देवबंद
दीपावली के अवसर पर वाराणसी में कुछ मुस्लिम महिलाओं द्वारा भगवान राम की आरती एवं चित्र के समक्ष दीये सजाकर पूजा करने को देवबंदी उलेमा ने इस्लाम से खारिज बताया है। उन्होंने महिलाओं को अल्लाह से माफी मांग पुन: कलमा पढ़ इमान में दाखिल होने की हिदायत दी है। दरअसल वाराणसी में एक संस्था द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में नाजनीन अंसारी समेत कुछ मुस्लिम महिलाओं ने उर्दू में रचित श्रीराम की आरती और हनुमान चालीसा का पाठ किया था। इसी को लेकर फतवा ऑनलाइन के संस्थापक मुफ्ती अरशद फारुकी समेत अन्य उलेमा-ए-कराम ने कहा कि जिन महिलाओ ने दूसरे मजहबी अकीदे को अपनाते हुए यह सब क्रियाएं की हैं, वे इस्लाम मजहब से भी खारिज हैं।
इस्लाम मजहब में अल्लाह के सिवा किसी दूसरे मजहब के साथ मोहब्बत और नरमी तो बरती जा सकती है लेकिन पूजा नहीं की जा सकती है। इसलिए बेहतर हो कि वे अपनी गलती मान दोबारा कलमा पढ़ इमान में दाखिल हों। उन्होंने कहा कि वे कलमा पढ़ लोगों को बताएं उन्होंने अपनी गलती की तौबा कर ली और जिसके बाद उन्हें माफ कर इमान में दाखिल समझा जाएगा।