बनाने के लिए कच्चा माल, लिक्विड, सेंट, पेपर, तिल्ली, रैपर, पॉलिथीन आदि की खरीदारी गोरखपुर से की जाती है। 10 रुपये पैकेट की अगरबत्ती की बिक्री होती है। समूह की महिलाओं को आठ रुपये में दी जाती है। घर पर ही खरीदार आ जाते हैं। सस्ता एवं बेहतर उत्पाद होने के कारण व्यापारी भी पसंद करते हैं। मांग के अनुसार सामग्री की खरीदारी करने के बाद अगरबत्ती तैयार की जाती है। महिला घरेलू कामकाज के बाद इस काम को आसानी से कर लेती हैं।
प्रतिमाह दो से तीन हजार रुपये हो जाती है एक महिला की कमाई समूह की गीता देवी कहती हैं कि सभी महिलाएं मिलकर अगरबत्ती तैयार करती हैं। एक दिन में दो घंटे काम किया जाता है और 70 पैकेट अगरबत्ती तैयार हो जाता है। महिला को 70 से 100 रुपये प्रतिदिन आय होती है। पूजा, गीता चौरसिया, राजमति, मंशा, सावित्री, सरोज, तारा, सुशीला, विंदु आदि ने कहा कि समूह में काम करने से होने वाली आय घरेलू समस्याओं को दूर करने में मददगार हो रही है।
समूह की महिलाएं काम कर रही हैं। अगरबत्ती की खपत बढ़ेगी तो समूह की महिलाओं को आय होगी। महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है।
-हृदयानंद द्विवेदी, प्रबंधक, ब्लॉक मिशन