रिपोर्टर रतन गुप्ता सोनौली /नेपाल
लखनऊ की एससी-एसटी कोर्ट में पेशी के दौरान सात जून को गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या की गई थी। जीवा जब वह कोर्ट रूम में पहुंचा था तभी वकील के ड्रेस में आए शूटर ने जीवा पर रिवॉल्वर की छह की छह गोलियां दाग दी थीं। जीवा की मौके पर मौत हो गई थी।
गैंगस्टर जीवा को गोलियों से भूनने वाले शूटर विजय की नेपाल में डॉन बदन सिंह बद्दो से मुलाकात भी हुई थी। जिस गुर्गे ने पहले विजय से मिलकर सुपारी दी थी, उसी ने ये मुलाकात कराई थी। तब बद्दो ने विजय से कहा था कि उसके जेल जाने के बाद केस लड़ने का पूरा खर्च वही लोग उठाएंगे। यहां तक कि परिवार का खर्च भी उठाते डे ।
जानकारी के मुताबिक, बद्दो असल नाम बताकर नहीं मिला था। सूत्रों के मुताबिक, सुपारी देने वाले गुर्गे ने कई बार विजय से मुलाकात की थी। बीस लाख में सुपारी दी थी। जिस दिन हत्या हुई, एक गुर्गे ने वकील की ड्रेस भी उसे दी थी। परिवर्तन चौक के पास सार्वजनिक शौचालय में विजय ने कपड़े बदले थे।
बहराइच से लखनऊ पहुंचने की बात भी सही साबित हुई है। करीब एक साल से बद्दो और उसके गुर्गे जीवा की हत्या की साजिश रच रहे थे। कई गुर्गे महीनों तक लखनऊ में डेरा डाले रहे। कोर्ट में वकील बनकर भी गए, जिन्होंने जीवा के केसों से संबंधित सभी जानकारियां निकालीं।
इससे पता चला कि किस केस में उसकी कब-कब पेशी है। वह किस तरह से आता है। सुरक्षा व्यवस्था कितनी रहती है। ये सभी डिटेल विजय को उसी गुर्गे ने मुहैया कराई थी। एक बार कोर्ट में ले जाकर रेकी भी कराई थी।
गैंगस्टर सुशील मूंछ और बद्दो दोनों के निशाने पर था जीवा
सूत्रों के मुताबिक जीवा के अधिवक्ता के पास से एक अहम पत्र मिला था। जो एक जज को दिया गया था, जिसमें कुछ महीने पहले जीवा की तरफ से लिखा गया था। दावा किया गया था कि बदन सिंह बद्दो उसकी हत्या कराने की साजिश रच रहा है। उसकी जान को खतरा है। यही नहीं, कुख्यात सुशील मूंछ का भी जिक्र था। उससे भी खतरा बताया गया था। दोनों ही जीवा को रास्ते से हटाना चाहते थे।
वसूली के लिए लगवाई थी फिजिकल पेशी
सूत्रों के मुताबिक विवेचना में सामने आया कि अमूमन जीवा की पेशी वीडियो कॉल पर होती थी। लेकिन, उस दौरान फिजिकल पेशी होती थी। जीवा ने खुद फिजिकल पेशी लगवाई थी। उसका मकसद रहता था कि जब वह पेशी पर आएगा तो अपने लोगों से मिल लेगा और वसूली कर सकेगा। वहीं बुलेट प्रूफ जैकेट न पहनने का निर्णय खुद जीवा का था।
सुरक्षा व्यवस्था की थी नाकमी, खराब थे कैमरे, गेट नंबर-7 दाखिल हुआ था शूटर
जांच के लिए एडीजी मोहित अग्रवाल के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया था, जिसमें आईजी अयोध्या रेंज प्रवीण कुमार व ज्वाॅइंट सीपी मुख्यालय भी शामिल थे। एसआईटी की निगरानी में केस की विवेचना हुई। एसआईटी ने लापरवाही के पहलू पर भी जांच की।
