राज्यसभा चुनाव: वोटिंग की प्रैक्टिस में जुटे गुजरात कांग्रेस और बीजेपी के विधायक

अहमदाबाद गुजरात की 3 राज्यसभा सीटों का चुनाव बीजेपी और कांग्रेस, दोनों के लिए ही प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। गुजरात में ऐसा पहली बार हुआ है कि तीन सीटों पर चार कैंडिडेट्स होड़ में हैं। इनमें से तीन बीजेपी, जबकि एक कैंडिडेट कांग्रेस से है। बीजेपी की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, कैबिनेट मंत्री स्मृति इरानी के अलावा कांग्रेस से बागी हुए बलवंत सिंह राजपूत प्रत्याशी हैं। वहीं, कांग्रेस की ओर से सोनिया के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल मैदान में हैं। बीजेपी जहां तीनों सीट जीतने को लेकर आश्वस्त है, वहीं कांग्रेस पूरा जोर लगा रही है कि पटेल किसी कीमत पर यह चुनाव न हारें।

वोटिंग मंगलवार सुबह 9 बजे शुरू होगी और चार बजे खत्म होगी। कुल 176 विधायक वोट देंगे। हर विधायक को वोट देने के लिए दो मिनट से ज्यादा वक्त मिलेगा। बैलट पेपर में विधायक को अपनी पहली और दूसरी प्राथमिकता बतानी होगी। एजेंट को बैलट पेपर दिखाने के बाद वह इसे बॉक्स में डाल सकेंगे। जानकारी के मुताबिक, लिस्ट में सबसे ऊपर अहमद पटेल का नाम होगा, जबकि बीजेपी कैंडिडेट बलवंत सिंह राजपूत का नाम दूसरे नंबर पर होगा। अमित शाह तीसरे, जबकि स्मृति का नाम चौथे नंबर पर होगा। नोटा का विकल्प पांचवें पर होगा।

दोनों ही पार्टियों के विधायक वोटिंग के लिए प्रैक्टिस करने में जुट गए हैं। सीनियर लीडर्स बाकियों को यह सिखाने में जुट गए हैं कि बिना गलती किए कैसे वोट डाला जाए। दोनों ही पार्टियां जरूरत से ज्यादा सावधानी बरत रही हैं क्योंकि मुकाबला बेहद कांटे का है। कांग्रेस के शक्तिसिंह गोहिल और दूसरे सीनियर नेता वोट देने की प्रैक्टिस करवा रहे हैं। वहीं, बीजेपी के सीनियर नेता भी इसमें लगे हुए हैं। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी चुनाव की रणनीति बनाने और उसपर अमल करवाने के लिए शनिवार से जुटे हुए हैं। बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में कई सदस्यों के वोट गलत तरीका अपनाने से रद्द हो गए थे। सूत्रों की मानें तो बीजेपी विधायक इस प्रैक्टिस सेशन में इसलिए भी जुटे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि अगर वोट गलत पड़ा तो पार्टी उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। वहीं, कांग्रेस ने ऐलान कर दिया है कि जो भी विधायक पार्टी लाइन से अलग जाकर वोट देगा, उसे सस्पेंड कर दिया जाएगा।

दोनों ही पार्टियों के लिए वोटिंग में नोटा का विकल्प चुनौती बना हुआ है। इस मामले में बीजेपी चुनाव आयोग तो कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। हालांकि, कांग्रेस को उस वक्त झटका लगा, जब कोर्ट ने उसकी याचिका को ठुकराते हुए राज्यसभा के चुनाव में नोटा के विकल्प पर स्टे देने से इनकार कर दिया। हालांकि, अदालत इस मामले पर विस्तृत सुनवाई के लिए तैयार है। साफ है कि अब 8 अगस्त को होने वाले चुनाव में विधायकों के पास नोटा का विकल्प भी होगा। कांग्रेस और बीजेपी, दोनों ही पार्टियां यह सुनिश्चित कर रही हैं कि इस कांटे के मुकाबले में उसका कोई भी विधायक नोटा का बटन न दबाए।

क्या समधी के खिलाफ दोस्त अहमद पटेल को वोट देंगे शंकर सिंह वाघेला?

