ब्रिक्स में आतंकवाद का मुद्दा उठाकर भारत ने हासिल किया कूटनीतिक जीत!

पाकिस्तान से पैदा हो रहे आतंकवाद के खिलाफ भारत की एक बड़ी जीत तब हुई, जब ब्रिक्स देशों ने सोमवार को अपने घोषणा-पत्र में पाकिस्तानी आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) व जैश-ए-मोहम्मद को शामिल किया, और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए एक व्यापक दृष्किोण अपनाने का आह्वान किया। शियामेन में 9वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के 43 पृष्ठों के घोषणा-पत्र में एलईटी व जेईएम के साथ ही टीटीपी (तहरीक -ए-तालिबान पाकिस्तान) को इस्लामिक स्टेट के समतुल्य बताया गया और उनके कार्यो की निंदा की गई।

नई दिल्ली एलईटी व जेईएम को भारत में हुए आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराता रहा है। बीते साल गोवा में हुए 8वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में चीन ने घोषणा-पत्र में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों को शामिल करने का विरोध किया था। भारत, अमेरिका व दूसरे देशों द्वारा पाकिस्तान में आतंकवादियों को पनाह देने को लेकर निंदा किए जाने के बाद भी चीन अतीत में अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान का बचाव करता रहा है। शियामेन घोषणा-पत्र में कहा गया है, “हम क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर और तालिबान, इस्लामिक स्टेट (आईएस), अलकायदा और इससे संबद्ध संगठनों ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, टीटीपी और हिज्बुल-तहरीर द्वारा की गई हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हैं।”

इस शिखर सम्मेलन के घोषणा-पत्र में एलईटी व जेईएम को शामिल किया जाना भारत की बढ़त के तौर पर देखा जा रहा है। यह चीन के रुख में मामूली बदलाव को भी दर्शाता है। जेईएम प्रमुख मसूद अजहर को भारतीय सेना के प्रतिष्ठानों पर घातक हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। भारत ने अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र का रुख किया था, लेकिन चीन ने बार-बार इस प्रस्ताव की राह में रोड़ा अटकाया है।

एलईटी को 2008 में मुंबई आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, इस हमले में 166 भारतीय व विदेशी मारे गए थे। यह पूछे जाने पर कि क्या इससे भारत को अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कराने में मदद मिलेगी? विदेश मंत्रालय की सचिव (पूर्व) प्रीति सरन ने कहा, “इस घोषणा-पत्र का सभी ब्रिक्स नेताओं ने समर्थन किया है। इसलिए स्पष्ट तौर पर इसे सभी देशों की मंजूरी व समर्थन है।” इस मुद्दे पर चीन के विचार के बारे में पूछे जाने पर सरन ने कहा, “आप को यह सवाल मुझसे नहीं पूछना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “हमने सामूहिक रूप से इस दस्तावेज को बनाया है, जिस पर सर्वसम्मति की प्रक्रिया से पहुंचा गया है। इसलिए मैं आप से कह सकती हूं कि इसे सभी पांच देशों के नेताओं का समर्थन व मंजूरी मिली है, जो काफी महत्वपूर्ण है।” इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्राजील के राष्ट्रपति मिशेल टेमर और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने शिरकत की। शियामेन घोषणा-पत्र में आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की गई। इसमें कहा गया है कि किसी भी आतंकवादी कृत्य का कोई औचित्य नहीं हो सकता। इसमें ब्रिक्स देशों सहित दुनियाभर में हुए सभी आतंकवादी हमलों की निंदा की गई है।

पाकिस्तान का नाम लिए बगैर घोषणा-पत्र में कहा गया है, “हम इस मत की पुष्टि करते हैं कि जो कोई भी आतंकी कृत्य करता है या उसका समर्थन करता है या इसमें मददगार होता है, उसे इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।” घोषणा-पत्र में आतकंवाद को रोकने और इससे निपटने के लिए देशों की प्राथमिक भूमिका और जिम्मेदारी को रेखांकित करने पर जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि देशों की संप्रभुता और उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का सम्मान करते हुए आतंक के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की जरूरत है।

ब्रिक्स देशों ने अफगान सुरक्षा बलों के आतंकवाद को हराने के प्रयासों का समर्थन किया। घोषणा-पत्र में कहा गया है, “हम आतंकवादी हमलों की निंदा करते हैं, जिस वजह से निर्दोष अफगान नागरिकों की मौत हुई है। इस हिंसा को तत्काल खत्म करने की जरूरत है। हम अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के तहत अफगानिस्तान में शांति की बहाली और राष्ट्रीय सुलह के लिए लोगों को सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताते हैं। हम आतंकवादी संगठनों से निपटने के लिए अफगान सुरक्षाबलों के प्रयासों का समर्थन करते हैं।”

घोषणा-पत्र में कहा गया है, “हम सभी देशों से आतंकवाद से निपटने, कट्टरपंथ का खात्मा करने, आतंकवादी संगठनों में भर्तियों (विदेशी लड़ाकों सहित) को रोकने, आतंकवाद का वित्तपोषण बंद करने के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान करते हैं। इनमें धनशोधन, हथियारों की आपूर्ति, नशीले पदार्थो की तस्करी और अन्य आपराधिक गतिविधियां रोकना, आतंकवादी अड्डों को ध्वस्त करना, आतंकवादियों द्वारा नवीनतम सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों के जरिए सोशल मीडिया सहित इंटरनेट का दुरुपयोग रोकना शामिल हैं।”

घोषणा-पत्र में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से व्यापक अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी गठबंधन की स्थापना करने और इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र की समन्वयक की भूमिका के लिए समर्थन जताने का आह्वान किया गया है। घोषणा-पत्र में कहा गया है, “हम जोर देकर कहते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार होनी चाहिए। इसमें संयुक्त राष्ट्र का घोषणा-पत्र, अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी और मानवीय कानून, मानवाधिकार और मौलिक स्वतंत्रता भी शामिल हैं।” घोषणा-पत्र के मुताबिक, “हम संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि (सीसीआईटी) को अंतिम रूप देने और इसे पेश करने का आह्वान करते हैं।”

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