रतन गुप्ता उप संपादक
महराजगंज। गरीबों के स्वास्थ्य के लिहाज से प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना बेहद कल्याणकारी है। मगर विभाग और अस्पताल के कुछ जिम्मेदारों की मनमानी के चलते यह अव्यवस्था की भेंट चढ़ रही है। पास में आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी निजी अस्पताल संचालक मुफ्त में इलाज करने से इन्कार कर दे रहे हैं। ऐसे में मरीजों को मजबूर होकर रुपये खर्च कर इलाज कराना पड़ रहा है। लूट ले रहे हैं मरीजों को
जिले में लोग आयुष्मान कार्ड लेकर भटक रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि स्थितियां बेहतर हैं। आयुष्मान भारत योजना के तहत एक लाभार्थी को कार्ड पर पांच लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा दी जाती है। योजना के तहत कोई भी अधिकृत अस्पताल किसी कार्ड धारकों को इलाज से मना नहीं कर सकते हैं।
निचलौल क्षेत्र के खोन्हौली गांव के पवन विश्वकर्मा ने बताया कि पिता शंखापाल के नाम से आयुष्मान कार्ड बना है। बीते दो दिन पहले पिता शंखपाल की अचानक तबीयत बिगड़ गई। उन्हें पहले सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां जांच में पता चला कि पिता के फेफड़े में पानी भर गया है। उसके बाद पिता को गोरखपुर स्थित आर्यन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां पर पिता को भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन आयुष्मान कार्ड दिखाने पर इलाज करने से इंकार कर दिया गया। कुछ देर बहस करने के बाद अस्पताल के जिम्मेदारों ने कहा कि पहले पांच छह दिन तक अपने पास से इलाज के लिए पैसे खर्च कीजिए उसके बाद आयुष्मान कार्ड से इलाज शुरू होगा। ऐसे में हर रोज इलाज का करीब 25 से 30 हजार का बिल आ रहा है। ओबरी गांव के भूपति चौधरी ने कहा की उनकी आर्थिक हालत ठीक नहीं है। उनके पास आयुष्मान कार्ड है। सितंबर माह में पत्नी शांति देवी को हर्निया की बीमारी हो गई। उन्हें इलाज के लिए एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया। इसके बाद अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड से इलाज करने से इन्कार कर दिया। ऐसे में उन्हें पत्नी के इलाज में करीब दो लाख रुपये तक खर्च करना पड़ा।