मंगलवार को राज्यसभा के लिए गुजरात विधानसभा में विधायकों के जरिए वोट डाले जाने हैं. वोटिंग के दिन शंकर सिंह वाघेला को अपनी रिश्तेदारी ओर दोस्ती में से किसी एक का चुनाव करना है. रिश्तेदारी कुछ इस तरह है कि हाल ही में कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन करने वाले बलवंत सिंह राजपूत शंकर सिंह वाघेला के रिश्ते में समधी हैं, जबकि अहमद पटेल पिछले 25 सालों से शंकरसिंह वाघेला के दोस्त रहे हैं.

शंकर सिंह वाघेला के लिए राज्यसभा का ये चुनाव अस्तित्व का चुनाव भी है, क्योंकि शंकर सिंह वाघेला पहले ही बीजेपी छोड़ कांग्रेस में आए हैं और वे कांग्रेस से अपना इस्तीफा भी दे चुके हैं. वैसे में अभी तक उन्होंने बतौर विधायक अपना इस्तीफा नहीं दिया है. जिस वजह से वो राज्यसभा के लिए अपना वोट डाल सकते हैं.

वाघेला पर अपने समधी को जिताने के साथ-साथ अपने बेटे का भी राजकीय भविष्य ताख पर रखा है. हालांकि कांग्रेस से अब तक जिन 6 विधायकों ने इस्तीफा दिया है, उसके पीछे लोग शंकर सिंह वाघेला को जिम्मेदार मानते हैं. इतना ही नहीं कांग्रेस में अभी ऐसे सात विधायक और भी हैं जिन्होंने फिलहाल इस्तीफा तो नहीं दिया है लेकिन वे पार्टी से बगावत कर चुके हैं.

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शंकर सिंह वाघेला अपने पारिवारिक रिश्तों में उलझते हैं, या फिर उस स्वच्छ राजनीति में जिसे लेकर उन्हें अपने जन्मदिन के दिन कहा था कि, कांग्रेस ने उन्हें बहुत कुछ दिया है.

बेंगलुरु से वापस गुजरात लौटे कांग्रेस के 44 विधायक कड़ी सुरक्षा के बीच नजरकैद

बेंगलुरु शिफ्ट किए गए गुजरात के 44 कांग्रेस विधायक सोमवार सुबह कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अहमदाबाद वापस लौट आए। 8 अगस्त को गुजरात की 3 राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव से पहले ये विधायक पिछले 10 दिनों से बेंगलुरु के नजदीक एक रिज़ॉर्ट में ठहरे थे। इस बीच, बीजेपी ने भी अपनी तैयारियों को आखिरी रूप देना शुरू कर दिया है। इसके लिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह शनिवार रात ही अहमदाबाद पहुंच गए थे। यहां उन्होंने सीएम विजय रूपाणी सहित राज्य के पार्टी नेताओं के साथ बैठक की। वह खुद पार्टी की ओर से कैंडिडेंट हैं। सूत्रों के मुताबिक, अब चुनाव तक शाह गुजरात में ही रुकेंगे।

सभी विधायक इंडिगो की फ्लाइट से सोमवार सुबह 4 बजकर 45 मिनट पर अहमदाबाद स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनैशनल एयरपोर्ट पहुंचे। विधायकों की सुरक्षा को देखते हुए एयरपोर्ट के बाहर रविवार सुबह 8 बजे से ही भारी पुलिसबल की तैनाती थी। इसके अलावा, पार्टी और यूथ कांग्रेस के कई नेता भी हवाई अड्डे के बाहर मौजूद थे। विधायकों के लैंड करने से पहले ही प्राइवेट ट्रैवल कंपनी की दो बसें एयरपोर्ट के बाहर लगा दी गई थीं। विधायक जैसे ही बाहर निकले, पुलिसवाले उन्हें बसों में बिठाने लगे। फिर विधायकों को अहमदाबाद से लगभग 77 किलोमीटर दूर स्थित आणंद के ‘निजानंद’ रिज़ॉर्ट ले जाया गया। इन्हें वोटिंग तक यहीं रखा जाएगा।

