नेहरू पर सुषमा के बयान पर संसद में संग्राम, कांग्रेस ने दिया विशेषाधिकार हनन का नोटिस

नई दिल्ली राज्यसभा में भारत की विदेश नीति पर चर्चा के दौरान कल विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने विपक्ष पर कई प्रहार किए. कल सुषमा ने एक तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से बेहतर बता दिया.  सुषमा ने कहा कि नेहरू ने दुनिया में अपना नाम कमाया था, जबकि पीएम मोदी ने देश का नाम ऊंचा किया है.

चीन के साथ आपसी रिश्तों पर छायी धुंध के बारे में सुषमा ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि 1962 में अटल जी के कहने पर नेहरूजी ने चीन से तनावपूर्ण संबंधों के बारे में संसद को आहूत कर सरकार की स्थिति स्पष्ट की थी, लेकिन आज मुझे दुख है कि कांग्रेस ने सरकार से इस बारे में कुछ पूछने के बजाय भारत में चीन के राजदूत से मिलना मुनासिब समझा.”

सुषमा स्वराज ने कहा था, ”17 साल में एक भी प्रधानमंत्री नेपाल नहीं गया. हमारे प्रधानमंत्री दो दो बार नेपाल गए तो फिर संबंध खराब होने का सवाल कहां से आया. आज कांग्रेस जिन मुद्दों पर चिंता जता रही है उन मु्द्दों की जन्मदाता कांग्रेस ही है.”

चीन के साथ राहुल गांधी की मुलाकात पर निशाना साधते हुए सुषमा स्वराज ने कहा, “विपक्ष को चीन पर भारत का पक्ष समझना चाहिए था. मुझे दुख तब होता है जब विपक्ष ने भारत का पक्ष ना जानकर चीन के राजदूत को बातचीत के लिए बुलाया. सरकार ने विपक्ष को दो दिन की मीटिंग बुलाकर जानकारी दी थी. मीटिंग तब खत्म की गयी जब विपक्ष ने कहा वो संतुष्ट है.” सुषमा स्वराज की बात के जवाब में आनंद शर्मा ने चीनी राजदूत से कांग्रेस की मुलाकात को सही ठहराया था.

भारत की विदेश नीति पर कथित तौर पर सदन को गलत सूचना देने के मुद्दे पर विपक्षी दल आज राज्यसभा में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाएंगे. सूत्रों के मुताबिक अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेता स्वराज के खिलाफ कल दो विशेषाधिकार प्रस्ताव लाएंगे. यह प्रस्ताव कथित तौर पर ‘बानडुंग एशिया अफ्रीका संबंधों पर सम्मेलन और 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाहौर दौरे के बारे में गलत जानकारी देने’ को लेकर दिए जायेंगे.

सूत्रों ने कहा कि सुषमा ने दावा किया था कि उन्होंने बानडुंग सम्मेलन में कोई भाषण नहीं दिया, वहीं विपक्षी दलों ने उनके कथित भाषण को डाउनलोड किया और इसे साक्ष्य के तौर पर पेश करेंगे. दूसरा विशेषाधिकार प्रस्ताव कथित तौर पर ‘2015 में मोदी के लाहौर दौरे को लेकर सदन को गलत जानकारी देने को लेकर है, जिसमें दावा किया था कि उसके बाद से कोई आतंकी घटना नहीं हुई.’

विपक्ष ने हालांकि इससे इत्तेफाक न जताते हुये कहा कि मोदी के दौरे के तत्काल बाद पठानकोट आतंकी हमला हुआ था और पांच और घटनायें भी हुईं.

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