——ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को विवश हैं बाढ़ पीड़ित:नरवाजोत-पिपराघाट बांध पर कटान तेज
कुुशीनगर ! उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में नरवाजोत-पिपराघाट बांध पर दहारी टोला के सामने शुुुुक्रवार को अचानक गंडक नदी में बैकरोलिंग शुरू हो गई। देखते ही देखते बंधे के स्लोप में 50-60 मीटर घुसकर कटान करने लगी। इससे गांव में अफरातफरी मच गई। कटान की सूचना मिलते ही बाढ़ खंड के अभियंता मौके पर पहुंचे और बचाव कार्य शुरू करा दिया।
गंडक नदी का डिस्चार्ज घटने के साथ ही पिपराघाट में कटान शुरू हो गई है। शुक्रवार को दहारी टोला के सामने नदी का दबाव इतना बढ़ गया कि देखते ही देखते नदी ने एक दर्जन से अधिक शीशम और केले के पेड़ों को निशाना बनाते हुए बंधे के 50-60 मीटर स्लोप को नदी की धारा में विलीन कर लिया।
इस बांध का निर्माण वर्ष 2015-2016 में सिंचाई विभाग व लोक निर्माण विभाग के संयुक्त प्रयास से लगभग 42 करोड़ की लागत से कराया गया था। बाढ़ खंड के अभियंताओं ने बोल्डर के साथ मिट्टी से भरे थैलों को मंगाकर कटान रोकने का कार्य शुरू करा दिया। चंद्रमा चौहान, पुजारी सिंह, जनार्दन चौहान, दूधनाथ शर्मा, ब्रह्मा साह, लालबाबू निषाद, अमरजीत चौहान, सकलदेव सिंह, महादेव चौहान, सुरेंद्र सिंह, कैलाश सिंह, प्रभुनाथ यादव का कहना है कि तीन दिन पहले ही नदी के बैकरोलिंग के चलते कई पेड़ नदी में समा गए थे, लेकिन बृहस्पतिवार से नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है, जिससे बांध के साथ तवकल टोला, भंगी टोला, देवनारायन टोला, बूटन टोला, चौकी टोला, मोतीराय टोला, हनुमान टोला सहित अन्य पुरवों की सुरक्षा को भी खतरा उत्पन्न हो गया है। बाढ़खंड के एक्सईएन भरत राम का कहना है कि कटान रोकने का कार्य शुरू करा दिया गया है। 3.200 किलोमीटर लंबे बांध पर निगरानी बढ़ा दी गई है।
उधर गंडक नदी में पानी के घटते-बढ़ते डिस्चार्ज के चलते बाढ़ पीड़ितों की दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पानी अब बहकर गांवों के निचले हिस्सों में चला गया है। मरचहवा दक्षिण व पूरब टोला में कई घर जमींदोज हो गए हैं। मरचहवा प्राथमिक स्कूल में कुछ लोग मवेशियों के साथ अब भी शरण लिए हुए हैं। घरों में कीचड़ व दुर्गंध से जनजीवन अस्त व्यस्त है।
एक पखवारे से गंडक नदी में वाल्मीकिनगर बैराज से हर घंटे छोड़े जा रहे पानी की मात्रा में उतार-चढ़ाव जारी है। फिलहाल दो लाख क्यूसेक से ऊपर डिस्चार्ज बना हुआ है। कुछ समय के लिए थोड़ा नीचे आया भी तो इसके तुरंत बाद बढ़ गया। बृहस्पतिवार को दोपहर एक बजे डिस्चार्ज 203500 क्यूसेक था। इसके सापेक्ष भैसहां गेज स्थल पर दोपहर बारह बजे नदी चेतावनी बिंदु से 38 सेंटीमीटर ऊपर 95.38 मीटर पर बह रही थी।
ग्रामीण ओमप्रकाश राजभर, मोशाएब, कुद्दूस, पन्नालाल, गरीब निषाद आदि ने बताया कि बाढ से घर ध्वस्त हो गए हैं। बांस के सहारे किसी तरह रोककर गुजर बसर कर रहे हैं। घरों में पूरी तरह कीचड़ है। राशन मिला है, लेकिन जलावन नहीं होने से पकाने की समस्या है। कीचड़ के चलते पैर सड़ने लगे हैं। मवेशियों के पैर व शरीर में संक्रमण होने लगा है। कुछ लोग स्कूल में रह रहे हैं। महिलाओं व बच्चो को नित्यक्रिया के लिए परेशानी हो है। रात में अंधेरा होने से सांप, मच्छर व अन्य कीड़े मकोड़े परेशान कर रहे हैं। मवेशियों के चारे के लिए जान जोखिम में डालकर नाला व तेज गति से बह रहे पानी को पार कर जाना पड़ रहा है। मजबूरी में चारा के लिए फसलों को काटकर लाना पड़ रहा है।
इसी तरह के मिलते-जुलते हालात बसंतपुर, शिवपुर, हरिहरपुर, नरायनपुर, बकुलादह, बालगोविंद छपरा, शाहपुर, विंध्याचलपुर आदि गांवों के हैं।