इस्लामाबाद
ब्रिक्स समिट में रीजनल सिक्युरिटी पर चिंता जाहिर किए जाने के बीच पाकिस्तान ने माना कि जैश और लश्कर उसकी जमीन से ऑपरेट कर रहे हैं। PAK फॉरेन मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ ने जिओ न्यूज के शो में कहा कि लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे आतंकी संगठन पाकिस्तान की जमीन से ऑपरेट कर रहे हैं। आसिफ ने कहा कि इन संघठनों पर कुछ बंदिशें लगानी चाहिए। बता दें कि ब्रिक्स के ज्वाइंट स्टेटमेंट में पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे गुटों को दुनिया के लिए खतरा बताया गया था।
PAK फॉरेन मिनिस्टर आसिफ जिओ न्यूज के शो पर सीनियर जर्नलिस्ट शाहजेब खानजादा के साथ बातचीत कर रहे थे। आसिफ के मुताबिक, “आतंकी संगठनों पर ब्रिक्स की चिंता को चीन का ऑफिशियल स्टैंड नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि रूस, इंडिया, ब्राजील और साउथ अफ्रीका भी इसके पार्टनर्स हैं।” उन्होंने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का नाम डिक्लेरेशन में शामिल किए जाने को लेकर चीन के रोल की तारीफ भी की। आसिफ ने कहा कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान में कई आतंकी हमलों का जिम्मेदार है।
ख्वाजा आसिफ ने इससे पहले हुए ब्रिक्स समिट का हवाला दिया, जो भारत में हुई थी। आसिफ ने कहा, “उस समिट के दौरान भारत ने डिक्लेरेशन में प्रतिबंधित संगठनों के नामों को शामिल किए जाने के लिए लॉबिंग की थी, लेकिन चीन के विरोध के कारण वो कामयाब नहीं रहा था। लेकिन, दोस्तों को हर बार परखना ठीक नहीं है। खासतौर से बदले हुए माहौल में।”
“LeT और JeM जैसे संगठनों की हरकतों पर हमें कुछ बंदिशें लगानी होंगी, ताकि हम ग्लोबल कम्युनिटी को दिखा सकें कि हम अपने घर को ठीक करने का माद्दा रखते हैं।”
“हमें अपने आप से सवाल करना चाहिए कि नेशनल एक्शन प्लान (NAP) के मुताबिक हमने दिल से काम किया है? क्या पिछले 3 साल के दौरान जर्ब-ए-अज्ब, रद्दुल फसाद और खैबर 4 के अलावा हमने वो सुधार किए, जो तय किए थे? क्या हमने दुनिया को ये दिखाया कि 2014 में जो इरादा हमने बनाया, उसके मुताबिक काम किया है?”
ख्वाजा आसिफ ने देश के हालात साफ करने के लिए कहा कि पहली बार फॉरेन मिनिस्ट्री ने एड पब्लिश कर लोगों से अपील की कि वे कुर्बानी के जानवर की खाल प्रतिबंधित संगठनों को ना दें, जिनमें LeT और JeM भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन कोशिशों के बावजूद कुछ जगहों पर ये ऑर्गनाइजेशंस खाल कलेक्ट कर रहे हैं।
आसिफ ने कहा, “मैं कोई पॉलिटिकल स्टेटमेंट नहीं दे रहा हूं, लेकिन मैं आपको फैक्ट बता रहा हूं। हम तबसे ही ये शर्मिंदगी झेल रहे हैं, जबसे हमने इन आतंकी संगठनों से नजरें फेर लीं।” ब्रिक्स देशों की तरफ से जारी डिक्लरेशन में कहा गया था, “हम तालिबान, लश्करे-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, तहरीके-तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, आईएसआईएस, हिज्ब उत-तहरीर, अलकायदा, ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट और उज्बेकिस्तान के इस्लामिक मूवमेंट द्वारा क्षेत्र में फैलाई जा रही हिंसा के चलते बिगड़े सुरक्षा हालात पर चिंता जताते हैं।”
“हम आतंकवाद के सभी रूपों, इससे जुड़े ड्रग ट्रैफिकिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और दुनिया समेत ब्रिक्स देशों में हुए सभी आतंकी हमलों की आलोचना करते हैं। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम इंटरनेशनल कोऑपरेशन बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। इसमें देशों की संप्रभुता का खयाल रखना चाहिए, किसी भी देश के अंदरूनी मामलों में दखल नहीं दिया जाना चाहिए।” “ब्रिक्स देश यूएन की जनरल असेंबली की तरफ से ‘कॉम्प्रिहेंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेरेरिज्म’ (अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र समझौते) को जल्द ही अंतिम रूप दिए जाने और इसे मंजूर किए जाने की भी मांग करते हैं। ब्रिक्स देश आतंकवाद से मुकाबले और इसके लिए की जा रही फाइनेंसिंग को रोकने के लिए व्यापक नजरिया अपनाएं।”
शियामेन में इंडियन फॉरेन मिनिस्ट्री के सेक्रेटरी (ईस्ट) प्रीति सरन ने कहा था, “आतंकवाद पर आप दोहरा रवैया नहीं अख्तियार कर सकते, इससे निपटने के लिए हमें आज साथ आने की जरूरत है। ब्रिक्स लीडर्स ने देशों से आतंकी नेटवर्क को फाइनेंसिंग और अपने क्षेत्रों में आतंकी कार्रवाईयों को रोकने के लिए कहा है। पहली बार डिक्लरेशन में आतंकी संगठनों की खास लिस्ट का जिक्र किया गया है। डिक्लरेशन के 7 पैराग्राफ्स में आतंकवाद की निंदा की गई। पीएम मोदी ने ब्रिक्स लीडर्स की रेसट्रिक्टेड ( restricted) सेशन में एक कॉन्फ्रेंस होस्ट करने की पेशकश भी की है।”