चीन का अनुमान है कि चरम पर पहुंचकर कोरोना खुद-व-खुद कम हो जाएगा। चीन कह रहा है कि इकोनॉमी और इंड्स्ट्रयल ग्रोथ पर इसका असर नहीं पड़ेगा। जबकि चीन से निकलकर वायरस अलग-अलग मुल्कों में फैलेगा और इससे लाखों लोगों की जान जा सकती है।
चीन कोरोना संक्रमित बुजुर्गों का इलाज नहीं कर रहा है। इसके साथ ही कम इम्युनिटी वालों का भी इलाज करने से चीन कतरा रहा है। इपोच टाइम्स की रिपोर्ट के हवाले से ये दावा किया गया है। चीन में 4 करोड़ ऐसे बुजुर्ग हैं उन्हें कोविड रोधी टीका तक नहीं दिया गया है। यानी अगर वे बुजुर्ग हैं तो हमें उनकी कोई जरूरत नहीं है। नवंबर 2022 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चीन 80 बरस से ऊपर की सिर्फ 40 फीसदी आबादी को कोरोना वैक्सीन की खुराक दे पाया है। इसी ऐज-ग्रुप के लोग सबसे ज़्यादा ख़तरे में हैं। टीका न लगने से बुजुर्गों की सबसे ज्यादा मौत हो रही है। इसकी वजह से चीन की बढ़ती आबादी जो 150 करोड़ से ज्यादा है उसे घटाने की कोशिश मानी जा रही है।
कैसे काम कर रहा है चीन का बायो वेपन
चीन का अनुमान है कि चरम पर पहुंचकर कोरोना खुद-व-खुद कम हो जाएगा। चीन कह रहा है कि इकोनॉमी और इंड्स्ट्रयल ग्रोथ पर इसका असर नहीं पड़ेगा। जबकि चीन से निकलकर वायरस अलग-अलग मुल्कों में फैलेगा और इससे लाखों लोगों की जान जा सकती है। कोरोना की वजह से दूसरे मुल्कों की अर्थव्यवस्था गिरेगी। ये चीन के लिए अच्छी खबर हो सकती है। इस बायो वेपन के जरिए चीन दुनिया के तमाम मुल्कों को निशाना बनाना चाहता है। इसलिए इस बार की कोविड लहर को चीन का बायो वेपन कहा जा रहा है।
खबरों को सेंसर कर रहा चीन
कई मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा कि चीन में 54 लाख से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हो गए हैं और मृतकों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन इन सब के बीच चीन ने जो सरकारी आंकड़े पेश किए हैं वे हैरान करने वाले हैं। चीनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने शुक्रवार को कहा कि चीन में 22 दिसंबर को कोई मौत नहीं हुई है और संक्रमितों की संख्या केवल 3,761 है। प्रकोप के प्रसार को देखते हुए जो आंकड़े बताए जा रहे हैं वह अविश्वसनीय है।