नई दिल्ली वेंकैया नायडू का उपराष्ट्रपति बनना तय दिख रहा है. उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग जारी है. एनडीए के वेंकैया नायडू और यूपीए के गोपालकृष्ण गांधी के बीच मुकाबला है. वोटों का समीकरण देखते हुए नायडू की जीत तय मानी जा रही है. नायडू पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के भरोसेमंद माने जाते हैं. उम्मीदवार बनाए जाने के बाद नायडू ने कहा कि पार्टी ने उन्हें मां की तरह संभाला. नायडू साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर यहां तक पहुंचे हैं.
नायडू के निजी और राजनीतिक सफर पर एक नजर :
वेंकैया नायडू का जन्म: 1 जुलाई, 1949 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में हुआ.
पिता का नाम: रंगैया नायडू (किसान)
शिक्षा: नेल्लोर से स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वहीं से राजनीति और कूटनीति में स्नातक किया. विशाखापत्तनम के लॉ कालेज से अंतरराष्ट्रीय कानून में डिग्री.
विवाह: 14 अप्रैल, 1971 को उषा से शादी.
संतान: एक बेटा और एक बेटी.
वेंकैया नायडू चार बार राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं. फिलहाल वो राजस्थान से सांसद हैं. नायडू पहली बार राज्यसभा के लिए 1998 में चुने गए थे इसके बाद से ही 2004, 2010 और 2016 में वह राज्यसभा के सांसद बने.
शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक के रूप में, फिर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में रहे और कॉलेज यूनियन के अध्यक्ष बने.
1972 में जय आंध्रा आंदोलन से नेता के रूप में मशहूर हुए.
1974 में जयप्रकाश नारायण की छात्र संघर्ष समिति में आंध्र प्रदेश के संयोजक बने.
नायडू 1975 के दौरान इमरजेंसी में जेल भी गए थे.
महज 29 साल की उम्र में 1978 में पहली बार विधायक बने. 1983 में भी विधानसभा पहुंचे और धीरे-धीरे राज्य में भाजपा के सबसे बड़े नेता बनकर उभरे.
1977 से 1980 के बीच जनता पार्टी के समय में वे यूथ विंग के प्रेसिडेंट भी रहे.
1980 से 1983 के बीच नेशनल बीजेपी यूथ विंग के उपाध्यक्ष,
1980 से 85 तक आंध्र प्रदेश विधानसभा में बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष रहे.
1988 से 1993 के बीच वह आंध्र प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष.
1993 से 2000 तक नायडू बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव.
1996-2000 तक पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे.
1998 में पहली बार कर्नाटक से राज्यसभा के लिए चुने गए.
1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे.
साल 2002 में नायडू पहली बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए.
साल 2004 में नायडू राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, लेकिन उसी साल आम चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया.
अप्रैल 2005 के बाद वे बीजेपी के सीनियर उपाध्यक्ष बनाए गए.
2006 के बाद वेंकैया को बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड का सदस्य और केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य बनाया गया.