रिश्वत लेते पकड़े गये कस्टम अधीक्षक के मोबाइल की जांच में सामने आएगा तस्करों का नेटवर्क


रतन गुप्ता उप संपादक

सिद्धार्थनगर : ककरहवा बॉर्डर के कस्टम अधीक्षक प्रमोद तिवारी के मोबाइल की जांच में तस्करों के नेटवर्क का खुलासा हो सकता है। एंटी करप्शन टीम ने कस्टम को 15 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा तो उनके पुराने कारनामों पर चर्चा हो रही है। क्षेत्रीय व्यापारियों का कहना है कि कस्टम अधीक्षक के मोबाइल की जांच में तस्करी का राज समने आ सकता है।

कस्टम अधीक्षक प्रमोद तिवारी को पकड़ जाने के दूसरे दिन बृहस्पतिवार को ककरहवा और अलीगढ़वा क्षेत्र में कस्टम अधिकारी और तस्कारों के गठजोड़ पर चर्चा होती रही।

ककरहवा में पान की दुकान पर चर्चा करते हुए एक दुकानदार ने कहा कि ककरहवा बॉर्डर पर सामानों की जांच कम होती थी, क्योंकि लाइन पहले ही क्लीयर हो जाता था। यहीं कारण है कि कस्टम कार्यालय में धांधली से व्यवसायी त्रस्त हो गए थे और एक मुर्गा व्यापारी उनके काले कारनामे से पर्दा उठाने का सार्थक प्रयास किया।

जिले की 68 किलोमीटर सीमा नेपाल से लगती है। इसमें पांच मुख्य मार्ग हैं, जो दोनों देशों को जोड़ते हैं। इसमें ककरहवा, खुनुवां और बढऩी बार्डर पर कस्टम है। सीमा पर पकड़े जाने वाले अवैध सामान को जब्त करके कार्रवाई करने और जुर्माना लगाने की अधिकार कस्टम को है। सीमा पर सुरक्षा एजेंसियां और पुलिस विभाग की ओर पकड़े गए सामान की सीज करने और जुर्माना लगाकर छोडऩे का अधिकार कस्टम को है।

बाॅर्डर पर सांठगांठ से तस्करी होने की लगातार सीमावर्ती क्षेत्र में चर्चा होती थी, लेकिन घूसखोर अधिकारी को पकड़वाने में कोई आगे नहीं आ रहा था।

लाइन देने वालों का आसानी से पार हो जाता है सामान : ककरहवा बार्डर पर कस्टम अधीक्षक के पकड़े जाने के बाद जानकारी लेने के लिए पहुंचे। यहां बाजार में मिले क्षेत्र के रहने वाले ने बताया कि बार्डर पर तस्करी जगजाहिर है। लेकिन इसमें भी तस्कर चिन्हित हैं।

अगर हिस्सा देते हैं तो उनके सामान को कोई छू नहीं सकता है। अलग- अलग सामान की तस्करी करने वाले लोग हैं। जो माल की कीमत और फेरे के हिसाब से हिस्सा देते हैं। फिर क्या बार्डर पार होते ही उसी सामान को मुंहमांगी कीमत पर नेपाल में बेच देते हैं।

अगर सेटिंग नहीं है तो अपने उपयोग का भी सामान कोई व्यक्ति नहीं ले जा सकता है। चेकिंग के नाम पर उसे उलझाते हैं। विवश होकर उसे कुछ देकर जाना पड़ता है।

कस्टम कार्यालय से कुछ दूरी पर कई लोग समूह बनाकर अधीक्षक के बारे में चर्चा कर रहे थे ।इसके रहते तस्कर फलफूल रहे थे। जबकि सामान्य व्यक्ति अपने उपयोग का सामान नहीं ले जाता पाता था।

समूह से कुछ दूरी खड़े क्षेत्र के समशुल ने बताया कि असली खेल रात में होता था। एक समय था, जब नेपाल मटर बड़ी मात्रा में तस्करी से आता था। इसमें पिकअप लाने वाले नहीं पकड़े जाते थे। जो 20 किलो 50 किलो लाता था।

उसे पकड़कर सीज करके कार्रवाई दिखा दी जाती है। सामान छोडऩे के मामले में भी यही है। तस्करों के सामान को आसानी से मामूली कागज पर छोड़ दिया जाता था। जबकि अन्य को कागज देने के बाद अधिक जुर्माना अदा करना पड़ता है। बार्डर पर बहुत खेल है।


कारोबारियों तस्करों से रहे कस्टम अधीक्षक के गहरे संबंध

सीमा क्षेत्र के धनगढ़वा, नरकुल बाजार अलीगढ़वा व बजहा बार्डर क्षेत्र के तस्करों से भी कस्टम के अधीक्षक के संबंध रहे हैं। ऐसा लोगों में चर्चा है। कृषि बीज बिक्रेता, फल विक्रेता चीनी चावल से लेकर बार्डर पर काम करने वाले सभी तस्करों से इनके अटूट संबंध रहे हैं। इस पार से उसपर समान करने वाले सभी तस्करों के पास इनका नंबर है और इनके पास भी सभी के नंबर है।
अधीक्षक महोदय धनगढ़वा नरकुल और अलीगढ़वा में अपने आदमी रखे हुए थे। अलीगढ़वा में तो एक युवक फल विक्रेता जूस का दुकान वाला और एक बार्डर पर किराना दुकान वाला है। जिसके माध्यम से लेन देन की जाती थी। इनके वजह से छोटा कारोबारी भी बगैर सुविधा शुल्क दिए बार्डर पार नहीं कर पाता था। अभी हाल में ही नेपाली व्यक्ति को एसएसबी ने दो सगे भाइयों को एक एक बोरी गेहूं के साथ कस्टम किया था। जिससे दोनों बाइक छोड़ने के नाम पर भी 40 हजार रुपये वसूले थे। सीमा के कस्बों से लाखों रुपये महीने की वसूली कर उनके खास नुमाइंदे उनके तक पहुंचाते रहे है। अगर इनकी भी जांच हो मोबाइल डिटेल से तो काफी लोग इनके वसूली में सहयोगी रहे हैं। इनके कार्यकाल में गलती से अगर शरीफ आदमी फंस गया तो तस्करों के शरण मे जाना पड़ता था।


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