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नेपाल में अंधविश्वास, जादू-टोना के चक्कर में कछुए की सोनौली बार्डर से तस्करी


रतन गुप्ता उप संपादक

पड़ोसी देश नेपाल में जादू-टोना के लिए कछुए का अधिक प्रयोग किया जाता है। ऐसे में भारतीय क्षेत्र से कछुओं की तस्करी की जा रही है। नेपाल के अलावा चीन तक कछुए भेज दिए जाते हैं। दोनों देशों में जादू-टोने में इनका इस्तेमाल किया जाता है। चीन में कछुओं का इस्तेमाल खास तरह की दवा बनाने में भी होता है। बीते दिनों बॉर्डर पर 32 कछुए बरामद हुए थे। साल भर पहले भी कछुए बरामद हुए थे।

सूत्रों की माने तो नेपाल के साथ इन कछुओं को चीन समेत अन्य देशों में भेज दिया जाता। इनके मांस की तो अच्छी कीमत मिलती ही है साथ ही शक्तिवर्धक दवाइयां भी बनती हैं। विदेशों में इन कछुओं की कीमत लाखों में होती है। कछुओं की विदेशों में मुंह मांगी कीमत मिलती है। बंगाल व त्रिपुरा में पांच से आठ हजार रुपये प्रति किलो मिलते हैं। जबकि थाईलैंड, बंगलादेश, मलेशिया और चीन में इसकी कीमत 25 से 30 हजार रुपये प्रति किलो मिल जाती है।

इसका मांस करीब दो हजार रुपये किलो तक बिकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांस की भी कीमत करीब 5 हजार रुपये किलो तक मिलती है। कछुओं की तस्करी का जाल बिहार, यूपी, बंगाल, असम आदि राज्यों में फैला है। सीमावर्ती जिलों से नेपाल बांग्लादेश चीन तक पहुंचाते हैं।

कछुओं की तस्करी नई नहीं है। सीमा पर जब कछुए की बरामदगी होती है, तब इसका खुलासा होता है। कछुओं के एवज में उन्हें इसकी मुंह मांगी कीमत मिलती है। कछुओं की तस्करी के पीछे एक बड़ा गैंग काम कर रहा है जो अमेठी, सुल्तानपुर वाया गोरखपुर दुर्लभ कछुओं की खेप पहुंचाने का काम कर रहा है। फिर वहां से सेटिंग के अनुसार सीमावर्ती गांव तक कछुए पहुंचाए जाते हैं।
अपर पुलिस अधीक्षक आतिश कुमार सिंह ने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्र में निगरानी तेज कर दी गई है। अगर कहीं ऐसी जानकारी मिलेगी तो त्वरित कार्रवाई की जाएगी।
महिलाएं भी तस्करी में शामिल
कछुओं की तस्करी में महिलाएं भी शामिल हैं। तस्करी में शामिल लोग कछुओं को एक से दूसरी जगह पहुंचाने का काम करते हैं। इन लोगों को इस काम के लिए मजदूरी मिलती है। कछुओं की तस्करी में सक्रिय गैंग शामिल है। सरहद को छोड़ अन्य भारत के रास्तों में महिलाओं पर कोई अधिकारी या जांच एजेंसी शक नहीं करते हैं। इसके लिए सीमा तक महिलाओं का सहारा लिया जाता है।
200 में पकड़े जाते हैं कछुए, विदेश में बिकते हैं 50 हजार में
भारतीय इलाकों से तालाब, गंगा नदी और जलाशयों से कछुए पकड़े जाते हैं। कछुआ पकड़ने वालों को प्रति कछुआ 200 से 500 रुपये दिए जाते हैं। तस्कर कछुओं को एकत्र कर इन्हें पश्चिम बंगाल भेजते हैं। तस्कर को 100 से 200 रुपये दिए जाते हैं। बंगाल में कछुआ एक से 10 हजार रुपये तक मांस के हिसाब बिकता है। गोल्डन प्रजाति के कछुओं की नेपाल, बांग्लादेश में तस्करी की जाती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि पिगनोज कछुए आसानी से मिल जाते हैं लेकिन 20 नाखून वाले कछुए की कीमत 8-10 लाख रुपये तक की होती है।

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