गोरखपुर कांड में बड़ी कार्रवाई: पूर्व प्रिंसिपल राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी पूर्णिमा कानपुर से गिरफ्तार

गोरखुपर
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिसिंपल राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी डॉ पूर्णिमा शुक्ला को गिरफ्तार किया गया है। दोनों डॉक्टर दंपत्ति की गिरफ्तारी एसटीएफ ने की है और उनको गोरखपुर पुलिस को सौंप दिया गया है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अगस्त के दूसरे हफ्ते में ऑक्सिजन की कमी से मारे गए 30 बच्चों के मामले में मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल को यूपी एसटीएफ ने कानपुर के साकेतनगर से एक चर्चित अधिवक्ता के घर से गिरफतार किया है। प्रिंसिपल राजीव मिश्रा के साथ-साथ उनकी पत्नी पूर्णिमा शुक्ला को भी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में अधिवक्ता पर भी कार्यवाई हो सकती है।
प्रिंसिपल और उनकी पत्नी कई दिनों से अधिवक्ता के घर पर ठहरे थे लेकिन पुलिस ने सर्विलांस की मदद से दोनों को ढूंढ निकाला। दोनो पति-पत्नी गोरखपुर ऑक्सीजन कांड के बाद से फरार चल रहे थे। दोनों को पकड़ कर लखनऊ ले जाया गया है। आपको बता दें कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अगस्त के दूसरे हफ्ते में छह दिनों में 63 लोगों की मौत हो गई थी। जिनमें 10 और 11 अगस्त को ही 30 बच्चों की मौत हो गई थी। जान गंवाने वालों में नवजात बच्चे भी शामिल थे। बाल चिकित्सा केंद्र में बच्चों की मौतों के लिए इंफेक्शन और ऑक्सीजन की सप्लाई में दिक्कत को जिम्मेदार ठहराया गया था। लेकिन अस्पताल और जिला प्रशासन ने ऑक्सीजन की कमी को मौत का कारण मानने से इनकार किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर प्रदेश सरकार ने गोरखपुर में बच्चों की मौत के मामले में लखनऊ के हजरतगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस मामले में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में आक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म पुष्पा सेल्स के संचालकों , प्रधानाचार्य डा. राजीव मिश्र मिश्र व उनकी पत्नी समेत सात से ज्यादा कर्मचारियों-डाक्टरों को नामजद किया गया था। खबरों के मुताबिक उनके खिलाफ लापरवाही, भ्रष्टाचार और गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज हुआ था। मुख्यमंत्री ने गोरखपुर में हुई बच्चों की मौत के मामले में मुख्य सचिव राजीव कुमार को जांच का जिम्मा सौंपा था। उन्होंने मामले में जांच की और अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी थी। इसके बाद ही चिकित्सा शिक्षा की अपर मुख्य सचिव अनीता भटनागर जैन को हटा दिया गया था। इस मामले में प्रथम दृष्टया गोरखपुर मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य पर प्रशासनिक लापरवाही, भ्रष्टाचार और अनदेखी के आरोप पाए गए थे। जांच में यह भी पाया गया था कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी के भुगतान में कमीशनखोरी भी समस्या थी। इसी वजह से पुष्पा सेल्स के 68 लाख रुपये के भुगतान में देरी हो रही थी। मुख्य सचिव की रिपोर्ट में बीआरडी मेडिकल कालेज में बाल रोग विभाग के प्रमुख डा. कफील खां, खरीदारी विभाग के प्रमुख डा. सतीश कुमार, प्रधानाचार्य डा. राजीव मिश्र व उनकी पत्नी डा. पूर्णिमा शुक्ला को भी भ्रष्टाचार के आरोप में नामजद किया गया था। इसके अलावा मेडिकल कालेज के लेखाविभाग के कर्मचारियों को भी दोषी पाया गया। साथ ही चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल को भी नामजद किया गया था। शासन के एक आला अधिकारी ने बताया कि इस मामले में दो दिन तक उच्चस्तर पर मंथन के बाद ही एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मिल सकी। रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए मुख्य सचिव की जांच रिपोर्ट के तथ्यों पर विधिक राय भी ली गई। सभी प्रकार से संतुष्ट होने के बाद ही लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट में की गई संस्तुतियों को स्वीकार करते हुए कहा था कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और उन्हें बख्शा न जाए।

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