रतन गुप्ता उप संपादक
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने गुरुवार को पटना पहुंचकर लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी की ओर से बहुत बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है। कहा जा रहा है कि उनके यादव होने का फायदा पार्टी लोकसभा में उठाना चाहती है। जातिगत राजनीति के लिए कुख्यात बिहार में यादव वोट बैंक बहुत मायने रखता है। इसके दम पर लालू यादव ने डेढ़ दशकों तक बिहार की सत्ता को अपने कब्जे में रखा था। आज भी उनकी पार्टी आरजेडी के समर्थन के भरोसे ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार टिकी हुई है। 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को यादव वोट भी मिलने के दावे वैसे बिहार में यादवों को अपने पाले में करने के लिए बीजेपी आज से कोशिशें नहीं कर रही है। लेकिन, पहले उसे न के बराबर सफलता मिली थी। लेकिन, कहा जाता है कि पहली बार भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर यादवों के भी वोट मिले थे। एक संभावित अनुमान के मुताबिक पिछले लोकसभा चुनावों में सीमांचल, कोसी और मिथिलांचल के कुछ सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों को 30 से 40% यादव वोट भी प्राप्त हुए थे। सबसे बड़ी बात ये है कि जिन सीटों पर यादवों का वोट बीजेपी को मिलने की बात कही जाती है, वहां मुस्लिमों की ज्यादा आबादी है। तब के एक चुनावी सभा में तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने नित्यानंद राय को जिताने के बाद उन्हें केंद्र सरकार में अहम जिम्मेदारी दिलाने का वादा किया था और तथ्य यह है कि वह आज भी गृहराज्यमंत्री हैं। *बिहार में यादव वोट बैंक पर भाजपा की नजर माना जा रहा है कि बीजेपी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के माध्यम से लालू यादव के वोट बैंक में और ज्यादा सेंधमारी करना चाहती है। जहां तक बिहार बीजेपी में यादव नेताओं का सवाल है, तो इससे एक से बढ़कर एक नाम जुड़े रहे हैं। पार्टी नंदकिशोर यादव और नित्यानंद राय को प्रदेश अध्यक्ष भी बना चुकी है। पार्टी कभी लालू के करीबी रहे रामकृपाल यादव को भी अपने साथ जोड़ चुकी है। मोदी के पिछले कार्यकाल में वे मंत्री भी थे। हुकुमदेव नारायण यादव को भी पार्टी बहुत ज्यादा सम्मान देती रही है। उन्हें पद्मश्री तक का सम्मान मिल चुका है। भूपेंद्र यादव ने प्रदेश में पार्टी प्रभारी की भी भूमिका निभाई थी। लेकिन, फिर भी पार्टी को यादवों का वैसा समर्थन नहीं दिखा, जैसा कि 2019 के बारे में बताया जाता है। 14.26% यादव जनसंख्या की अहमियत समझ रही है पार्टी लेकिन, बिहार में जब जातीय जनगणना की रिपोर्ट सामने आई और यादवों की जनसंख्या 14.26% बताया गया तो बीजेपी नेतृत्व ने शायद बहुत सोच-समझकर मध्य प्रदेश की सत्ता मोहन यादव जैसे नेता के हाथों में सौंपने का फैसला किया। बिहार पहुंचते ही मोहन यादव ने यदुवंशियों को दे दिया संदेश पार्टी को लगा कि पार्टी और संघ की विचारधारा में पले-बढ़े यादव नेता के दम पर वह बिहार और यूपी भी एकसाथ साध सकती है। बिहार इकाई की ओर से अपने अभिनंद के लिए पटना पहुंचे सीएम यादव ने उसी आधार पर पार्टी के लिए बैटिंग भी शुरू करने की कोशिश की है। पीएम मोदी की वजह से बना सीएम बनने का मौका- मोहन यादव उन्होंने पटना में मीडिया के सामने जो कुछ कहा है, उसमें से कुछ बातें बहुत गौर करने लायक हैं और शायद उससे लालू यादव की आरजेडी की चिंता बढ़ सकती है।