नई दिल्ली भारत छोड़ो आंदोलन की 75th एनिवर्सरी पर बुलाए गए संसद के स्पेशल सेशन में सोनिया गांधी ने कहा कि गांधीजी सांप्रदायिकता के खिलाफ थे। लेकिन आज भी ये बात दिखाई देती है। जेल में सबसे लंबा वक्त बिताने वाले नेता नेहरू थे। वहीं देश में कुछ तत्व ऐसे भी रहे जिनका आजादी दिलाने में कोई योगदान नहीं रहा। देशवासियों में आज भी शंका…
सोनिया ने कहा, ”प्रदर्शनकारी निडर रहे और झुके नहीं। भारतीय आंदोलन मिसाल बन गया लेकिन इसके लिए हमें अनगिनत कुर्बानियां देनी पड़ीं। आज वही कुर्बानियां हमें वह मौका देती हैं कि हम उन्हें आदर के साथ याद करें। आज जब हम उन शहीदों का नमन कर रहे हैं, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उस दौर में ऐसे संगठन और व्यक्ति भी थे, जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया था। उन तत्वों का हमारे देश को आजादी दिलाने में कोई योगदान नहीं रहा।” ”देशवासियों को आज शंका भी है। जहां आजादी का माहौल था, वहां भय नहीं फैल रहा है। जो विचारों की आजादी, स्वेच्छा की आजादी, आस्था और समानता की आजादी कानून पर आधारित है, भारत छोड़ो आंदोलन हम सभी को इसकी याद दिलाता है कि हम भारत के विचारों को संकीर्ण विचारों वाले, साम्प्रदायिक तत्वों का कैदी नहीं बनने दे सकते।”
”हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने न्यायसंगत भारत के लिए लड़ाई लड़ी। ऐसा लगता है कि आज नफरत और विभाजन की राजनीति के बादल छा गए हैं। ऐसा लगता है कि सेकुलर, लोकतांत्रिक और उदारवादी मूल्य खतरे में पड़ते जा रहे हैं। पब्लिक स्पेस में विचारों की आजादी कम होती जा रही है। कानून के राज पर गैर-कानूनी शक्तियां हावी होती दिखाई देती हैं।” ”भारत छोड़ो आंदोलन हम सभी को प्रेरणा देता है कि अगर हमें अपनी आजादी को सुरक्षित रखना है तो हमें हर तरह की दमनकारी शक्ति के खिलाफ संघर्ष करना होगा चाहे वे कितनी भी समर्थ और सक्षम हों। हमें आज भी उस भारत के लिए लड़ना है, जिस भारत में हम विश्वास रखते हैं। जो भारत हमें प्यारा है, जिस भारत में जन-जन आजाद है, जिसकी आजादी निर्विवाद है।”
यूपीए चेयरपर्सन ने कहा, ”आज हम यहां 75 साल पुरानी भारत छोड़ो आंदोलन की यादें ताजा करने इकट्ठा हुए हैं। मुझे गर्व है कि मैं यहां खड़े होकर इंडियन नेशनल कांग्रेस के हजारों महिला-पुरुष कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि दे रही हूं। आज ही के दिन महात्मा गांधी ने मुंबई में जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल के प्रस्तावित संकल्प को स्वीकार किया। उसमें अंग्रेजी हुकूमत से देश छोड़ने को कहा गया था। इस संकल्प के पारित होने के बाद महात्मा गांधी ने अपने भाषण के अंत में जो कहा, मैं उसे दोहरा रही हूं। ” ”गांधीजी ने कहा था कि मैंने कांग्रेस को प्रतिज्ञा दिलाई है कि वह करे या मरे। इन शब्दों ने पूरे देश को आंदोलित कर दिया। अंग्रेजों ने कांग्रेस नेताओं को तुरंत गिरफ्तार कर लिया। हजारों लोगों को दूसरा विश्वयुद्ध खत्म होने तक जेल में रखा गया। नेहरू ने देश में अपना सबसे लंबा समय बिताया। कुछ कांग्रेस नेता तो बीमारी की वजह से जेल से जिंदा भी बाहर नहीं आ सके।”
”इस आंदोलन को जिंदा रखने के लिए कई महिलाओं-पुरुषों को अंडरग्राउंड होना पड़ा। अंग्रेजों ने दमन किया। कार्यकर्ताओं पर गोलियां बरसाईं। अंग्रेजों के आदेशों को नहीं मानने वालों पर कोड़े बरसाए गए। राष्ट्रवादी अखबारों पर पाबंदियां लगाई गईं। पुलिस ने महिलाओं का उत्पीड़न किया। कैदियों की बर्बरतापूर्वक पिटाई की। उन्हें बर्फ की सिल्लियों पर निर्वस्त्र कर तब तक रखा गया, जब तक वे बेहोश नहीं हो गए।”
मोदी ने कहा, “इतिहास की घटनाएं हमारे लिए आज किस प्रकार सार्थक बने, इसका प्रयास रहना चाहिए।” “आजादी के आंदोलन में कई उतार-चढ़ाव आए। भारत छोड़ो आंदोलन अंतिम व्यापक जनसंग्रह था। 1942 में ऐसी पीठिका तैयार हुई थी कि देश के हर कोने में लोगों में आजादी की अलख जग गई थी।” “तिलक ने पूर्ण स्वराज का नारा दिया था। 1920 में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन चलाया। भगत सिंह, राजगुरु, चापेकर बंधुओं ने अलग-अलग समय पर बलिदान दिया।” “गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन में शब्द गूंजे- करेंगे या मरेंगे। देश के लिए ये अजूबा था। गांधीजी ने कहा था कि मैं पूर्ण स्वतंत्रता से कम में संतुष्ट होने वाला नहीं हूं।” “जंजीरें और किताबें बुक में लिखा है- हर व्यक्ति उस वक्त नेता बन गया। हर घर भारत छोड़ो आंदोलन का ऑफिस बन गया था। हर व्यक्ति में भारत छोड़ो की बात घर कर चुकी थी। 1942 के बाद जहां-जहां उपनिवेशवाद के खिलाफ क्रांति भड़की, उसका श्रेय भारत को जाता है।”
जेटली ने कहा, “आज भी हजारों लोग गरीबी की रेखा से नीचे रह रहे हैं। देश की सुरक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर, एजुकेशन के लिए और साधन डालने की जरूरत है।” “अलग-अलग जातियां, धर्म इस देश का अंग हैं। जरूरी ये है कि सद्भावना बनी रहे। आज की तारीख में जागरूकता और अकाउंटेबिलिटी बढ़ी है। अगर हम चाहते हैं कि हम दुनिया में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनें तो इसके लिए देश में मेलजोल और एकता बनी रहनी चाहिए।” “आज का ये दिन इतिहास का प्रतिनिधि है। लिहाजा हम देश को न्यायसंगत और प्रगतिशील बनाएं। इस दिन हमें प्रस्तावना करनी चाहिए कि देश को इस दिशा में लेकर जाएंगे।”