पीएलए से जुड़े सोशल मीडिया समूहों पर गुरुवार को प्रसारित किया गया यह वीडियो 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 20 भारतीय सेना के जवानों के मारे जाने और 10 के पकड़े जाने के कुछ घंटे बाद बनाया गया था।
15 जून 2020 को गलवान घाटी में जो कुछ हुआ उसने भारत और चीन के रिश्तों में एक गहरी लकीर खींच दी। वैसे तो भारत और चीन के बीच के रिश्ते हमेशा से विवादों में रहे हैं। लेकिन गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प पिछले कुछ दशकों में से हैरान करने वाली घटनाओं में से एक थी। लेकिन अब गलवान झड़प के ढाई साल बाद चीन की तरफ से तवांग में मुंह की खाने के बाद नया प्रोपोगैंडा चलाया जा रहा है। जिसके बाद से ये सवाल उठ रहा है कि क्या चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा गालवान नदी संघर्ष के दौरान बंदी बनाए गए एक घायल भारतीय सेना अधिकारी को कबूलनामा करने के लिए मजबूर किया गया था। एक वीडियो चीन की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफ़र्म पर वायरल किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने गलवान घाटी में हुए संघर्ष के दौरान बंदी बनाए गए घायल भारतीय सेना अधिकारी का वीडियो बनाया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
चीन का प्रोपोगैंडा वीडियो
द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार पीएलए से जुड़े सोशल मीडिया समूहों पर गुरुवार को प्रसारित किया गया यह वीडियो 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 20 भारतीय सेना के जवानों के मारे जाने और 10 के पकड़े जाने के कुछ घंटे बाद बनाया गया था। पीएलए का प्रोपोगैंडा वीडियो भारत में सोशल मीडिया हैंडल द्वारा अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्से में झड़प का वीडियो पोस्ट करने के कुछ ही घंटे बाद जारी किया गया था, जिसमें सिख लाइट इन्फैंट्री की एक छोटी इकाई को पीएलए सैनिकों की बड़ी संख्या के खिलाफ अपनी स्थिति का बचाव करते हुए दिखाया गया था। पीएलए के वीडियो में एक प्रमुख रैंक के अधिकारी को यह कहते हुए देखा जा सकता है कि उन्हें वास्तविक नियंत्रण रेखा पार करने और चीनियों द्वारा अपने क्षेत्र के अंदर लगाए गए टेंट को हटाने का आदेश दिया गया था। दिप्रिंट द्वारा संपर्क किए जाने पर, भारतीय सेना के सूत्रों ने कहा कि वे अभी तक वीडियो की सत्यता का पता नहीं लगा पाए हैं।
अंतरराष्ट्रीय कानूनों की धज्जी उड़ा रहा चीन?
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या बंदी बनाए गए सेना का वीडियो बनाना और उस पर जबरन कबूलनामा के लिए दवाब बनाना जेनेवा समझौता का सीधा-सीधा उल्लंघन है। जिनेवा समझौता में कहा गया है कि “युद्ध के कैदी पर कोई नैतिक या शारीरिक दबाव नहीं डाला जा सकता है ताकि उसे खुद को अधिनियम के लिए दोषी मानने के लिए प्रेरित किया जा सके। जिस पर वह आरोपी है”। राष्ट्र-राज्यों की सेवा में सभी लड़ाकों पर सुरक्षा लागू होती है, चाहे युद्ध की घोषित स्थिति मौजूद हो या नहीं।चीन अंतरराष्ट्रीय कानूनों की धज्जियां उड़ा रहा है।