धुंए में बदल जाएंगे दुश्मन के देश, सेना में हाइपरसोनिक मिसाइलों की होगी एंट्री

रतन गुप्ता उप संपादक 

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) भारतीय सुरक्षा बलों के लिए हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास में जुटा है। इस पहल के तहत भारतीय सेना लंबी दूरी की क्रूज़ और बैलिस्टिक मिसाइलों को शामिल करने की योजना बना रही है, जिनमें 2000 किलोमीटर की रेंज वाली निर्भय और 400 किलोमीटर की रेंज वाली प्रलय मिसाइल शामिल हैं।

*सेना की लंबी दूरी की क्षमताएँ*

भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट के महानिदेशक, लेफ्टिनेंट जनरल ए कुमार, ने बताया कि सेना लंबी दूरी की रॉकेट प्रणाली पर भी काम कर रही है। इसके तहत स्वदेशी पिनाका रॉकेट की रेंज को 300 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना बनाई गई है। यह कदम सेना की रणनीतिक क्षमता को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे वह अपनी सीमाओं पर स्थित खतरों का सामना करने में सक्षम होगी। लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने बताया कि प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल और निर्भय मिसाइलों के अधिग्रहण के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद से मंजूरी मिल चुकी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हाइपरसोनिक मिसाइलों का विकास कार्य DRDO द्वारा तेजी से किया जा रहा है। इन मिसाइलों की रेंज, सटीकता, और मारक क्षमता को बेहतर बनाने के लिए अनुसंधान जारी है।

*गोला-बारूद की सटीकता और मारक क्षमता*

सेना में गोला-बारूद की सटीकता और मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए कई सुधार किए जा रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने कहा कि सेना निरंतर निजी और सरकारी क्षेत्रों के साथ मिलकर सेंसर फ्यूज्ड म्यूनिशन (SFM), रामजेट का उपयोग करके विस्तारित रेंज गोला-बारूद और कोर्स करेक्टेबल फ्यूज (CCF) विकसित कर रही है। इसके अलावा, सटीकता को और बढ़ाने के लिए लोइटर म्यूनिशन, स्वार्म ड्रोन और रनवे इंडिपेंडेंट RPAS जैसे अत्याधुनिक उपकरणों की खरीद की जा रही है।

*वास्तविक ऑपरेशनल स्थितियों का प्रशिक्षण*
उत्तरी सीमाओं पर मौजूदा ऑपरेशनल स्थिति को देखते हुए, सेना ने अपने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में वास्तविक ऑपरेशनल परिस्थितियों को शामिल करने का निर्णय लिया है। विशेष तकनीकी उपकरणों जैसे स्वार्म ड्रोन और रनवे इंडिपेंडेंट RPAS के प्रशिक्षण पर भी जोर दिया जा रहा है, ताकि सेना के जवान इन अत्याधुनिक तकनीकों का बेहतर उपयोग कर सकें।

*महिला अधिकारियों का समावेश*

अब तक आर्टिलरी रेजिमेंट में 19 महिला अधिकारियों को कमीशन किया गया है। इन्हें विभिन्न उपकरणों और भौगोलिक परिस्थितियों वाले यूनिट्स में तैनात किया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने विश्वास जताया कि ये महिला अधिकारी अपने करियर में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगी, जो सेना के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

रूस-यूक्रेन युद्ध से मिले सबक

लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध से भारतीय सेना ने कई महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं। इस संघर्ष ने यह स्पष्ट कर दिया है कि तकनीकी, रणनीतिक, और परिचालन नवाचारों पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है, ताकि भविष्य की चुनौतियों का सामना किया जा सके।​ भारतीय सेना अपने तकनीकी क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। हाइपरसोनिक और अन्य उन्नत मिसाइल प्रणालियों का विकास भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सेना की यह पहल न केवल देश की सुरक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत की स्थिति को सुदृढ़ करेगी

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