लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मंडल ने एक प्रेस बयान में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विशेष सुरक्षा बल के गठन के औचित्य पर सवाल उठाते हुए इसे असीमित अधिकार दिए जाने का कड़ा विरोध किया है। विशेष सुरक्षा बल अपनी मर्जी से किसी को भी बिना किसी आधार और वारंट के गिरफ्तार कर जेल भेज सकता हैं उसे मजिस्ट्रेट की अनुमति की भी जरूरत नहीं होगी इस प्रकार विशेष सुरक्षा बल के अधिकारियों और सदस्यों को किसी भी नागरिक की
स्वतंत्रता एवं गरिमा के अतिक्रमण करने का अधिकार दिया जा रहा है। किसी निर्दोष को गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने के लिए सुरक्षाबलों के सदस्यों पर
मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता और इस प्रकार वे निरंकुश होंगे। यही नहीं अदालतें इनके संबंध में तभी संज्ञान ले पाएंगी जब उत्तर प्रदेश सरकार इसकी
इजाजत देगी। इसकी पूरी संभावना है कि सरकार बदले की भावना से अपने विरोधियों को प्रताड़ित करने के लिए इस बल का इस्तेमाल करेगी। अपराधों को रोकने के लिए पर्याप्त कानून और फोर्स उत्तर प्रदेश में मौजूद हैं। इसके लिए नए कानूनों और नए फोर्स की नहीं बल्कि मजबूत पक्षपात रहित इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।
माकपा राज्य सचिव मंडल ने सरकारी नौकरियों में आरंभ के 5 वर्षों के लिए संविदा पर भर्ती की नई नियमावली का भी सख्त विरोध करते हुए कहा है कि यह नियमावली
अन्यायपूर्ण है और रोजगार चाहने वाले युवाओं को नौकरी पाने से रोकने और सरकारी कर्मचारियों को मनमाने तरीके से बाहर करने की एक सुनियोजित रणनीति है।