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चीनी अखबार की धमकी, शुरू हो चुका है भारत से युद्ध का काउंटडाउन

बीजिंग

डोकलाम पर चीन-भारत के बीच गतिरोध अपने चरम पर है. भारत जहां युद्ध को स्थायी समाधान न बताकर शांति से समस्या के हल की वकालत कर रहा है, वहीं चीन की धमकियों का ग्राफ दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. इस बीच चीन के एक प्रमुख अखबार में संपादकीय लिखा गया है, जिसमें भारत को वक्त रहते हालात सुधारने की नसीहत दी गई है.

चाइना डेली अखबार के संपादकीय में लिखा गया है कि चीन और भारत के बीच युद्ध का काउंटडाउन शुरू हो गया है. इसके आगे लिखा गया है कि भारत को अब जल्द इस दिशा में कोई कदम उठा लेना चाहिए, क्योंकि शांतिपूर्ण समाधान की संभावनाएं खत्म होती जा रही हैं.

भारत सेना हटाकर करे समाधान

चीन के सरकारी मीडिया और सरकार के साथ सुर मिलाते हुए संपादकीय में भी भारत को डोकलाम से अपनी सेना हटाने की हिदायत दी गई है. इसमें लिखा गया है कि डोकलाम समस्या का समाधान दिल्ली के हाथों में है और डोकलाम से बिना शर्त जवानों को हटाकर हालात सामान्य किए जा सकते हैं.

चीन की धमकी

चीन ने एक बार फिर भारत को धमकी दी है. चीन ने कहा है कि क्या होगा अगर हम उत्तराखंड के कालापानी और कश्मीर में घुस जाएंगे. डोकलाम मुद्दे पर चीन की ओर से इस प्रकार के लगातार बयान आ रहे हैं, इससे पहले मंगलवार को भी कहा गया था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1962 वाली गलती दोहरा रहे हैं.

सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने वीडियो जारी कर चेतावनी दी थी कि अगर भारत अपने सैनिक नहीं हटाता तो युद्ध होगा. वीडियो में ये भी कहा गया था कि भारत खुद को विपरीत हालात से निपटने के लिए तैयार नहीं कर रहा बल्कि देश की जनता को सब कुछ ठीक होने का दिलासा दे रहा है.

नेपाल ने मुंह मोड़ा

इस मसले पर नेपाल के उप प्रधानमंत्री कृष्ण बहादुर महारा ने कहा है कि वह सिक्किम में भारत और चीन के बीच चल रहे गतिरोध में किसी का पक्ष नहीं लेगा. कृष्ण बहादुर महारा नेपाल के विदेश मंत्री का भी पदभार भी संभाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि नेपाल चाहता है कि भारत और चीन डोकलाम मुद्दे के हल के लिए शांतिपूर्ण राजनयिक माध्यमों का इस्तेमाल करें.

चीन और भूटान के बीच विवादित क्षेत्र है डोकलाम

चीन और भूटान के बीच डोकलाम एक विवादित क्षेत्र है. भारत और भूटान इसे भूटानी क्षेत्र मानते हैं. डोकलाम में 16 जून को चीनी सेना द्वारा सड़क निर्माण को लेकर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध शुरू हुआ था. डोकलाम पर स्वामित्व पर कोई फैसला न होने का हवाला देते हुए भारतीय सैनिकों ने चीन के सड़क निर्माण कार्य को रोक दिया था. उन्होंने कहा कि भारत के लिए सैन्य अधिकारियों को चीनी क्षेत्र में भेजना अवैध है. फिर चाहे वह भूटान की सुरक्षा चिंताओं या संरक्षण के बहाने ही क्यों न हो. भारत ने अपनी कार्रवाई के संबंध में कोई कानूनी आधार प्रदान नहीं किया है.’

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