खतरे को देखते हुए चीन से सटे सीमा की ओर सेना की हाई मूवमेंट शुरू!

डोकलाम पर जारी विवाद के बीच भारत ने एक बड़ा रणनीतिक कदम उठाते हुए चीन से सटे सिक्किम, अरुणाचल, और उत्तराखंड प्रदेश की सीमा पर सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गयी है। सेना की गाड़ियां भारी साजो सामान के साथ चीन के साथ सटे सीमा की तरफ मूवमेंट शुरू कर दी हैं। डोकलाम पर चीन द्वारा रोजाना दी जा रही युद्ध की धमकी के बीच भारत के इस कदम को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस बीच भारतीय रक्षा मंत्री अरूण जेटली ने चीन की तरफ से रोजाना आ रही धमकी के बीच कहा है कि हमारी सेना किसी भी मुकाबले के लिए पूरी तरह से तैयार है।

इस बीच रक्षा सूत्रों ने बताया है कि सेना में खतरे का स्तर भी बढ़ा दिया गया है। सेना में खतरे का स्तर बढ़ाने का मतलब है सेना को युद्ध की स्थिति से निपटने के लिए 24 घंटे तैयार रहने के लिए कह दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि डोकलाम पर चीन का भारत के प्रति उग्र रुख को देखते हुए स्थिति की विस्तृत समीक्षा की गई और सिक्किम से अरुणाचल तक और उत्तराखंड तक चीन से लगने वाली 1,400 किलोमीटर लंबी सीमा पर जवानों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया गया।

अधिकारियों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया, ‘सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में जवानों की संख्या बढ़ा दी गई है। सेना की सुकना बेस 33 कॉर्प के अलावा अरुणाचल और असम में स्थित 3 और 4 कॉर्प बेस को संवेदनशील भारत-चीन सीमा की निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है।’ अधिकारियों ने हालांकि जवानों की संख्या आदि के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।

सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार सीमा के पास करीब 45 हजार जवानों को पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया के तहत हमेशा तैयार रखा जाता है। हालांकि, इन सभी को सीमा पर तैनात नहीं किया जाता है। 9 हजार फीट की ऊंचाई पर तैनात जवानों को 14 दिन के पर्यावरण के अनुकूल माहौल में ट्रेनिंग दी जाती है। अधिकारियों ने बताया कि डोकलाम में सेना की तैनाती नहीं बढ़ाई गई है। इस इलाके में भारत के 350 जवान पहले से ही इलाके में मौजूद हैं। बता दें कि डोकलाम इलाके में चीन द्वारा सड़क बनाने का भारत ने विरोध किया था और इसे यथास्थिति में परिवर्तन बताया था। भूटान ने भी चीन से इस मसले पर विरोध जताया था।

उल्लेखनीय है कि डोकलाम विवाद के बाद चीन और भारत के रिश्ते तल्ख हो गए हैं। चीन लगातार भारत को युद्ध की धमकी दे रहा है। पेइचिंग ने कहा है कि दोनों देशों में बताचीत तभी होगी जब भारत डोकलाम से अपनी सेना हटा लेगा। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हाल ही में संसद में कहा था कि डोकलाम मुद्दे का समाधान शांति के साथ आपसी बातचीत से होना चाहिए।

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