लखनऊ। डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कार्यविरत कुलपति प्रो. निशीथ राय पर लगे आठों आरोप सही पाए गए हैं। मुख्यमंत्री व सामान्य परिषद के अध्यक्ष योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रो. राय के खिलाफ चल रही जांच की रिपोर्ट रखी गई। प्रो. राय को इसकी कॉपी देते हुए 23 जनवरी तक अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया है। इसके बाद सामान्य परिषद अंतिम निर्णय लेगी और अपनी संस्तुति राज्यपाल व कुलाधिपति को भेजेगी।
पुनर्वास विवि के कार्य विरत कुलपति प्रो. राय पर एक साथ दो-दो पदों पर काम करने, जन्मतिथि में हेरफेर, शिक्षकों की नियुक्ति, शोध प्रवेश में गड़बड़ी, न्यायालय में कूटरचित अभिलेखों का प्रयोग जैसे गंभीर आरोप थे। पिछले साल फरवरी में उन्हें पद से हटाकर सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति शैलेंद्र सक्सेना की जांच कमेटी बनाई गई थी। इसने पड़ताल की और प्रो. राय से आरोपों के बारे में जानकारी भी ली। बुधवार को सामान्य परिषद की बैठक में जांच रिपोर्ट रखी गई। कुलपति व परिषद के सचिव प्रवीर कुमार ने बताया कि परिषद को जानकारी दी गई कि प्रो. राय पर लगे सभी आरोप साबित हुए हैं। इस पर परिषद ने प्रो. राय को अपनी बात रखने के लिए एक सप्ताह का समय देने को कहा। इसके बाद सामान्य परिषद की दोबारा बैठक होगी। इसमें जो निर्णय होगा उसकी संस्तुतियां राज्यपाल को भेजी जाएंगी। बता दें कि प्रो. राय का कार्यकाल भी 27 जनवरी को समाप्त हो रहा है। परिषद की बैठक में विश्वविद्यालय के नए पीएचडी अध्यादेश व नई संबद्धता नियमावली को भी रखा गया। हालांकि इस पर विस्तार से चर्चा नहीं हो सकी। सभी सदस्यों को इसकी कॉपी देते हुए कहा गया कि अगर इसमें उनके कोई सुझाव हो तो वे दे सकते हैं। इसके बाद इसे अगली बैठक में रखा जाएगा। कुलपति पर आरोप है कि एक साथ दो पदों कुलपति व लविवि अर्बन केंद्र के निदेशक पर काम किया। नियुक्तियों में गड़बड़ी, मनमानी चयन समिति का गठन, अपनी जन्मतिथि में गड़बड़ी, रजिस्ट्रार-एफओ को गलत ढंग से हटाना, शोध में नियम विपरीत लिए गए प्रवेश, नियम विपरीत कॉलेजों को संबद्धता देना, नियम के विपरीत विदेश यात्रा करना, न्यायालय में कूटरचित अभिलेख सिद्ध हुए है। पुनर्वास विवि के कार्य विरत कुलपति प्रो. निशीथ राय का कहना है कि मैंने अभी रिपोर्ट नहीं देखी है। इसे देखने के बाद ही मैं कोई टिप्पणी करूंगा। पूर्व में भी मैंने लिखित दिया था कि जो भी आरोप लगाए गए हैं वे तथ्यहीन और कूटरचित हैं। ऐसा करने वालों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई है।