हालांकि, बसें रवाना होने के दस मिनट बाद दोबारा से एयरपोर्ट लौट आईं क्योंकि इनमें से एक के इंजन में कोई खराबी आ गई थी। घटना की वजह से बस में सवार विधायकों और बाहर मौजूद पार्टी के सदस्यों में बेचैनी पैदा हो गई। हालांकि, कुछ पुलिसवालों ने धक्का देकर बस को दोबारा शुरू कर दिया, जिसके बाद वे गंतव्य के लिए रवाना हो गए। डीसीपी परीक्षित गुर्जर ने कहा कि कांग्रेसी विधायकों को आणंद पहुंचाने के लिए 1 डीसीपी, चार एसीपी, चार पीआई और 95 हथियारबंद पुलिसवालों को लगाया गया। वहीं, गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष भारतसिंह सोलंकी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर ज्यादा संतुष्ट नजर नहीं आए। विधायकों के पहुंचने से पहले सोलंकी ने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था भले ही समुचित नजर आ रही हो, लेकिन उन्हें तभी भरोसा होगा जब ये विधायक मंगलवार को अपना वोट देने विधानसभा में सुरक्षित पहुंच जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘एसपीजी प्रॉटेक्शन वाले राहुल गांधी पर जब हमला हो सकता है तो गुजरात में हम और क्या अपेक्षा कर सकते हैं?’

बता दें कि मंगलवार को गुजरात के 3 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है। बीजेपी ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अलावा हाल ही में कांग्रेस से बागी हुए बलवंत सिंह राजपूत को उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी ने राजपूत को मैदान में उतारकर कांग्रेस के उम्मीदवार और सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के लिए सीधी चुनौती पेश कर दी है। सूत्रों ने बताया कि प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष जीतूभाई वघानी, राज्य के पार्टी मामलों के प्रभारी भूपेंद्र यादव और गृह राज्यमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा और अन्य नेताओं ने रविवार सुबह शाह से मुलाकात की। बीजेपी ने कहा कि शाह रक्षाबंधन मनाने के लिए अहमदाबाद आए हैं और उनका कोई आधिकारिक कार्यक्रम नहीं है। हालांकि पार्टी सूत्रों ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष ने रविवार की बैठक में नेताओं के साथ चुनाव से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। सोमवार को भी ऐसी कई बैठकें होने की उम्मीद है।

चुनाव से पहले ही कांग्रेस के कई विधायक टूटकर बीजेपी में शामिल हो गए। इससे अहमद पटेल के राज्यसभा पहुंचने का रास्ता मुश्किल होने लगा। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने उसके विधायकों को खरीदने के लिए प्रत्येक को 15 करोड़ रुपए और टिकट का ऑफर दिया था। इसके बाद, पार्टी को किसी और टूट से बचाने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने 44 विधायकों को कर्नाटक भेज दिया। कांग्रेसी विधायक बेंगलुरु के जिस रिज़ॉर्ट में ठहरे थे, वहां उनकी मेजबानी कर्नाटक के ऊर्जा मंत्री डीके शिवकुमार कर रहे थे। उनकी संपत्ति पर 4 दिन तक आईटी की छापेमारी के बाद एजेंसियों ने करोड़ों की रकम बरामद की है। वहीं, कांग्रेस ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दिया था।

गुजरात कांग्रेस के मजबूत नेता शंकरसिंह वाघेला के नाटकीय ढंग से पार्टी छोड़ने और पार्टी के 6 विधायकों के इस्तीफे के बाद हर रोज नये समीकरण सामने आ रहे हैं। इससे 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या घटकर 51 हो गई है। कांग्रेस ने 44 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया है, जिन्हें एक हफ्ते पहले बेंगलुरु भेजा गया था। 7 अन्य यहां पर हैं जिन्होंने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं। वहीं, यूपीए की सहयोगी रही एनसीपी ने भी अभी तक यह नहीं बताया है कि उसके दो विधायक मंगलवार को किसे वोट देंगे? बीजेपी की ओर से बलवंत सिंह राजपूत को मैदान में उतारने के बाद 2 एनसीपी और 1 जेडीयू विधायक की अहमियत और बढ़ गई है। एनसीपी गुजरात चीफ जयंत पटेल ने कहा कि वह चुनाव वाले दिन अपने पत्ते खोलेंगे।

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