सूत्रों के मुताबिक एसआईटी ने कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था की नाकामी को बड़ी वजह बताया है। कोर्ट परिसर के कैमरे खराब मिले। जांच में ये भी सामने आया कि गेट नंबर-7 से शूटर विजय दाखिल हुआ था।
सूत्रों ने बताया कि कई जिम्मेदार पुलिस अफसरों को इसमें दोषी बनाया गया है। इससे संबंधित रिपोर्ट शासन को भेजी है। इन अफसरों की विभागीय जांच भी हो सकती है। आपको बता दें कि गैंगस्टर जीवा लखनऊ की सात जून को एससी-एसटी कोर्ट में पेशी थी। जब वह कोर्ट रूम में पहुंचा था तभी वकील के ड्रेस में आए शूटर ने जीवा पर रिवॉल्वर की छह की छह गोलियां दाग दी थीं। जीवा की मौके पर मौत हो गई थी।
बद्दो की कहानी
बद्दो यानी वेस्टर्न यूपी में हैंडसम डॉन के नाम से मशहूर मेरठ का कुख्यात गैंगस्टर बदन सिंह है।
-बद्दो 2017 से यूपी की फर्रूखाबाद सेंट्रल जेल में उम्र क़ैद की सज़ा काट रहा था। 1996 में मेरठ के टीपी नगर इलाके में बद्दो ने दिल्ली के कुख्यात इनामी भोलू और अपने दर्जनों गुर्गों के साथ मिलकर एडवोकेट रवींद्र पाल सिंह की सरेआम हत्या कर दी थी। इसी हत्याकांड में उसे उम्रकैद मिली थी।
- ट्रक की फर्जी आरसी बनाने के एक मुक़दमे में बद्दो की गाजियाबाद कोर्ट में 28 मार्च 2019 को पेशी थी। पेशी से लौटते वक्त पुलिस वाले उसे उसके परिवार से मुलाकात कराने के लिए मेरठ ले आए। बद्दो ने पुलिसवालों को शराब और शबाब की पार्टी में छोड़ा और अकेले ही एक कार लेकर मेरठ के पॉश इलाके साकेत में एक ब्यूटी पार्लर में जा पहुंचा। वहां अपना हुलिया बदला फरार हो गया।
- 1995 में बद्दो की ज़िंदगी में जैस्मीन कौर उसकी पत्नी बनकर आई। जैस्मीन से उसे दो बच्चे बेटी अनमोल और बेटा सिकंदर हुए। इस बीच बद्दो के दुश्मनों की तादाद बढ़ी तो जैस्मीन बच्चों को लेकर सिडनी चली गई और वहां होटल कारोबार संभालने लगी।
- फिल्मी डॉन की तरह बद्दो की ज़िंदगी रंगीनियों से भरी थी। बद्दो की महिला मित्रों की लंबी फेहरिस्त थी। बद्दो देशी-विदेशी टॉप ब्रैंड्स का शौकीन था। लाखों की कीमत की राडो की घड़ियां, रेबेन के मंहगे चश्मे, अरमानी के सूट और बुलेट प्रूफ विदेशी गाड़ियों की रेंज उसकी शख़्सियत को आम गैंगस्टर से अलग करती हैं।
28 मार्च 2019 को फरारी के बाद बदन सिंह बद्दो ने मेरठ कई लोगो को वॉट्सऐप कॉल की थीं। लेकिन उसकी सबसे चौंकाने वाली एंट्री 4 फरवरी 2020 को हुई फेसबुक पर। उसने अपनी लोकेशन नीदरलैंड्स बताई।
पुलिस मेरठ के करीब दो दर्जन कारोबारियों को बद्दो का राज़दार होने के गुनाह में जेल की सलाखों के पीछे भेज चुकी है। यूपी एसटीएफ और मेरठ पुलिस उसकी तलाश में कई राज्यों में महीनों खाक छानती रही लेकिन उसका सुराग नहीं लगा। आशंका है कि वह विदेश में है