जानिए नेपाल के कुछ महत्तवपूर्ण दुर्गामंदिर एवं शक्तिपीठ के विषय में

रतन गुप्ता उप संपादक

नेपाल में मां दुर्गा के मंदिरों के साथ-साथ शक्तिपीठ भी मौजूद हैं। आइए जानते हैं नेपाल के प्रसिद्ध मां दुर्गा के मंदिरों के बारे में…

*मनकामना देवी मंदिर*

नेपाल की राजधानी काठमांडू से 105 किमी दूर मनकामना देवी का मंदिर स्थित है। जैसा की नाम से स्पष्ट है कि यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस देवीस्थान को नेपाल के भक्त शक्तिपीठ की तरह ही मानते हैं। मंदिर के पीछे एक रोचक कथा है। कथा के अनुसार, एकबार किसान ने गलती से एक पत्थर को चोट मार दी थी। उस पत्थर से अचानक रक्त और दूध एकसाथ निकलने लगे। इस बात को किसान ने गांववालो को बताया। गावंवालों ने जब यह देखा तो देवी मां का अवतार मानकर पूजा करने लगे और एक विशाल मंदिर का निर्माण कराया।


*गुह्येश्वरी शक्तिपीठ*
51 शक्तिपीठों में से एक गुह्येश्वरी शक्तिपीठ भी नेपाल में मौजूद है। मां का यह मंदिर पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर बागमती नदी के किनारे स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां माता दोनों जानु (घुटने) गिरे थे। इस शक्तिपीठ की शक्ति महमाया और भगवान शिव भैरव कपाल रूप में मौजूद हैं। इस मंदिर के छिद्र में निरंतर जल बहता रहता है। इस मंदिर का निर्माण 17वीं सदी में राजा प्रताप मल्ला ने करवाया था। हर साल नवरात्र के दौरान मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें भारत से भी लोग मंदिर के दर्शन करने जाते हैं।

*दंतकाली मंदिर*

दंतकाली मंदिर भी नेपाल के प्रसिद्ध मां दुर्गा के मंदिरों में से एक है। साथ ही यह 51 शक्तिपीठ में से एक माना जाता है। मान्यता है कि देवी सती के मृत शरीर को जब भगवान शिव ले जा रहे थे तब भगवान विष्णु ने माता सती के मृत शरीर को सुदर्शन से कई हिस्सों में काट दिया था। यहां माता सती का दांत गिरे था, जिस वजह से इसका नाम दंतकाली पड़ा। मां का यह मंदिर नेपाल के बिजयापुर गाँव में स्थित है। कोरोना काल से पहले इस मंदिर नवरात्र के दौरान काफी भी भीड़ लगती थी।

*दक्षिणकाली मंदिर*
नेपाल में दक्षिणकाली मंदिर भी है, जो माता काली को समर्पित है। यह मंदिर काठमांडू से 14 मील की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर को निर्माण को लेकर एक कथा है। कथा के अनुसार, वहां के राजा के सपने में मां काली ने मंदिर के निर्माण के लिए कहा था। तब राजा ने मंदिर का निर्माण करवाया। यहां जो भी मां का भक्त आता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

*बज्रयोगिनी मंदिर*
मां भगवती का यह मंदिर काठमांडू के पास बहने वाली साली नदी के किनारे सांखू में स्थित है। यहां देवी मां की प्रतिमा को कई आभूषणों से सजाया जाता है। इस मंदिर हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों के लोग आते हैं और मां से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस मंदिर में शांति प्राप्त होती है और प्रकृति का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
मौला कालिका मंदिर

नेपाल में मौला कालिका मंदिर काफी प्रसिद्ध है। यह मंदिर मां काली को समर्पित है और इस मंदिर में मां के दर्शन के लिए 1883 सीढ़ियां चढ़नी पढ़ती हैं। यह मंदिर नेपाल के नवलपरासी जिले में स्थित है। 16वीं शताब्दी में पाल्पा राजा ने मंदिर का निर्माण करवाया था। काली देवी के इस मंदिर में पशु बलि पर हाल ही में प्रतिबंध लगा दिया था। भारत से भी हर साल कई भक्त मां के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।

*कंकालिनी मंदिर*
भारदह का कंकालिनी मंदिर भी शक्तिपीठ है। पुरातत्व विभाग द्वारा प्रकाशित सांस्कृतिक विरासत की प्रारंभिक रिपोर्ट के आठवें भाग में कंकालिनी भगवती के स्वरूप के बारे में उल्लेख किया गया है कि ‘यह मूर्ति अष्टमात्रा देवियों में से एक चामुंडा देवी की मूर्ति है।’

*छिन्नमस्ता मंदिर*

नेपाल का प्रसिद्ध छिन्नमस्ता मंदिर। यह प्राचीन एवं भव्य मंदिर मुख्यालय राजविराज बाजार से लगभग 10 किमी दक्षिण में सखरा नामक स्थान पर स्थित है। नेपाली शैली में बने इस मंदिर के अंदर दाएं से बाएं ओर ढके हुए लहराते सिर वाली 5 मूर्तियां हैं। उन मूर्तियों को भैरवी, चामुंडा, छिन्नमस्ता, दक्षिणकाली और मर्हिषमर्दिनी कहा जाता है। इन भगवती को छिन्नमस्ता कहा जाता है क्योंकि छिन्नमस्ता भगवती का सिर काट दिया गया था।

*राजदेवी मंदिर*

प्राचीन मिथिला के राजा जनक की देवी मानी जाने वाली माता राजदेवी के मंदिर में हालांकि पुरुष भक्त पूजा कर सकते हैं, लेकिन महिलाएं 10 दिनों तक केवल मंदिर की खिड़की से ही पूजा करती हैं। साल के अन्य दिनों में महिला श्रद्धालु पूजा करती हैं, लेकिन दसै पर उन्हें प्रवेश करने से रोक दिया जाता है। राम मंदिर और राजदेवी मंदिर के महंथ राम गिरि कहते हैं कि चूंकि यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, इसलिए इसे तोड़ा नहीं जा सकता.

*गहवा माइ मंदिर*

गहवामाई मंदिर बीरगंज का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह गहवामाई भगवती का मंदिर है। इस मंदिर का क्षेत्रफल लगभग 7225 वर्ग फुट है। मंदिर के तीन दरवाजे हैं। मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में है। मंदिर में कई देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। लेकिन यह मंदिर दुर्गा भवानी की शक्ति और सूर्य की शक्ति के कारण लोकप्रिय है। यह बीरगंज का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है और ऐसा क्षेत्र जहां लोग बहुत व्यस्त रहते हैं।

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